गुजरात में कांग्रेस नींद से कब जागेगी?

October 03 2021


’तेरी नादानियों की कहानियां सुना है सदा की जुबानियां
जैसे पतझड़ के मौसम में दूर तक फैली हैं उदासियां’

अगले साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर जहां प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा अपने डैमेज कंट्रोल अभियान में जुटी है, यानी मुख्यमंत्री, मंत्री से लेकर चपरासी तक बदल दिए गए हैं, वहीं कांग्रेस इस मौके को भुनाने में अशक्त जान पड़ती है। पार्टी में गुजरात मामलों के विशेषज्ञ माने-जाने वाले अहमद पटेल को पिछले साल कोरोना ने लील लिया। गुजरात प्रभारी राजीव सातव भी कोरोना के ही शिकार बन गए। निकाय चुनाव में पराजय का मुंह देखने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और नेता प्रतिपक्ष परेश धनानी ने इस मार्च में ही अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था, छह महीने होने को आए हैं, न कांग्रेस को गुजरात में नया पार्टी अध्यक्ष मिला है और न ही प्रभारी, फिर भी आरजी का तुर्रा है कि ’इस बार वे यहां भाजपा को धूल चटाएंगे।’ कांग्रेस के मुकाबले आम आदमी पार्टी की तैयारियां यहां ज्यादा पुख्ता नज़र आ रही हैं। गुजरात में पार्टी न केवल बेहद सक्रिय है, बल्कि एक रीजनल न्यूज चैनल ‘वीटीवी’ के मालिक को आप ने यहां अपना पार्टी का फेस भी बना दिया है। दिल्ली से आकर आप के बड़े नेता यदा-कदा यहां धमा-चौकड़ी भी मचा जाते हैं, वहीं राहुल-प्रियंका की जोड़ी ने लगता है गुजरात को बिसरा ही रखा है।

 
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