गडकरी वफादार पर मोदी सरकार का वार |
November 01 2021 |
नितिन गडकरी को नजदीक से जानने वाले लोग भली-भांति इस तथ्य से परिचित होंगे कि वैभव डांगे उनके सबसे भरोसेमंदों में शुमार होते हैं। 2014 में जब पहली बार केंद्र सरकार में नितिन गडकरी मंत्री बने तो पीएमओ को वैभव के नाम पर किंचित आपत्ति थी, पर इस बात को लेकर गडकरी पीएम से भी भिड़ गए थे और कहा कि डांगे विद्यार्थी परिषद से आए हैं, उन पर उनकी पूरी निष्ठा है, सो डांगे ने बतौर गडकरी का निजी सचिव कार्यभार संभाल लिया था। जब 2019 में केंद्र में दुबारा मोदी की सरकार आई तो गडकरी के पास मंत्रालय तो वही पुराना रहा, पर पीएमओ ने उन्हें डांगे को अपना पीएस नहीं रखने दिया। तो गडकरी ने बीच का रास्ता निकालते हुए ‘राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी’ में डांगे को एडवाइजर नियुक्त करवा दिया। पिछले दिनों बतौर एडवाइजर वैभव डांगे एनएचआई की परियोजनाओं का रिव्यू करने हिमाचल प्रदेश गए थे और अधिकारियों से रिव्यू रिपोर्ट हासिल करने के बाद वे दिल्ली लौट आए। पर कहते हैं यह रिपोर्ट उन्होंने चेयरमैन को नहीं सौंपी। कुछ दिनों बाद चेयरमैन ने अपने डिपार्टमेंट से हिमाचल की यही रिव्यू रिपोर्ट मांगी तो उन्हें पता चला कि यह रिव्यू रिपोर्ट तो कब के डांगे अपने साथ ले गए हैं। इस पर चेयरमैन जो कि मंत्रालय के सचिव भी हैं और जो पीएमओ के भी बेहद करीबी समझे जाते हैं, आगबबूला हो गए। कहते हैं उन्होंने गडकरी और पीएम दोनों से इस बात की शिकायत की। अब सुना जा रहा है कि चेयरमैन के दबाव में डांगे को अपना पद छोड़ना पड़ेगा, वे सिर्फ इस 31 अक्टूबर तक ही अपने ऑफिस में बने रहेंगे। |
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