क्यों निशाने पर हैं केजरीवाल?

February 19 2022


क्या कवि कुमार विश्वास भाजपा के हाथों में खेल गए, जब पंजाब में चुनाव प्रचार अपने पूरे शबाब पर था तो ऐसे में कवि विश्वास न्यूज़ एजेंसी एएनआई को एक इंटरव्यू देते हैं और उसमें केजरीवाल से जुड़े गड़े मुर्दे उखाड़ते हैं। क्योंकि इस दफे के पंजाब विधानसभा चुनाव में आप अपने पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रही है और पंजाब के लोग भी आप के ’दिल्ली माॅडल’ को अंगीकार करने के लिए तत्पर दिख रहे थे, ऐसे में विश्वास ने आप निरपेक्ष दलों को केजरीवाल पर हमला बोलने का एक नायाब अस्त्र मुहैया करा दिया है। सो चन्नी, मोदी, अकाली दल से लेकर राहुल व प्रियंका इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल पर निशाना साध रहे हैं और केजरीवाल को बचाव की मुद्रा अख्तियार करनी पड़ रही है। दरअसल, इस बार के चुनाव में आप का मालवा और दोआबा क्षेत्र में व्यापक असर देखा जा सकता है। मालवा तो पंजाब की राजनीति का हमेशा से एक केंद्र रहा है, अगर सिर्फ प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह और मौजूदा सीएम चन्नी का नाम इस लिस्ट से बाहर निकाल दें तो 1966 के बाद से अब तक पंजाब के 17 मुख्यमंत्री मालवा से ही आते हैं। पंजाब की 117 में से सबसे ज्यादा सीटें यानी 69 सीटें मालवा में आती है। इस बार मालवा में आप की झाड़ू असरदार दिख रही है, बात करें दोआबा की तो यह अप्रवासी भारतीयों यानी एनआरआई के प्रभाव वाला क्षेत्र है, जो काफी पहले से केजरीवाल को अपना समर्थन देता आया है। यहां 23 सीटें आती हैं। माना जाता है कि मालवा क्षेत्र में कभी जट सिख कोर वोट बैंक अकाली-भाजपा के हिस्से के थे जो किसान आंदोलन के बाद खिसक कर आप और कांग्रेस की ओर चले गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में आप ने पंजाब में जो 20 सीटें जीती थी उसमें से 18 सीटें तो मालवा की थी। कांग्रेस का भी बहुत कुछ यहां दांव पर लगा है। आप के सीएम फेस भगवंत मान जो संगरूर से सांसद है,उनका निर्वाचन क्षेत्र भी मालवा में ही आता है। किसान आंदोलन में शहीद होने वाले अधिकतर किसान भी मालवा इलाके के ही थे। सो, कवि विश्वास का यह एक सुविचारित हथकंडा ही लगता है, जो चल गया तो तीर, नहीं तो फिर तुक्का!

 
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