कोरोना का मीडिया संकट

May 15 2020


अब पत्रकारों को भी कोरोना के दौर में सूचनाओं के लाले पड़ने लगे हैं। सबसे पहले पीआईबी की ओर से मान्यता प्राप्त पत्रकारों को संदेशा आया कि उन्हें पीआईबी की रेगुलर ब्रीफिंग में आने की जरुरत नहीं। बस कुछ एजेंसियों को बुलाकर उन्हें ब्रीफ कर दिया जाएगा। इसके बाद मंत्रालय कवर कर रहे कुछ पत्रकारों को ज्ञात हुआ कि सरकार ने कुछ अपने चहेते पत्रकारों का एक ‘व्हाट्सऐप्प ग्रुप’ बना रखा है, उन्हें अहम सूचनाएं इसी व्हाट्सऐप्प ग्रुप पर मिल जाया करती हैं। जब अन्य पत्रकारों को इस बात का पता लगा तो विरोध के स्वर उठे। फिर पत्रकारों से सरकार के प्रवक्ताओं के लिए पूछे जाने वाले सवाल लिखित में मंगा लिए गए और बाद में कुछ पत्रकारों को ब्रीफिंग में शामिल होने की अनुमति भी दे दी गई। पर यह अनुमति भी प्रतीकात्मक थी, क्योंकि पत्रकारों को ब्रीफिंग में सवाल पूछने की इज़ाजत नहीं मिली। व्हाट्सऐप्प ग्रुप पर पूछे गए सवालों में भी सरकार की ओर से केवल 3 सवालों के जवाब आए। कोरोना से जंग में भारत ने चीन से इतना तो सीख ही लिया है कि मीडिया को किस हद तक नियंत्रण में रखना है।

 
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