कैप्टन का टेक्नीकल अलायंस

October 03 2021


अपनी नई रीजनल पार्टी का गठन कर कैप्टन कांग्रेस की नाक में दम कर सकते हैं। हालांकि उन्हें मनाने के प्रयास अब भी जारी हैं, पर लगता है बात काफी आगे बढ़ चुकी है। कैप्टन को सोनिया गांधी निजी तौर पर पसंद करती हैं, सो पार्टी में असंतुष्ट आवाज़ों की खासी रवानगी के बाद भी कैप्टन को उन्होंने काफी वक्त दिया। पहले खड़गे की अगुवाई में कमेटी गठित की गई, फिर एक और कमेटी बनी, उसके बाद बतौर प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की रिपोर्ट आई। मामले की नजाकत को भांपते हुए कैप्टन ने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिल कर अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी। पर सोनिया कांग्रेस के मान्य परंपराओं के मुताबिक ही चाहती थीं कि जाने वाला सीएम आने वाले सीएम के नाम को प्रस्तावित करे। पीके की रिपोर्ट में दलित सीएम बनाने पर पूरा आग्रह था, सो गांधी परिवार खास कर सोनिया गांधी ने सबसे पहले पंजाब के एक वरिष्ठ दलित नेता शमशेर सिंह दुलो के नाम पर विचार किया। जो प्रदेश अध्यक्ष के अलावा बेअंत सिंह की कैबिनेट में नंबर दो रह चुके हैं। पर राहुल चाहते थे कि विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री बने, वह भी दलित, सो चरणजीत सिंह चन्नी का नंबर लग गया। सिद्धू को लेकर गांधी परिवार अबतलक सशंकित हो चुका था, वह चाहता है कि सिद्धू को एक दायरे में रखा जाए। सूत्र बताते हैं कि कैप्टन की सबसे ज्यादा नाराज़गी सिद्धू को लेकर थी, यह भी कहा जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से मिल कर कैप्टन ने उन्हें एक ‘डॉसियर’ सौंपा है जिसमें सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम और उनके इमरान खान से रिश्तों को लेकर कुछ गंभीर खुलासे हैं। वहीं सिद्धू के लोग खुल कर कैप्टन और पाकिस्तानी पत्रकार आरूषा आलम के रिश्तों को लेकर सवाल उठा रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि कौन नहीं जानता कि आरूषा पाकिस्तानी फौज की एक जनरल की बेटी है। वहीं कांग्रेस ने अब भी कैप्टन की पत्नी परणीत कौर से संवाद बना रखा है और उन्हें पार्टी संगठन में महती जिम्मेदारी देने का ऑफर भी दिया है। परणीत कौर ने भी एक बयान देकर साफ किया है कि वह अपने पति के पीछे कांग्रेस छोड़ कर नहीं जाने वाली है। रही बात कैप्टन के आगे की रणनीति की तो वह अपने क्षेत्रीय दल का गठन कर सकते हैं। चूंकि कैप्टन के भाजपा से काफी अच्छे ताल्लुकात हैं और उनके खास विश्वासी मनीष तिवारी के तार आम आदमी पार्टी से बखूबी जुड़े हैं,सो कयास लगाए जा रहे हैं कि पंजाब की सभी 117 सीटों पर कैप्टन उतनी मजबूती से चाहें ना लड़ें, जहां आप का उम्मीदवार या फिर भाजपा का उम्मीदवार मजबूती से लड़ रहा हो, कैप्टन उन्हें अंदरखाने से सपोर्ट कर सकते हैं। कई सीटों पर इन दलों से तालमेल कर कैप्टन की पार्टी ‘फ्रेंडली फाइट’ भी कर सकती है। इसके अलावा जिन मजबूत लोगों को कांग्रेस का टिकट नहीं मिलता है, इन असंतुष्टों के लिए भी कैप्टन के द्वार खुले रहेंगे। यूं भी कैप्टन फौज में रह चुके हैं, सो आमने-सामने की जंग उनके मुफीद भी है और उनमें कैप्टन को सिद्दहस्ता भी हासिल है।

 
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