कानूगोलू की रिपोर्ट से गांधी परिवार के होश गुल

June 19 2022


प्रशांत किशोर भले ही पर्दे के पीछे रह कर कांग्रेस के लिए काम कर रहे हों पर परोक्ष तौर पर कांग्रेस हाईकमान ने पीके के पूर्व मित्र और चुनावी रणनीतिकार सुनील कानूगोलू को अपना काम सौंप रखा है। पिछले दिनों राहुल और प्रियंका ने सुनील की कंपनी, ’माइंडशेयर एनालिटिक्स’ को एक बड़ा जनमत सर्वेक्षण करने को कहा, यह जनमत सर्वेक्षण देशव्यापी स्तर पर हुआ है, सूत्रों की मानें तो इस सर्वेक्षण के लिए करोड़ों की फंडिंग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से हुई। यह सर्वेक्षण आगामी विधानसभा चुनाव और 24 के लोकसभा चुनावों को लेकर है, पर सर्वेक्षण के नतीजों ने कांग्रेस हाईकमान को सकते में ला दिया है। इस सर्वेक्षण में यूपी-बिहार जैसे हिंदी भाषी राज्यों से कांग्रेस का सूफड़ा साफ होने की बात कही गई है। इसमें यह भी बताया गया है कि 2024 में कांग्रेस के लिए भी रायबरेली की लड़ाई मुश्किल रहने वाली है। अब कई कांग्रेसी कानूगोलू को मोदी का आदमी बता रहे हैं। जब 2010 के आसपास कानूगोलू ‘मेकेन्ज़ी’ के लिए काम करते थे तो वे 2011 में गुजरात में मोदी से जुड़ गए थे। जब 2012 में प्रशांत किशोर मोदी की टीम से जुड़े तो कानूगोलू के जिम्मे डाटा विश्लेषण का काम आ गया और ये दोनों गुजरात की एक गैर सरकारी संगठन ‘सीएजी’ से जुड़ कर मोदी के लिए काम करने लगे। पीके से अलहदा कानूगोलू को पर्दे के पीछे रह कर काम करने की आदत थी, उनकी यही बात मोदी को बहुत पसंद थी। पीके ने जब मोदी का साथ छोड़ा तो कानूगोलू ने बीजेपी के लिए काम करने के लिए एबीएम यानी ’एसोसिएशन ऑफ ब्रिलिएंट माईंड्स’ का गठन करवा दिया, जो अमित शाह के अंतर्गत काम करती रही, यूपी चुनाव के वक्त एबीएम का नाम बदल दिया गया। कानूगोलू कर्नाटक के बेल्लारी के हैं, पर उनका ज्यादातर वक्त तमिलनाडु में गुजरा है, इस नाते उनका तमिल, तेलगू और कन्नड़ तीनों ही भाषाओं पर अच्छी पकड़ है। अब यह तो कांग्रेस के शीर्ष हुक्मरान ही बेहतर बता पाएंगे कि अब तक वे अपने लिए मोदी के लोगों को ही क्यों चुनते आए हैं।

 
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