कर्नाटक के किसान बातचीत के लिए आगे आए

October 03 2021


तीन कृषि कानूनों को लेकर जहां देश के किसान और केंद्र सरकार में साल भर से भी ज्यादा वक्त से ठनी हुई है, वहीं कर्नाटक के ’स्टेट-पॉलिसी एंड प्लानिंग बोर्ड’ ने एक अजूबा कर दिखाया है। इस बुधवार को बोर्ड के एक सदस्य बीवी आनंद की पहल पर कई प्रगतिशील किसान नेता और ’महादेयी कलशा भांडरी मूवमेंट’ जैसे संगठन कर्नाटक प्लॉनिंग कमीशन से बातचीत के लिए तैयार हो गए। यह शायद पहला ऐसा मौका था जब किसान नेता और संगठन राज्य के प्लॉनिंग बोर्ड के समक्ष खुल कर अपनी बात और सरकार से अपनी नाराज़गी जाहिर करने के लिए सामने आए। इस बैठक में कृषि कानून, लैंड रिफॉर्म और बिजली बिल के ऊपर सरकार के प्रतिनिधियों और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच खुल कर चर्चा हुई। बोर्ड ने किसान नेताओं से वायदा किया कि सरकार की नीतियों, खास कर विभिन्न मदों में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के माध्यम से सरकार कृषि उत्पादों के बेहतर मूल्य दिलाने का प्रयास करेगी। किसान नेताओं ने भी इस बैठक के बाद खुल कर कहा कि बोर्ड ने किसानों से जो वायदे किए हैं अगर वह इसे हकीकत की जमीन पर उतार पाया तो किसान भी इस बात की परवाह नहीं करेंगे कि राज्य में किस दल की सरकार है, चाहे यहां जिस पार्टी की सरकार हो किसान उसे अपना समर्थन देंगे। इत्तफाक से अगले ही रोज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक के दावेनगिरी में थे, जहां उन्हें तीन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के उद्घाटन करने थे, शाह ने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई के तारीफों के पुल बांध दिए, शाह का कहना था कि ’वे दिल्ली में बैठ कर कर्नाटक को मॉनिटर कर रहे हैं और राज्य के मुख्यमंत्री ने बेहद कम समय में छोटे मगर प्रभावशाली कदम उठाए हैं।’

 
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