कट टू साइज |
October 03 2021 |
क्या भूपेंद्र यादव को पार्टी में ’कट टू साइज’ किया जा रहा है। वे बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य के प्रभारी हैं, पर जब चुनावी राज सौंपने की बारी आई तो उन्हें मणिपुर जैसे एक छोटे राज्य की बागडोर सौंपी गई है। मणिपुर में कभी कांग्रेस के पास 28 विधायक हुआ करते थे, जिसमें से अब 16 बच गए हैं उसमें से भी 7 भाजपा में जाने को तैयार बैठे हैं। दोनों बड़े क्षेत्रीय दल नगा पीपुल्स फ्रंट और नेशनल पीपुल्स पार्टी भाजपा के साथ हैं तो यादव के लिए यहां करने के लिए बचा क्या है? यादव शाह के ’मिस्टर भरोसेमंद’ में शुमार होते हैं जो संगठनात्मक रणनीतियां बुनने में माहिर हैं। उन्होंने अपनी इस दक्षता का परिचय 2013 के राजस्थान चुनाव, 2014 में झारखंड, 2017 में उत्तर प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों में दिया है। बिहार में वे अपने आप को साबित कर चुके हैं। यहां तक कि उन्हें हैदराबाद के निगम चुनावों में भी पार्टी ने आजमाया। केंद्र में मंत्री बने तो उन्हें उम्मीद के मुताबिक मंत्रालय नहीं मिला, चूंकि वे सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं इस नाते उम्मीद थी कि उन्हें देश का कानून मंत्री बनाया जाएगा, पर मिला उन्हें लेबर और वन-पर्यावरण। |
Feedback |