ऐसे बिसरा दिए गए वासनिक

September 24 2022


कांग्रेस के अंदर दो वरिष्ठ नेता ऐसे थे जो बढ़-चढ़ कर अपने को अध्यक्ष पद का सबसे मुफीद चेहरा घोषित करने में जुटे थे, राहुल मंडली ने इन दोनों नेताओं की उद्दात महत्वाकांक्षाओं को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया है। इन दो नामों में आप कृपया शशि थरूर या दिग्विजय सिंह का नाम न लें, क्योंकि पार्टी के अंदर इन्हें कोई भी नेता किंचित इतनी गंभीरता से नहीं लेता है। दरअसल, पिछले 25 वर्षों से लगातार कांग्रेस के किसी न किसी पद पर रहे मुकुल वासनिक और दक्षिण भारत से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे अपने आप को परोक्ष व अपरोक्ष तौर पर अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदारों के तौर पर पेश कर रहे थे। मल्लिकार्जुन के बारे में लगातार यह दक्षिण के अखबार छाप रहे थे कि ’उनको अध्यक्ष बनाने से उत्तर व दक्षिण दोनों राज्यों में कांग्रेस के जनाधार बढ़ेगा।’ मुकुल वासनिक ने तो दो कदम आगे बढ़ कर 4 सितंबर को संपन्न हुई कांग्रेस की रैली के आलोक में एआईसीसी में अपना शक्ति प्रदर्शन कर दिया था। रैली में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में पार्टी नेता और कार्यकर्ता 2 दिन पहले से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार व राजस्थान से वासनिक के पक्ष में लामबंद हो रहे थे। पर मुकुल के पर कतरे जाने की पूरी रूप-रेखा कांग्रेस के चिंतन शिविर में ही तय हो गई थी। सो, अभी पिछले दिनों वासनिक से मध्य प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभार वापिस लेकर यह जिम्मेदारी जय प्रकाश अग्रवाल को दे दी गई है। चिंतन शिविर में ही मुकुल नीत कमेटी से ही शीर्ष नेतृत्व ने चालाकी से यह प्रस्ताव पारित करवा लिया कि ’किसी भी नेता को लगातार 5 साल तक पदाधिकारी रहने के बाद उन्हें यह पद छोड़ना होगा।’ यानी एक तरह से अब तय हो गया है कि राहुल बिना किसी पद पर काबिज हुए रिमोट कंट्रोल से पार्टी चलाएंगे और पार्टी पर भी उनका ही पूरा नियंत्रण होगा।

 
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