ऊपरी सदन के पेंच में उलझी मोदी सरकार

November 28 2021


सीबीआई और ईडी प्रमुखों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने के लिए मोदी सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है, जिसे एक विधेयक के तौर संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा में पास कराना सरकार के लिए अनिवार्य होगा, तब ही यह एक कानून का रूप ले सकता है। लोकसभा में भाजपा का बंपर बहुमत है, सो वहां कोई दिक्कत आनी नहीं है, पर राज्यसभा में पेंच फंस सकता है। जहां भाजपा के अपने केवल 97 सदस्य हैं, एनडीए सहयोगियों और निर्दलियों को लेकर यह आंकड़ा 116 तक जा पहुंचता है। सदन में अगर सारे सदस्य उपस्थित हैं तो बहुमत के लिए जरूरी नंबर 123 का है। अब तक वाईएसआर कांग्रेस के 6 और बीजू जनता दल के 9 यानी ये 17 सदस्य मिल कर सरकार के लिए जरूरी आंकड़ों का बंदोबस्त कर देते थे। बहुत जरूरी हुआ तो मायावती भी अपने 3 सदस्यों के साथ सेवा देने के लिए हाजिर रहती हैं। पर इस बार जगन और नवीन पटनायक बीएसएफ कानून यानी सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र में विस्तार से नाराज़ हैं, सो वे इस बार सरकार का साथ देने से पलटी मार सकते हैं। आपको याद होगा कि एक से ज्यादा मौकों पर सरकार ने संसद में मार्शलों के सहयोग से कई बिल पास कराए हैं जैसा कि कृषि बिल या जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के निजीकरण बिल के दौरान देखने को मिला, जहां विपक्षी दल वोटिंग की मांग करते रहे और सरकार ने मार्शलों के दम पर बिल पास करा लिया। पर सूत्र बताते हैं कि इस बार ऐसा नहीं होगा, सरकार सदन में जोर जबर्दस्ती के बजाए संसदीय प्रबंधन कौशल के जरिए यह नया बिल पास करवाना चाहती है।

 
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