आरपीएन राहुल के व्यवहार से नाराज़ थे |
February 19 2022 |
दरअसल, आरपीएन सिंह ने काफी पहले ही कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया था। वे लंबे समय से झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी थे, कोई साल भर पहले ही उन्होंने राहुल से मिल कर अपने लिए झारखंड से राज्यसभा की मांग कर दी थी, तब राहुल उन पर प्रसन्न थे तो उन्होंने सहर्ष इस पर हामी भर दी। पर इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार आरपीएन के बारे में राहुल से गुहार लगा रहे थे कि ‘आप उन पर नज़र रखें, वे झारखंड की गठबंधन सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं और खुल कर भाजपा वालों के हाथ में खेल रहे हैं।’ राहुल ने भी अपने सूत्रों से पता करवाया तो उन्हें भी सोरेन के दावे में दम लगा। फिर राहुल ने धीरे-धीरे आरपीएन से दूरी बनानी शुरू कर दी, राहुल ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया। जब आरपीएन राहुल के सचिव को फोन करते थे तो वहां से भी चार-पांच रोज बाद काॅल बैक आता था, इसके बाद आरपीएन ने राहुल से मिलने का समय मांगा। कई महीनों के बाद राहुल ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया। मिलने की तय तारीख को जब आरपीएन राहुल के कमरे में दाखिल हुए तो वहां राहुल अपने चंद मुंहलगे लोगों से घिरे थे। आरपीएन को सामने पाकर राहुल उन पर बेतरह बरस पड़े-’आप को झारखंड भेजा था पार्टी का उद्धार करने, पर वहां तो आपने पार्टी को ही गर्त में पहुंचा दी है…’ राहुल भड़ास निकालते रहे और आरपीएन चुपचाप सब सुनते रहे। वहां से बाहर निकलने के बाद ही आरपीएन ने तय कर लिया था कि अब उन्हें कांग्रेस में नहीं रहना है, सो सबसे पहले उन्होंने भाजपा का द्वार खटखटाया, पर तब भाजपा को यूपी में उनकी उपयोगिता समझ में नहीं आई तो उन्हें ‘होल्ड’ पर रख दिया गया। वह तो जैसे ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ी, आरपीएन के लिए भाजपा ने अपने दरवाजे खोल दिए। |
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