आजमगढ़ में सपा की सीट बचाने की मशक्कत

June 19 2022


अखिलेश यादव ने जिन लम्हों में अपना आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ने का फैसला लिया होगा उन्हें शायद ही इस बात का इल्म कहीं शिद्दत से हुआ होगा कि भाजपा आजमगढ़ की लड़ाई को उनके लिए इस कदर मुश्किल बना देगी। आजमगढ़ जिले की दस की दस सीटें सपा के कब्जे में हैं जहां उसके अपने एमएलए हैं बावजूद इसके इस सीट को बचाने के लिए सपा को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। सपा का पहला दांव ही डगमगाने वाला है, स्थानीय कार्यकर्ता चाहते थे कि यहां से पार्टी रमाकांत यादव को मैदान में उतारे जो कि एक स्थानीय नेता हैं। पर अखिलेश ने अपने परिवार से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार दिया है। वहीं बीएसपी ने सपा का खेल बिगाड़ने के लिए एक बिल्डर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार दिया है जो मुसलमानों के बीच एक लोकप्रिय चेहरा हैं, अगर वे ठीक-ठाक मुस्लिम वोट काटने में सफल हो जाते हैं तो सपा की साइकिल यहां डगमगा सकती है। पर प्रारंभिक रुझानों से पता चलता है कि इस बार मुसलमान भी हाथी के साथ जाने से हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बहिनजी पर्दे के पीछे से भाजपा के लिए ही खेलती हैं। नूपुर शर्मा के बयान पर इस शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद जिस तरह मुस्लिम समुदाय ने उग्र प्रतिक्रिया दी है उससे नहीं लगता कि वे जाने-अनजाने कोई भी ऐसा कदम उठाएंगे जिससे भाजपा को फायदा मिले। पर लगता है दिनेष लाल निरहुआ अपने सजातीय यादव वोटरों को तोड़ने में जरूर कुछ हद तक कामयाब हो सकते हैं। अखिलेश की मासूम नादानियों ने आजमगढ़ के उप चुनाव को यकीनन दिलचस्प बना दिया है।

 
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