अरूण सिंह ले सकते हैं जेपी नड्डा की जगह

August 06 2022


’फलक पर इतनी वकत थी इस सितारे की
जब से चांद डूबा है ये सूरज हो गया है’

सियासत अक्सर महत्वाकांक्षाओं की गीली मिट्टी से ही आकार पाती है, पर कभी-कभी इस मिट्टी की तासीर इतनी अलग होती है कि वह कुम्हार रूपी जनता को भी चक्कर में डाल देती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल खत्म होने में अभी पांच महीनों से भी ज्यादा का वक्त बचा है पर भगवा पार्टी ने अभी से उनके उत्तराधिकारी की तलाश शुरू कर दी है। इस कड़ी में सबसे ताज़ातरीन नाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह का जुड़ गया है। अरूण सिंह पार्टी के शीर्ष पुरुषों के आंख-कान माने जाते हैं। यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले अरूण सिंह यूं तो पेशे से सीए हैं, पर भगवा सियासत के जोड़-घटाव को उनसे बेहतर और कौन समझ सका है। छात्र राजनीति में हाथ आजमाने के बाद वे संघ से जुड़ गए, फिर शनैः शनैः उनकी भाजपा से यारी होती चली गई। रिश्ते में ये राजनाथ सिंह के साढू लगते हैं, जब 2013-14 के काल में राजनाथ पार्टी प्रेसिडेंट थे तो राजनाथ की अरूण जेटली से तकरार जगजाहिर थी, अरूण सिंह जेटली के भी करीबियों में शुमार होते थे, और उन्होंने इन दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव मिटाने की पहल करते हुए एक के बाद एक कई ब्रेकफास्ट मीटिंग्स भी रखीं। अरूण सिंह 17 जून 2015 से भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी के पद पर तैनात हैं, इस नाते पार्टी की ओर से जारी हर आदेश पर उनके ही दस्तखत होते हैं। वे राज्यसभा सांसद होने के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं और उनके पास कर्नाटक और राजस्थान दो अहम राज्यों के प्रभार भी हैं। इससे पहले जब वे ओडिशा के प्रभारी थे तो राज्य में भाजपा कैडर को मजबूती देने में उन्होंने एक महती भूमिका निभाई थी। बतौर कर्नाटक प्रभारी येदुरप्पा की जगह बोम्मई को कर्नाटक का नया सीएम बनवाने का आइडिया भी उन्हीं का बताया जाता है। राजस्थान में भाजपा की आपसी कलह जब सतह पर आ गई तो उन्होंने वसुंधरा राजे गुट और सतीश पूनिया गुट में महत्वपूर्ण सुलह करवाई। ये लो-प्रोफाइल रहकर काम करना पसंद करते हैं उनकी यही बात पार्टी हाईकमान और संघ के बेहद मुफीद है। सूत्रों की मानें तो चूंकि नड्डा हिमाचल में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं सो वे अपनी नई पारी में एक बार फिर से मोदी कैबिनेट की शोभा बढ़ा सकते हैं। हालांकि अध्यक्ष पद की रेस में भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान के नाम भी चल रहे हैं, पर कहते हैं इस दफे पार्टी हाईकमान किसी यूपी के चेहरे पर ही दांव लगाना चाहता है, इस नाते भी अरूण सिंह इस सांचे में सबसे फिट बैठते हैं।

 
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