हर्षवर्ध्दन का हर्ष-विषाद में

November 15 2014


हर्षवर्ध्दन की हेल्थ-मिनिस्ट्री से विदाई के पक्ष में चाहे लाख तर्क गढ़े जा रहे हों कि सुषमा स्वराज से नजदीकियों की वजह से उन पर गाज गिरी है, या दिल्ली के आने वाले चुनाव में पार्टी उन्हें अपना चेहरा बना सकती है आदि-आदि, पर सच तो यह है कि एक पॉवरफुल मेडिकल माफिया केतन देसाई से पंगा लेना उन्हें भारी पड़ गया। केतन देसाई और मेडिकल काऊंसिल ऑफ इंडिया एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। सो, हर्षवर्ध्दन एमसीआई में चल रहे भ्रष्टाचार को आड़े हाथों लेते हुए देसाई से लोहा लेना चाहते थे।देसाई की मोदी सरकार के कई प्रभावशाली मंत्रियों में गहरी छनती है, शाह और मोदी तक उनकी पहुंच बताई जाती है, शायद हर्षवर्ध्दन अतिउत्साह में इस बात को भूल गए थे। इसके अलावा देश की ताकतवर तंबाकू लॉबी भी हर्षवर्ध्दन के पीछे पड़ी थी, क्योंकि गाहे-बगाहे मंत्री जी तंबाकू पर बैन की बात करते आ रहे थे। सो, जैसे ही हर्षवर्ध्दन का विभाग बदला, अगले रोज देश की एक शीर्षस्थ सिगरेट उत्पादक कंपनी का शेयर बल्लियों उछल गया।

 
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