अज्ञातवास की साया से बाहर आती माया

December 19 2017


राजनैतिक निर्वासन की पीड़ा झेल रही बसपा सुप्रीमो मायावती को यूपी के हालिया निकाय चुनावों के नतीजों से एक नई संजीवनी मिली है। पिछले दिनों बहिन जी ने लखनऊ में अपने घर पर पार्टी के क्षेत्रीय कॉर्डिनेटरों की एक अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में इतने दिनों बाद बहिनजी प्रसन्नचित दिख रही थीं। बहिनजी ने सबसे पहले दिल खोलकर अपने कॉआर्डिनेटर्स की तारीफों के पुल बांधे और इसके बाद उनसे भविष्य की रणनीति यानी 2019 के लोकसभा चुनावों की बाबत सुझाव मांगे गए। ऐसे आम सहमति से एक सुझाव उभर कर सामने आया कि पार्टी ने जहां-जहां मुस्लिम प्यार के राग को हवा दी वहां उसको मुंह की खानी पड़ी है, सो बहिनजी ने तय किया है कि अब क्या खाक मुसलमां होंगे, सो मुस्लिम उम्मीदवार थोकभाव में सिर्फ पश्चिमी यूपी में उतारे जाएंगे। बुंदेलखंड, सेंट्रल यूपी और पूर्वांचल में एकबारगी पुनः अगड़ी जातियों को बसपा के साथ लाने का उपक्रम साधा जाएगा। सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में मायावती ने साफ कर दिया कि 2019 के आम चुनाव में बसपा किसी महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगी, इसके बजाए वह अकेले अपने दम पर यूपी के सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, हालांकि बहिनजी ने अपने पार्टी नेताओं के समक्ष स्वीकार किया कि बसपा को इस महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए अखिलेश उनसे कई-कई दफे बात कर चुके हैं, पर उन्होंने अपनी ओर से इस गठबंधन में शामिल होने का कोई वायदा नहीं किया है। बहिनजी ने एक ओर पते की बात बताई कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं का भाजपा में दम घुट रहा है, बसपा के दरवाजे उनके लिए खुले हुए हैं।

 
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