सिंगूर से सिंगापुर |
August 23 2014 |
इस वर्ष के आखिर में या नए वर्ष की शुरूआत में यानी जनवरी 2015 में कोलकाता के निकाय चुनाव होने हैं, चुनांचे बदले वक्त की धमक भांपते ममता दीदी अपने नए सियासी अवतार में सामने आना चाहती हैं। ग्रामीण वोटरों और खास कर मुस्लिम व ओबीसी वोटरों से दीदी ने अपने तार बकायदा जोड़ रखे हैं, बंगाल में अब तक संपन्न हुए पंचायत चुनावों ने पहले ही इस बात की पुष्टि कर दी है, सो दीदी व उनकी तृणमूल के समक्ष असली चुनौती बंगाल के शहरी वोटरों को लुभाने की है, वह भी ऐसे वक्त में जब शहरों के भद्र मानुष को बीजेपी का जादू बेतरह लुभा रहा है। सो, दीदी ने यूं अचानक सिंगापुर का तुर्रा उछाल दिया, दीदी अपने दल-बल के साथ शनिवार को सिंगापुर की यात्रा से लौट आई हैं और इस बात का दावा कर रही है कि सिंगापुर की 100 कंपनियां पश्चिम बंगाल में निवेश को तैयार हैं। 13 एमओयू भी साइन हो गए हैं। पर सवाल अहम है कि सिंगूर के इतने बड़े भूमि अधिग्रहण विवाद के बाद क्या कॉरपोरेट के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में जरूरी बदलाव हुए हैं? और अगर नहीं तो टाटा का हश्र देखकर और कौन कॉरपोरेट अपना पैसा लेकर बंगाल आना चाहेगा? दीदी की सिंगापुर यात्रा को प्रचारित करने का जिम्मा भारत की एक नामचीन पीआर एजेंसी को दिया गया, पैसा पानी की तरह बहाया गया। सूत्र बताते हैं कि अकेले सिंगापुर के दैनिक ‘स्टे्रट टाइम्स’ को 1 करोड़ के विज्ञापन दिए गए। बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य जब अपनी सिंगापुर की यात्रा पर गए थे तो उनके लिए होटल में बस एक सिंगल कमरे की बुकिंग हुई थी, दीदी के लिए सिंगापुर के पंचतारा होटल शंगरीला में 5 सुइट बुक थे। जब पूर्व में राजस्थान के मुख्यमंत्री सिंगापुर गए थे तो उनके काफिले में बस 10 लोग शामिल थे, अभी तेलांगना के सीएम गए तो उनके साथ भी 10 लोग थे, आंध्र प्रदेश के सीएम के साथ 9 लोग और इस दफे दीदी के काफिले में कुल 104 लोग शामिल थे, जिसमें 52 बिजनेस डेलिगेट्स, 40 मीडिया पर्सन्स और 12 अधिकारी शामिल थे। सो दीदी के इरादे कहीं बड़े हैं। |
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