डर का बाजार 25 बिलियन डॉलर के पार

April 21 2021


कोरोना महामारी जिस रफ्तार से इतना विकराल रूप अख्तियार कर रही है, उसने बहुराष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों को पंख पसार कर उड़ने के लिए एक बड़ा आसमां मुहैया करा दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले 2024 तक कोरोना वैक्सीन का बाजार 25 बिलियन यूएस डॉलर से भी बड़ा हो जाएगा, यानी जितना बड़ा डर, उतना ही बड़ा बाजार। 10 बड़ी फार्मा कंपनियों ने इस बाजार पर अभी से अपना अधिपत्य जमा लिया है और वे वैक्सीन के ‘मोनो वेलेंट’ (एकल) या ‘मल्टी वेलेंट कैटेगरी’ (एक से ज्यादा वेरियंट के लिए) को बाजार में लेकर आने लगी है। इन 10 बड़ी कंपनियों में फाईजर, मोर्डना, जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्राजनिका और डेची सेक्यो जैसी कंपनियां शामिल हैं। फाईजर ने तो एक नया शिगूफा उछाला है कि कोरोना वैक्सीन की डोज लोगों को हर साल लेनी पड़ सकती है। वहीं अन्य कंपनियां इसके ‘कॉकटेल’ और ‘बूस्टर’ डोज जैसी अवधारणाओं को मूर्त रूप देने में जुटी है, पर डब्ल्यूएचओ ने इन आइडियाज को अभी हरी झंडी नहीं दिखाई है। अब तो लगे हाथ रूसी और चीनी कंपनियां भी मैदान में कूद गई है। चीनी दवा कंपनियों के वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानकों पर
भी खरा नहीं उतर पा रही हैं फिर भी इन्हें बाजार कब्जाने की जल्दबाजी है। चीन की दो बड़ी कंपनियां सीनो फॉर्म और सीनो वैक ने कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया है। इनके द्वारा तैयार किए गए वैक्सीन डब्ल्यूएचओ के 50 फीसदी प्रभावोत्पादकता मानक पर भी खरे नहीं उतर पा रहे हैं। सीनो फॉर्म ने तो अब तलक अपना डाटा ही नहीं बताया है और अपने चार कोरोना वैक्सीन इंजेक्शन के बाद अपने पांचवें इंजेक्शन को भी बाजार में लाने की तैयारी कर रही है, ये चीनी कंपनियां अपने 3 बिलियन डोज का उत्पादन तो इसी वर्ष कर रही है। यानी कोरोना का डर जितना बड़ा होगा ये कंपनियां उसी रफ्तार में फलेंगी-फूलेंगी।

 
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