पिता-पुत्र में फिर तनी तलवारें |
March 12 2018 |
इस दफे जब होली पर पूरा यादव कुनबा जुटा था तो अखिलेश और शिवपाल के बीच मध्यस्थता की बागडोर स्वयं नेताजी ने संभाल रखी थी। पिता मुलायम ने बेहद नरमी से पुत्र अखिलेश को समझाया कि ’क्यों नहीं इस बार शिवपाल को राज्यसभा में दिल्ली भेज देते हैं, ये दिल्ली में हमारे ’प्वाइंट मैन’ रहेंगे और बाकी दलों के साथ भी समन्वय का काम देखेंगे।’ पिता चाहते थे कि पुत्र के लिए यूपी की राजनीति किंचित कंटक मुक्त हो जाए, कम से कम परिवार के अंदर से तो विरोध के तेवर मद्दिम पड़ें। इस बात पर शिवपाल ने भी रजामंदी दे दी, पर अखिलेश थे कि आखिरी क्षणों तक नहीं माने, उन्होंने अपने पिता से दो टूक कह दिया-’मैं जानता हूं कि आप लोग ऐसा क्यों करना चाह रहे हैं, आप दिल्ली में बैठे चाचा रामगोपाल के पर कतरना चाहते हैं।’ पुत्र की इस बात ने पिता को भी आहत कर दिया, दिल टूटा तो टूटा, आगे के संवाद सूत्र भी टूट गए, मुलायम ने बेहद तल्खी से कहा-’मुझसे ज्यादा तुम रामगोपाल को पसंद करते हो, तुम्हें सीएम बनवाया मैंने और तवज्जो रामगोपाल को देते हो?’ नेताजी ने असहज से पसरे उन सन्नाटों को रिश्तों के बीच एक लिबास बनाकर ओढ़ लिया है, परिवार में तनातनी आगे भी जारी रह सकती है। |
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