आदित्यनाथ की कुर्सी पर दिनेश की नज़र

March 19 2018


अब अहम बात यह कि गोरखपुर में योगी का रथ आखिरकार सियासी कीचड़ में धंस कैसे गया? सूत्र बताते हैं कि योगी ने अपने पार्टी अध्यक्ष के समक्ष तीन संभावित प्रत्याशियों के नाम प्रस्तुत किए थे और ये तीनों का जुड़ाव भी किंचित गोरखनाथ पीठ से था। पर टिकट मिला एक ऐसे चेहरे को जो कहीं न कहीं योगी विरोधियों में शुमार होते थे क्योंकि उपेंद्र शुक्ला केंद्र में मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के खासमखास बताए जाते हैं और शिव प्रताप व योगी आदित्यनाथ में छत्तीस का आंकड़ा तो जग जाहिर है। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि योगी उपेंद्र शुक्ला की भगवा उम्मीदवारी को मन से स्वीकार ही न कर पाए हों। गोरखपुर व फूलपुर की हार के बाद पार्टी के एक तबके में यह फुसफुसाहट तेज हो गई है कि इस हार के बाद राज करने की योगी की ’मोरल ऑथरिटी’ खत्म हो गई है, सो ऐसे लोग अब अंदर ही अंदर एक अन्य डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का नाम आगे कर रहे हैं, जिनका अक्स बहुत हद तक किसी खट्टर, रावत या दास से मेल खाता है। सीएम पद पर पहले से ही अपनी दावेदारी पेश करने वाले केशव प्रसाद मौर्य की भी ’मोरल ऑथरिटी’ सवालों के घेरे में हैं, जो दबे छुपे अपने समर्थकों से यह कहते सुने गए हैं कि ’फूलपुर में पार्टी ने उम्मीदवार देने में गलती कर दी, अगर उनके कहने से यहां से उनकी धर्मपत्नी को मैदान में उतारा जाता तो चुनावी नतीजे कुछ और होते?

 
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