2जी राजनीति के भगवा आयाम

December 29 2017


2जी मामले के फैसले से कांग्रेस को एक नई संजीवनी मिल गई है, वहीं भाजपा के सियासी खेल की भी कहीं न कहीं पोल खुल गई है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि 2जी मामले के पेंचोखम को तब एक नई दिशा मिल गई थी जब घोषित तौर पर वित्त सचिव हसमुख अधिया और ईडी करनैल सिंह के बीच एक साफ तौर पर तनातनी दिखने लग गई थी। सूत्रों का दावा है कि केंद्र की ओर से ईडी पर लगातार यह दवाब बनाया जा रहा था कि ईडी की रडार पर आए दक्षिण के राजनेताओं पर धीमी गति से कार्यवाई हो। सूत्रों के मुताबिक ईडी मनीलॉड्रिंग के दायरे में आ रहे नेताओं व बिजनेसमैन पर सख्त कार्यवाही की रफ्तार को बनाए रखना चाहते थे। वहीं 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस मामले पर अगर निगाह डाली जाए तो 4 फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत के जज ओपी सैनी ने भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका को 4 फरवरी को खारिज कर दिया जिसमें पूर्व वित्त व गृह मंत्री पी चिदंबरम को लपेटे में लेने की अपील की गई थी। 2 फरवरी 2017 को इसी स्पेशल कोर्ट ने मारन बंधु को बरी कर दिया। इस स्पेशल कोर्ट को पहले अपना निर्णय 25 अक्टूबर 2017 को सुनाना था, फिर जज सैनी ने कहा कि उन्हें थोड़ा वक्त और चाहिए तो यह डेट 7 नवंबर की मुकर्रर हो गई। 7 को जज ने आगे की डेट 5 दिसंबर तय की। इसी बीच गुजरात व हिमाचल के विधानसभा चुनाव आ गए तो फैसला 21 दिसंबर को सुनाया गया। सबसे दिलचस्प बात तो यह कि 6 नवंबर को ही प्रधानमंत्री चेन्नई जाकर डीएमके प्रमुख करुणानिधि से एक लंबी मुलाकात करते हैं, सनद रहे कि करुणानिधि की पुत्री कनिमोझि और उनकी पत्नी दयालु अम्मा 2जी मामले के आरोपी थे। इस बात को भी ध्यान में रखा जाए कि 2जी मामले में पहले यह फैसला 7 नवंबर को आने वाला था। एक पते की बात और कि 2जी मामले में अनिल अंबानी की कंपनी अडैग (एडीएजी) भी लपेटे में थी। और अनिल की कंपनी को ही रक्षा मंत्रालय की ओर राफाल विमान का ठेका मिला है। ऐसे में अनिल और उनकी कंपनी का भी इस पूरे मामले से बेदाग निकलना जरूरी था।

 
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