क्या चैन्नई-हादसा रोका जा सकता था? |
December 15 2015 |
आगे आप जो पढ़ने जा रहे हैं, इसको पढ़कर यकीनन आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे और जनतंत्र की बेचारगी को लाख लानतें भेजेंगे। चैन्नई में जो कुछ हुआ यानी चार सौ से ज्यादा निर्दोष लोगों की मौतें, 25 हजार करोड़ रूपयों से ज्यादा की बर्बादी, इसे समय रहते रोका जा सकता था। दरअसल दुखद घटना के छह महीने पहले एक टेंडर निकला था, जो चैन्नई की बंद और जर्जर पड़ी सीवर लाइन की सफाई और उसकी मरम्मत से जुड़ा था। देश के एक बड़े काॅरपोरेट ने एक विदेशी कंपनी के साथ मिलकर वह टेंडर हासिल भी कर लिया था। सूत्र बताते हैं कि तमिल महारानी से जुड़े उनके एक अतिविश्वासी मंत्री के साथ ’प्रतिशत’ को लेकर कंपनी व राज्य सरकार के बीच कुछ अनबन हो गई। कथित तौर पर यह मंत्री टैक्स के साथ कुल रकम पर एक निश्चित ’हिस्सेदारी’ चाहते थे, जबकि कंपनी टैक्स पूर्व के रकम में हिस्सा देने को तैयार थी। कोई छह महीने पूर्व ही कंपनी की ओर से वहां की सीवर लाइन की सफाई और मरम्मत के लिए 70 ट्रक रवाना भी कर दिए गए थे, और सौ से ज्यादा ट्रक रवाना होने को तैयार थे। पर कमीशन पर बात नहीं बनी और सीवर सफाई का मामला अधर में अटक गया, बेमौसम बारिश की मार चैन्नई सह नहीं पाया और इतने बड़े हादसे का शिकार हो गया। |
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