कोरोना के वार से बच न सकी सरकार

June 20 2020


’बुझने से पहले दीए ने रोशनी का हर कतरा लुटा दिया/पगली हवाओं ने जब तक समझा सूरज ओढ़ कर वह सो गया’ कोविड-19 जैसे साम्यवाद की नई अलख जगाने आया हो, क्या हाशिए पर खड़े लोग, क्या अघाए-सताए लोग, इसने तो सत्ता के पॉवर हाऊस में भी सेंध लगा दी है। इस बात की पड़ताल अब उफान पर है कि आखिरकार कोविड-19 बड़े सरकारी अधिकारियों और हैवीवेट केंद्रीय मंत्रियों तक कैसे पहुंच गया? अनलॉक 2.0 में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया कि सरकारी कार्यालय खुलेंगे और 50 फीसदी कर्मचारी काम पर आएंगे। बड़े अधिकारियों को तो नियमित आने का फरमान सुना दिया गया। लॉकडाउन के दौरान भी गृह मंत्रालय में जोर-शोर से काम चल रहा था। कश्मीर पर लाए गए विधेयक की तथ्यात्मक और व्याकरण संबंधी त्रुटियां सुधारी जा रही थीं। कहते हैं इस विधेयक में कोई 57 त्रुटियां निकल कर सामने आई, जिसे सुधार कर इसे फिर से संसद में भेजना था। तब इस विधेयक की पूर्ण पड़ताल के लिए होम मिनिस्ट्री ने कानून मंत्रालय के एक काबिल अफसर को अपने यहां तलब किया। बाद में इसी अफसर को कोरोना संक्रमित पाया गया। इधर कई मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने का सिलसिला थमा नहीं। निर्माण भवन, शास्त्री भवन, रेल भवन, कृषि भवन, नेशनल मीडिया सेंटर और स्वास्थ्य मंत्रालय में कोरोना संक्रमितों की संख्या कितनी है इसकी आधिकारिक जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है, पर सूत्र बताते हैं कि एक अनुमान के अनुसार केंद्र सरकार के 300 से ज्यादा कर्मचारी अब तक इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। बड़े लोगों में रक्षा सचिव अजय कुमार, नीति आयोग के विनोद पाल, वित्त मंत्रालय की अंडर सेक्रेटरी रीता मल (जो नार्थ ब्लॉक में बैठती हैं), पीआईबी के धतवालिया समेत अन्य 30 अधिकारी भी इसकी चपेट में है। कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री तो स्वयं ही सेल्फ क्वाराइंटीन में चले गए हैं, जिनमें नितिन गडकरी, प्रकाश जावड़ेकर, रवि शंकर प्रसाद, नरेंद्र सिंह तोमर के नाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा 6 सचिव और 6 संयुक्त सचिव भी सेल्फ क्वाराइंटीन में बताए जा रहे हैं।

 
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