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भाजपा व राव की आंख मिचौली

Posted on 07 October 2023 by admin

पिछले दिनों निजामाबाद की एक जनसभा में पीएम मोदी ने कहा कि ’केसीआर ने उनके समक्ष इच्छा व्यक्त की थी कि वे एनडीए में शामिल होना चाहते हैं। पर जवाब में मैंने उनसे कहा कि मोदी आपके साथ जुड़ नहीं सकते क्योंकि आपके कर्म ही कुछ ऐसे हैं।’ मोदी का यह बयान ठीक तेलांगना विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जब विपक्ष लगातार केसीआर पर आरोप लगा रहा है कि ’वे अंदरखाने से भाजपा से मिले हुए हैं।’ इस बात का नुकसान भाजपा और बीआरएस इन दोनों दलों को हो रहा था, और मलाई कांग्रेस काट रही थी। हालिया जनमत सर्वेक्षणों में भी इस बात का खुलासा हो चुका है कि ’केसीआर की पार्टी को इस बार राज्य में भारी ‘एंटी इंकमबेंसी’ का सामना करना पड़ रहा है’, वहीं भाजपा जो ग्रेटर हैदराबाद में काफी मजबूत है, इस बार उसे वहां कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। कांग्रेस के पास तेलांगना में 8-10 बड़े स्थानीय चेहरे हैं फिर भी उसे एक अदद रेड्डी चेहरे की तलाश है। सो, चुनाव के ऐन वक्त कांग्रेस जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला पर दांव लगा सकती है। वैसे भी केसीआर की लोकप्रियता इस हद तक गिरी है कि वहां के लोग इस बात को भूलने को भी तैयार बैठे हैं कि शर्मिला के स्वर्गीय पिता राजशेखर रेड्डी तेलांगना राज्य के गठन के सख्त खिलाफ थे।

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मामा की जगह मोदी एमपी में

Posted on 30 September 2023 by admin

मेरे ख्वाबों के सफर में सिलवटों सा यहीं कहीं ठहर जाओ तुम

मैं दूर से तेरे पास आया हूं ऐसे ना छोड़ कर जाओ तुम

सियासत की फितरत में ही अगर दगा शामिल है तो इस बात को मध्य प्रदेश के भगवा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बेहतर और कौन जान सकता है, अठारह वर्षों तक मध्य प्रदेश के बेताज बादशाह रहने के बाद अब उनकी रुखसती की तैयारी है। अगर सिर्फ 15 महीने के कांग्रेस के शासन काल को छोड़ दें तो सबसे ज्यादा लंबे वक्त तक भगवा मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड भी उनके ही नाम है। जैसे-जैसे मध्य प्रदेश में भगवा जादू उतर रहा है, पार्टी ने शिवराज के चेहरे के बगैर चुनावी समर में उतरने का मन बना लिया है। हालिया थीम सांग-’मोदी मध्य प्रदेश के लिए, मध्य प्रदेश मोदी के लिए’ इसी बात की चुगली खाता है। चुनावी सीजन में जब राज्य में भाजपा की ’जन आशीर्वाद यात्रा’ भी फीकी रही तो पीएम मोदी ने मेन स्टेज पर आने का निर्णय सुना दिया। इस 25 सितंबर को भोपाल में मोदी की एक बड़ी रैली आहूत थी, पर मोदी ने मंच पर सीएम पद के अन्य चार उम्मीदवारों को भी विराजमान करा रखा था, मोदी ने अपने उद्बोधन में न तो सीएम शिवराज का नाम लिया और न ही उनकी किसी बड़ी सरकारी योजना का ही जिक्र किया। सीएम के प्रति पीएम की ‘बॉडी लैंग्वेज’ से आपसी समीकरणों के उतार-चढ़ाव को सहज समझा जा सकता था। रैली के अगले ही रोज शिवराज ने अपनी कैबिनेट की बैठक बुला ली, उसके तुरंत बाद अपने प्रमुख अधिकारियों की एक मीटिंग ले ली और उन सबका आभार भी जता दिया, सुनने वालों को ऐसा लगा मानो शिवराज अपनी ‘फेयरवेल स्पीच‘ दे रहे हों। सूत्र बताते हैं कि अगर इस बार शिवराज को सीएम पद की दावेदारी से मुक्त रखा गया तो वे 2024 में विदिशा लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं, पर कहते हैं कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पहले से ही विदिशा से एक युवा चेहरे को मैदान में उतारने का मन बनाया हुआ है, बदलते वक्त की दीवारों पर लिखी इन इबारतों को शिवराज भी बखूबी पढ़ पा रहे हैं।

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टूट रहे हैं भाजपा दिग्गजों के दम

Posted on 30 September 2023 by admin

सोशल मीडिया पर भाजपा दिग्गज कैलाश विजयवर्गीय के उस दर्द से दुनिया रूबरू हो गई कि अचानक विधानसभा का टिकट मिल जाने से वे कितने असहज हैं। जबकि विजयवर्गीय 1990 से लेकर 2013 तक लगातार विधानसभा का चुनाव लड़े और कभी हारे नहीं। इंदौर-3 से पिछली बार उनके बेटे को टिकट दिया गया था और वह चुनाव जीत गया था, इस बार विजयवर्गीय को इंदौर-1 से चुनावी मैदान में उतारा गया है। कहां तो उनका इरादा राज्य के भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मैराथन चुनाव प्रचार का था, पांच सभाएं रोजाना हेलीकॉप्टर से और तीन सभाएं कार से करने का इरादा था, अब वे इंदौर की गलियों की खाक छान रहे हैं, वे भी बाइक और स्कूटर पर बैठे नज़र आ रहे हैं। विजयवर्गीय यह कहते हुए यहां चुनावी प्रचार कर रहे हैं कि ’इस क्षेत्र में भोजन-भंडारे तो बहुत हुए, पर विकास के कार्य रूक गए हैं, वे जीते तो इनमें गति आएगी।’ कमोबेश कुछ यही हाल केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का है, वे 38 साल बाद विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। रही बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की तो वे मुरैना के सांसद हैं, और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भी हैं, पहली बार है जब किसी संयोजक को ही चुनावी मैदान में उतार दिया गया है, यह भाजपा की बेचैनी बयां करता है। अब बात करें प्रह्लाद पटेल की तो वे 5 बार के सांसद हैं, वे शायद विधानसभा लड़ने का अनुभव भी भूल चुके हैं, इसी प्रकार भाजपा सांसद उदय प्रताप कोई 16 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा सांसद रीति पाठक और गणेश सिंह पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ेंगे। नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतार कर भाजपा चंबल-ग्वालियर संभाग को साधना चाहती है, जो अभी तक सिंधिया परिवार का गढ़ रहा है। ग्वालियर-चंबल संभाग में कुल 34 सीटें हैं, 2018 के चुनाव में भाजपा इसमें से मात्र 7 सीटें ही जीत पाई थी, एक सीट बसपा के कब्जे में आयी थी, बाकी सीटें कांग्रेस के पाले में आ गई थी। इसी तरह महाकौशल का क्षेत्र भी भाजपा की पेशानियों पर बल ला रहा है, पिछले चुनाव में यहां की 38 में से 34 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थी, इसीलिए भाजपा ने यहां के अपने तीनों सांसद यानी प्रह्लाद पटेल, फग्गन कुलस्ते और राकेश सिंह को मैदान में उतार दिया है। मालवा-निमाड़ की 66 में से 35 सीटें 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत ली थी, 2020 में यहां के कई कांग्रेसी विधायकों ने पाला बदल लिया था। कांग्रेस इस बार बुंदेलखंड में बेहतर करना चाहती है, पिछले चुनाव में यहां की 26 में से मात्र 7 सीटों पर ही कांग्रेस जीत पाई थी।

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नीतीश क्यों नहीं माने

Posted on 23 September 2023 by admin

पिछले कुछ महीनों में भाजपा अपनी ओर से लगातार यह प्रयास करती रही है कि बिहार में नीतीश व लालू की पार्टी के गठबंधन में कोई दरार आ जाए, शायद इसीलिए अमित शाह ने अपनी 16 सितंबर की रैली में नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा भी-’लालू-नीतीश गठबंधन तेल पानी जैसा है।’ इससे पहले भी तीन लोग यानी हरिवंश, संजय झा और रामनाथ कोविंद नीतीश को भाजपा के पाले में लाने के लिए जुटे रहे, पर बात बनी नहीं। संजय झा व हरिवंश इस कार्य में जब फेल हो गए तो भगवा शीर्ष ने यह जिम्मेदारी फिर कोविंद को सौंप दी, कोविंद पटना गए, नीतीश के घर खाना खाया, पर नीतीश को मना नहीं पाए। बिहार में हो रहे तमाम चुनावी सर्वेक्षण इस बात की चुगली खा रहे हैं कि ’अगर लालू-नीतीश मिल कर लड़ते हैं और अगर इस गठबंधन को कांग्रेस जैसे दलों का साथ मिल जाता है तो यह बिहार में कमल के प्रस्फुटन के लिए खतरा हो सकता है।’ सो, अब भाजपा के हमलों पर नीतीश भी सीधी प्रतिक्रिया देने लग गए हैं, जैसे झंझारपुर रैली में अमित शाह की कही बातों पर कटाक्ष करते हुए नीतीश ने कहा-’वे कुछ भी बोलते हैं, मैं उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता।’ वहीं शाह पर पलटवार करते राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कह दिया-’अमित शाह बनिया हैं, तेल पानी वही मिलाते होंगे।’ भाजपा बिहार को कितनी गंभीरता से ले रही है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में अमित शाह कम से कम 6 दफे बिहार का दौरा कर चुके हैं।

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रोहिणी कमीशन पर भाजपा का ’यु-टर्न’

Posted on 23 September 2023 by admin

कहां तो पहले कयास लगाए जा रहे थे कि संसद के इस विशेष सत्र में रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट पेश होनी है। पर इस रिपोर्ट में एक झोल है कि कमीशन ने ओबीसी जातियों को भी पिछड़े व अति पिछड़े में सूचीबद्द कर दिया है, सो भाजपा इस माहौल में कोई अतिरिक्त रिस्क नहीं लेना चाहती थी। खास कर वैसे दौर में जब सुप्रीम कोर्ट व सीएजी जैसी संस्थाओं का भी तल्ख रवैया केंद्र सरकार को परेशान करने वाला है। पिछले कुछ समय में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के कई फैसलों को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणियां की हैं। वहीं सीएजी की हालिया रिपोर्ट भी 2013-14 का वह दौर याद दिला रही है जब केंद्र में यूपीए नीत सरकार थी। सीएजी ने भी अपनी हालिया रिपोर्ट में सरकार की कई योजनाओं में व्याप्त गड़बड़ियों की ओर खुल कर इषारा किया है। इसमें आयुष्मान भारत, अयोध्या विकास प्राधिकरण व द्वारका एक्सप्रेस वे जैसी योजना शामिल हैं।

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भारत का ट्रूडो पर पलटवार

Posted on 16 September 2023 by admin

अभी पिछले दिनों भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन का एक सफल आयोजन हुआ, पर एक देश के प्रधानमंत्री ऐसे भी थे जिन्होंने भारत से अपनी नाराज़गी दिखाने में संकोच नहीं किया, बदले में भारत के प्रधानमंत्री की भंगिमाएं भी ’जैसे को तैसा’ का आभास दे रही थीं। भारत की जस्टिन ट्रूडो से नाराज़गी का अंदाजा इस बात से भी हो जाता है कि पीएम मोदी ने इस भव्य आयोजन में शिरकत करने वाले हर नेता का अपने साथ के स्वागत वीडियो को पोस्ट किया, पर इससे जस्टिन ट्रूडो महरूम रह गए। ट्रूडो के स्वागत का कोई नोट भी पीएम मोदी की तरफ से पोस्ट नहीं हुआ। दरअसल, कनाडा में चल रहे खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों पर भारत ने सदैव गंभीर एतराज जताया है। इसकी प्रतिध्वनि कनाडा की ओर से भी सुनने को मिली जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जी-20 के नेताओं के सम्मान में आयोजित रात्रि भोज में ट्रूडो आए ही नहीं। जब कनाडा के पीएम के विमान में कुछ तकनीकी खरीबी आ गई और उन्हें 30-32 घंटों तक मजबूरन भारत में ही रूकना पड़ा तो भारत ने अपनी ओर से उन्हें एक विशेष विमान की पेशकश भी की थी, पर ट्रूडो ने भारत के इस पेशकश को ठुकरा दिया।

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ओबीसी जातियां हो सकती हैं गेम चेंजर

Posted on 09 September 2023 by admin

’एक दिन तू भी इस दिल से निकाला जाएगा
आज तकिये के नीचे है चांद
सुबह होते ही इसे आसमां से पुकारा जाएगा’

2024 का आम चुनाव विपक्षी गठबंधन इंडिया और सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के लिए नाक का सवाल बन चुका है, दोनों ही गठबंधनों की नज़र देश की लगभग 40 फीसदी ओबीसी जातियों को लुभाने पर है। विपक्षी गठबंधन इसके लिए लगातार जातीय जनगणना की मांग दुहरा रहा है, वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन ‘रोहिणी कमीशन’ की रिपोर्ट से माहौल बनाने की कोशिशों में जुटा है। केंद्र सरकार की लिस्ट में 3 हजार से ज्यादा ओबीसी जातियां शुमार हैं, जिन्हें ‘सब कैटेगिरी’ में बांटे जाने की मांग उठती रही है। इसी मांग को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार ने कोई पांच वर्ष पहले 2 अक्टूबर 2017 को रोहिणी आयोग का गठन किया था, इस कमीशन को अब तक 14 बार एक्सटेंशन मिला है, तब कहीं जाकर कुछ दिन पहले इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपी है, यह हजार पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट है। माना जाता है कि इसमें 2600 से ज्यादा ओबीसी जातियों की अपडेटेड लिस्ट है, जिन्हें चार सब कैटेगिरी में बांटने की बात हुई है, एक तो वैसी ओबीसी जातियां जिन्हें अब तलक आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला इन्हें 10 फीसदी, जिन्हें थोड़ा मिला उन्हें भी 10 फीसदी और जिन पिछड़ी जातियों ने आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ उठाया उन्हें 7 फीसदी आरक्षण देने की बात हुई है। सो, जातीय जनगणना की काट केंद्र सरकार को रोहिणी कमीशन के रिपोर्ट के रूप में मिल गई है। वैसे भी संपन्न ओबीसी जातियां मसलन यादव, कुर्मी, मौर्य, गुर्जर, लोध आदि को भाजपा ने पहले ही अपना वोट बैंक बना लिया है। अब कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अति पिछड़ों और मजबूत पिछड़ों का अंतर दिखा कर इससे लाभ लेने की कवायद हो सकती है। ओबीसी वोट अब तलक भाजपा व क्षेत्रीय दलों के बीच बंटा हुआ है, 2014 के लोकसभा चुनाव में 34 फीसदी ओबीसी वोट भाजपा को गया था, क्षेत्रीय दलों के खाते में 43 प्रतिशत वोट आए थे। वहीं 2019 के चुनाव में भाजपा ने पासा ही पलट दिया, ओबीसी के 44 फीसदी वोट भाजपा को मिले, वहीं मात्र 26.4 प्रतिशत वोट क्षेत्रीय दलों को। सनद रहे कि रोहिणी कमीशन ने अपनी यह रिपोर्ट केंद्रीय विश्वविद्यालयों व नामचीन शिक्षण संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएम व केंद्रीय नौकरियों में ओबीसी कोटा के तहत स्थान पा गए एक लाख लोगों के आंकड़ों के आधार पर विभिन्न ओबीसी जातियों का विश्लेषण किया है, अब मोदी सरकार रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को संसद में चर्चा के लिए लाना चाहती है ताकि इसकी सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू किया जा सके।

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कांग्रेस को नए कोषाध्यक्ष की तलाश

Posted on 09 September 2023 by admin

कांग्रेस के मौजूदा कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल की विदाई की सुगबुगाहट सुनने को मिल रही है। सूत्र बताते हैं कि बंसल इन दिनों पार्टी हाईकमान से नाराज़ चल रहे हैं, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने अपनी नवगठित टीम में उनके पंख कुतर दिए थे, उन्हें सीडब्ल्यूसी से हटा कर ‘परमानेंट इन्वाइटी’ में भेज दिया गया था। सो, बंसल पिछले पंद्रह दिनों से दिल्ली में थे, पर वे एक बार भी कांग्रेस मुख्यालय नहीं पधारे। दिल्ली से ही वे फिर चंडीगढ़ लौट गए। सूत्रों की मानें तो खड़गे व बंसल में तब से तलवारें तनी है जब से बंसल ने पार्टी अध्यक्ष को अपना खाता बही दिखाने से मना कर दिया था, बंसल का कहना था कि ’उनसे हिसाब-किताब मांगने का अधिकार सिर्फ सोनिया व राहुल के पास ही है।’ कहते हैं खड़गे ने बंसल के विकल्प की तलाश शुरू कर दी है, इस कड़ी में अजय माकन, आनंद शर्मा, मनीष चतरथ व गुरदीप सप्पल जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। मनीष चतरथ पहले भी अहमद पटेल व मोतीलाल वोरा के साथ काम कर चुके हैं। आनंद शर्मा की बेचैनी इसीलिए भी ज्यादा है कि पार्टी कोषाध्यक्ष के लिए राज्यसभा की एक अदद सीट पक्की रहती है।

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चुनाव लड़ने की तैयारी में सिन्हा

Posted on 09 September 2023 by admin

सूत्र बताते हैं कि भाजपा नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है। शायद यही वजह है कि इन दिनों मनोज सिन्हा ताबड़तोड़ जम्मू-कश्मीर में विकास के नए प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाने में जुटे हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि मनोज सिन्हा की जगह लेने के लिए जनरल वीके सिंह को तैयार रहने को कहा गया है। जनरल वीके सिंह जम्मू-कश्मीर के अगले उप राज्यपाल या राज्यपाल (अगर जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य बन गया तो) का जिम्मा उठा सकते हैं। वैसे भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जनरल साहब से पहले से ही कह रखा है कि ’उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें गाजियाबाद से लोकसभा का अगला टिकट मिल पाना संभव नहीं होगा।’

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…और अंत में

Posted on 09 September 2023 by admin

संसद के विशेष सत्र में जहां महिला आरक्षण व समान नागरिक संहिता पर विधेयक लाने की तैयारी है, वहीं चुनाव आयोग के लिए भी ’वन नेशन, वन इलेक्शन’ के आगाज़ के लिए 10 हजार करोड़ रुपयों का बजट संसद के इस विशेष सत्र में पास कराया जा सकता है। यह बजट पांच राज्यों के चुनाव व लोकसभा चुनाव के लिए आवंटित हो सकता है। क्या इन पांच राज्यों के चुनाव के साथ ही लोकसभा के चुनाव कराए जाएंगे? क्या यह ’वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में केंद्र सरकार का पहला कदम होगा?

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