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क्यों कारवां लूटा, क्यों दिल टूटे

Posted on 27 November 2023 by admin

तेरी हसरतों के दाग ने मेरे दामन को मैला कर दिया

जीत के कारवां में था शामिल तूने मुझे अकेला कर दिया’

सब कुछ कितना अच्छा चल रहा था अब तक के सफर में, लगातार दस जीतों का जुनून, फैंस को मिल रहे बेतरह सुकून, खुशी व उल्लास के समंदर में उतराता पूरा देश, आप इसे भारत कह लें या इंडिया और फिर आई वह आखिरी परीक्षा की घड़ी जिसे आयोजकों ने गणतंत्र दिवस की झांकी बना दी, हमारे खिलाड़ियों के जज्बों की परेड निकाल दी। हमारे जांबाज खिलाड़ियों के ऊपर ख्वामखाह का एक एक्स्ट्रा लोड डाल दिया गया, क्योंकि दिल्ली को बस ऐसे ही किसी नायाब मौके की तलाश थी, खुले बस में खिलाड़ियों के साथ शहंशाह को भी विजयी जुलूस में शामिल होना था, पोस्टर, बैनर, परचम सब पहले से बन कर तैयार थे। जुलूस के खुलूस ने खिलाड़ियों को उनका स्वाभाविक खेल ही नहीं खेलने दिया, जीत को जुनून नहीं, उसे जरूरी बना दिया गया, क्योंकि जीत की स्पीच पहले ही लिखी जा चुकी थी, चुनावी रस में डूबी इबारत टेलिप्रोम्टर पर आने के लिए पहले से ही मचल रही थी, विजयी स्वांग के साथ स्टेडियम में हाथ भी पहले से ही हिलाए जा रहे थे कि खेला हो गया, हमारी तमाम उम्मीदें धराशयी होकर औंधे मुंह जमीन पर आ गिरीं, किया होगा सट्टेवालों ने करोड़ों का वारा-न्यारा, पर जिस देश में क्रिकेट एक धर्म हो, इबादत व पूजा हो, वहां खंडित देव व खंडित आस्थाओं से नए मिथक नहीं गढ़े जा सकते। वैसे टूटे तो उनके दिल भी होंगे जिन्होंने इस मौके को भुनाने के लिए अपना सारा पॉलिटिकल मैनेजमेंट ही दांव पर लगा दिया। क्रिकेट के इस देशव्यापी जुनून से अपने लिए वोटों की नई फसल तैयार करने की हसरत भी अधूरी रह गई और तीसरी बार वर्ल्ड कप जीतने का हमारा सपना भी नरेंद्र मोदी स्टेडियम में झन्न से टूट कर बिखर गया। यह वक्त भी गुज़र जाएगा, ये घाव भी भर जाएंगे, पर बचपन में पढ़ी वह बाबा भारती के घोड़े वाली कहानी हमेशा याद रह जाएगी, दिल को भेदती हुई।

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दिल्ली तबल किए गए सिंहदेव

Posted on 27 November 2023 by admin

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस शीर्ष छत्तीसगढ़ में अपने उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव से बेतरह नाराज़ हैं, अभी हालिया संपन्न हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में सिंहदेव की भूमिका को लेकर सवालिया निशान लगे हैं, पार्टी को यह खबर मिली है कि भाजपा को फायदा पहुंचाने की नीयत से सिंहदेव ने राज्य की आधा दर्जन से भी ज्यादा सीटों पर अपने वफादारों को निर्दलीय मैदान में उतार दिया और अंदरखाने से उनकी मदद करते रहे। सिंहदेव जानते हैं कि इस दफे राज्य में कांग्रेस व भाजपा में कांटे की लड़ाई है और जब नतीजे आएंगे तो 5-6 सीटों से भी सत्ता का गणित बदला जा सकता है। जब यह भनक दिल्ली को लगी तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने फौरन सिंहदेव को दिल्ली तलब कर उनकी क्लास लगाई, खड़गे ने कहा-’पार्टी ने इतना कुछ दिया है आपको, आपको उप मुख्यमंत्री भी बनाया, पर आप बदले में पार्टी को क्या सिला दे रहे हैं?’ पलटवार करते हुए सिंहदेव ने कहा-’पर राहुल जी का वादा तो मुझे ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने का था, उस वादे का क्या हुआ?’ खड़गे अपने क्षत्रप से बस इतना ही कह सके-’आपने ऐसा काम किया है कि आप पर भरोसा करना ही मुश्किल है?’ सिंहदेव रायपुर लौट आए हैं, उन्हें 3 दिसंबर का इंतजार है, जब चुनावी नतीजे आएंगे, कांग्रेस शीर्ष की भी सियासी ऊंट पर नज़र है कि जाने वह कौन सी करवट लेगा।

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विक्रमादित्य और प्रियंका

Posted on 27 November 2023 by admin

पिछले दिनों प्रियंका ने हिमाचल राज परिवार के वारिस और रानी प्रतिभा सिंह के पुत्र और हिमाचल सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात में विक्रमादित्य ने प्रियंका को याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें सीएम बनाने का वायदा हुआ था। सूत्रों की मानें तो इसके बाद प्रियंका ने उनके समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत किए कि कैसे वह हिमाचल में अपनी समानांतर लॉबी चला रहे हैं, उनके तार कहीं न कहीं भाजपा नेताओं से भी जुड़े हुए हैं, पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली आकर गुपचुप भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री से लंबी मुलाकात भी की थी। इस बात को विक्रमादित्य झुठला नहीं पाए, तब प्रियंका ने उनसे दो टूक कहा-’आप नौजवान हैं, अभी आपकी बहुत राजनीति बाकी है, अभी आपको बहुत आगे जाना है, कम से कम पार्टी से बेवफाई करने की न सोचें।’ प्रियंका की बातों का कोई जवाब नहीं था विक्रमादित्य के पास।

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मंत्री जी मांगें स्वीमिंग पूल

Posted on 27 November 2023 by admin

इन युवा केंद्रीय मंत्री का हाल-फिलहाल में ही विभाग बदला गया, इन्हें इनकी उद्दात महत्वाकांक्षाओं की भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है, पर दिल है की मानता नहीं, न तो इन्होंने पेजथ्री पार्टियों में झिलमिलाना छोड़ा और न ही सदैव चर्चा में बने रहने की अपनी आदतों को ही विराम दिया। हद तो तब हो गई जब मंत्री जी ने एनडीएमसी को एक पत्र लिख कर दिल्ली के लूटियंस जोन स्थित अपने बंगले में एक स्वीमिंग पूल बनाने की इजाजत मांग ली। इसके पीछे तर्क देते हुए मंत्री जी ने अपने पत्र में कहा कि ’उनके डॉक्टरों ने खास कर उनके फीजियोथेरेपिस्ट ने उन्हें नियमित रूप से तैरने की सलाह दी है, इसीलिए वे अपने घर एक स्वीमिंग पुल बनवाना चाहते हैं।’ एनडीएमसी ने यह पत्र नगर विकास मंत्री के दफ्तर भेज दिया और वहां से वह पत्र पीएमओ के संज्ञान में लाया गया। फिर मंत्री महोदय तलब किए गए और उन्हें बताया गया कि ’इससे पहले भी दो नेताओं ने अपने सरकारी आवास पर स्वीमिंग पूल बनवाए थे, पर इसके बाद उन दोनों के राजनैतिक कैरियर भी उन्हीं पूल में बह गए। क्या आपने इस वाकये से कोई सीख नहीं ली है?’ मंत्री जी इस पर बेतरह झेंप गए, उन्होंने बचाव की मुद्रा अख्तियार करते हुए कहा कि ’इस पत्र के लिए वे बेहद शर्मिंदा हैं, क्योंकि उनकी जानकारी के बगैर ही उनकी पत्नी व बच्चों ने यह पत्र एनडीएमसी को भिजवा दिया था।’

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जब निशंक को लगा डंक

Posted on 27 November 2023 by admin

अपनी राजनैतिक निर्वासन की पीड़ा झेल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक मौजूदा हालात से बेहद परेशान हैं, इसके निवारण के लिए पिछले दिनों वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने जा पहुंचे और बातों ही बातों में उन्होंने राजनीति के चाणक्य को अपनी बातों से बरगलगाने की कोशिश की, कहा-’उत्तराखंड में सब ठीक नहीं चल रहा है, वहां मुख्यमंत्री नौसिखयों की तरह सरकार चला रहे हैं, सो वहां सरकार में ऐसे चेहरों को शामिल करना चाहिए जिससे सरकार का चेहरा फ्रेश लगे व शासन चलाने में निपुणता आए।’ शाह ने मुस्कुराते हुए निशंक की हर शिकायत पर कान धरे और उनसे कहा-’अब जरा आप सुझाव दीजिए कि आपकी सीट पर हमें क्या नया करना चाहिए?’ थोड़े हडबड़ा गए निशंक, अटकते लफ्जों में कहा-’मेरी सीट पर इस बार मुकाबला हरीश रावत से होगा, लड़ाई कठिन होगी।’ शाह ने चुटकी लेते हुए कहा कि ’फिर तो आपकी सीट पर भी हमें कोई नया व फ्रेश चेहरा ही उतारने की सोचना होगा।’ इस बात का निशंक के पास कोई माकूल जवाब नहीं था।

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तोमर के पीछे कौन पड़ा है?

Posted on 27 November 2023 by admin


केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर की पैसों के कथित लेन-देन को लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, अब इस पूरे मामले के सूत्रधार को ढूंढा जा रहा है। पहला शक तो कमलनाथ पर था, क्योंकि कांग्रेस को इस वायरल वीडियो से चुनाव में काफी फायदा मिलने वाला था। पर तोमर से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि ’इस वीडियो को वायरल कराने में प्रदेश के भाजपा नेताओं के भी हाथ हो सकते हैं।’ इस कड़ी में शिवराज और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम लिए जा रहे हैं। अगर राज्य में भाजपा की वापसी होती है तो सीएम पद के लिए तोमर ही शिवराज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं ज्योतिरादित्य भी ग्वालियर चंबल संभाग में अपने लिए कोई नई चुनौती नहीं चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो इस बार भाजपा शीर्ष ने दतिया विधानसभा क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मैदान में उतारने का मन बनाया था। महाराज बमुश्किल भाजपा शीर्ष को यह समझाने में कामयाब रहे कि ’उनकी जगह उनके लोगों को टिकट दे दी जाए।’

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तेलांगना में घर का भेदी

Posted on 27 November 2023 by admin


तेलांगना को लेकर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बेतरह हैरान-परेशान था, वे जो भी चुनाव की नई रणनीति बुनते थे इसकी भनक केसीआर को लग जाती थी। मिसाल के तौर पर कांग्रेस रणनीतिकारों ने तेलांगना में 15 फीसदी मुस्लिम वोटों के प्रभाव को देखते हुए यह तय किया था कि वे कम से कम 6 जगहों पर मुस्लिम धर्म गुरुओं को चुनाव मैदान में उतारेंगे और उन धर्म गुरुओं की बकायदा शिनाख्त भी कर ली गई थी, पर जाने किस सूत्र से कांग्रेस के इन इरादों की भनक केसीआर को लग गई और उन्होंने भी इसकी काट ढूंढ निकाली। सो, आनन-फानन में कांग्रेस को इन 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदलने पड़े, तुरंत-फुरत नए उम्मीदवार ढूंढने पड़े। तब कांग्रेस नेतृत्व उस तफ्तीश में जुट गया कि आखिर उसके घर का विभीषण कौन है? बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार कांग्रेस नेतृत्व ने उस नेता को ढूंढ ही निकाला। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का दावा है कि ये नेता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एन.उत्तम कुमार रेड्डी हो सकते हैं, जिनकी प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से गहरी छनती है। सूत्र बताते हैं कि उत्तम कुमार रेड्डी की हैदराबाद बाईपास पर खेती की एक बड़ी जमीन थी, प्रदेश में चुनाव की घोषणा से पहले की ऐन कैबिनेट मीटिंग में रेड्डी की उस ‘एग्रीकल्चर लैंड’ का ‘चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू)’ कर दिया गया, अब उस जमीन का कमर्शियल व आवासीय इस्तेमाल हो सकेगा। यानी अब कौड़ियों की वह जमीन करोड़ों के मूल्य की हो चुकी है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को अब वहां का सारा खेल समझ में आ चुका था, सो तेलांगना से जुड़े सारे अहम फैसले अब दिल्ली से हो रहे हैं।

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वसुंधरा को हाईकमान ने ऐसे घेरा

Posted on 27 November 2023 by admin

राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा चुनाव समिति की वह आखिरी मीटिंग आहूत थी। मीटिंग अमित शाह ले रहे थे और उन्हें इस बात का कहीं गहरे इल्म हो चला था कि ’प्रदेश की सबसे कद्दावर नेता वसुंधरा राजे अब भी कहीं न कहीं नाराज़ हैं।’ सो, शाह ने महारानी की नाराज़गी दूर करने की लिहाज से उनसे कहा कि ’इस मीटिंग के बाद वे अलग से उनके साथ बैठेंगे।’ और यह हुआ भी, इन दोनों नेताओं ने पहले तो आपसी गिले-शिकवे दूर करने के प्रयास किए, जब माहौल थोड़ा सामान्य हुआ तो वसुंधरा ने अपने खास वफादार 18 नेताओं की एक लिस्ट शाह को सौंपते हुए कहा ’इनको टिकट जरूर मिलनी चाहिए।’ शाह ने कहा-’तथास्तु!’ इस मुलाकात के चौथे-पांचवें रोज वसुंधरा के पास शाह का फोन गया और शाह ने महारानी से अर्ज किया कि ’अगले कुछ रोज में वे जयपुर पधार रहे हैं, सो उनके वे खास लोग आकर उनसे मिल लें ताकि वे आश्वस्त हो जाएं कि वसुंधरा भी पार्टी की मुख्यधारा में शामिल हो चुकी हैं।’ वसुंधरा ने शाह के इस प्रस्ताव को सहर्ष सहमति दे दी। इसके बाद शाह का जयपुर पधारना हुआ, वसुंधरा के वे खास वफादार लोग एक-एक करके शाह से मिले, उनसे वन-टू-वन बातचीत हुई, चुनाव लड़ने के लिए पार्टी की ओर से उन्हें आर्थिक मदद का वादा भी हुआ। सब सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ, पर तब राजनीति के भगवा चाणक्य ने वहां पांसा पलट दिया था। वसुंधरा को भी इस बात का इल्म तब हुआ जब वह अपना नामांकन पत्र दाखिल करने जा रही थीं और उनके साथ उन 18 में से मात्र 4 विश्वासपात्र लोग ही जुट पाए। बाकी के लोगों के बयान सामने आ रहे थे, जिसमें से कोई कह रहा था-’हम पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं, मोदी जी ही हमारे नेता हैं’ कोई राजस्थान में इस बार भाजपा की हवा बता रहा था, पर वसुंधरा इनके बयानों से नदारद थीं, लग रहा था जैसे कि इन पर शाह का जादू चल गया है।

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छत्तीसगढ़ में भाजपा कैसे लड़ाई में आई?

Posted on 27 November 2023 by admin

ख्वाबों की ताबीज बनाता हूं मैं

सपने नए हरदम दिखाता हूं मैं

तुम नींद में हो तो मेरा क्या कुसूर 

जमीं से आसमां तक सीढ़ियां लगाता हूं मैं

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में दूसरे व अंतिम चरण के मतदान के बाद अब भाजपा नेताओं के कंधे पहले की तरह झुके हुए नहीं थे। दरअसल, छत्तीसगढ़ को लेकर भाजपा ने कहीं पहले हथियार डाल दिए थे, पार्टी का अपना जनमत सर्वेक्षण भी वहां कांग्रेस को लड़ाई में काफी आगे बता रहा था। पार्टी के एक ऐसे ही जनमत सर्वेक्षण पर पीएमओ के एक तेज तर्रार अफसर की निगाहें पड़ गईं, उन्होंने पाया कि इन जनमत सर्वेक्षण के नतीजों में चंद विसंगतियां निहित हैं। इस सर्वेक्षण में एक ओर मुख्यमंत्री बघेल की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज हुई है, वहीं दूसरी ओर उन्हें जीत के घोड़े पर सवार बताया जा रहा है। इसी अफसर ने यह बात पीएम के संज्ञान में लायी और जोर देकर कहा कि ’आपके वहां लगातार जाने से पूरी चुनावी हवा बदल सकती है।’ फिर पीएमओ वहां अपनी ओर से जमीनी हकीकत की पड़ताल में जुट गया तो पता चला कि वहां बड़ी इमारत तो खड़ी है पर उसमें अंदर से दीमक लगी है। फिर क्या था भाजपा ने अपने छत्तीसगढ़ यूनिट को और ज्यादा सक्रिय होने के निर्देश दिए, पीएम की वहां पहले महज़ तीन रैलियां आहूत थी, पर दूसरे यानी अंतिम चरण के चुनाव तक पीएम वहां अपनी नौ रैलियां कर चुके थे, योगी व शाह ने भी दनादन कई रैलियां कर दीं। सुप्तप्रायः भाजपा कैडर में एक नई जान आ गई थी। 

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जातीय जनगणना के लिए तैयार हैं मोदी?

Posted on 27 November 2023 by admin


’चलो उतारते हैं हम दोनों एक दूसरे के चेहरों से मुखौटे
मेरा आइना भी भूल गया है कि मैं अब दिखता कैसा हूं’

सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं है, चुनांचे जातीय जनगणना पर विपक्षी दलों के समवेत स्वरों को हमेशा झुठलाने वाली भाजपा ने अब रणनीति बदलने का फैसला किया है। कांग्रेस ने लगातार ओबीसी हक और जातीय जनगणना की मांग को तूल दिया है, खासकर राहुल गांधी ने इसके सिरों को जोड़ कर 2024 चुनाव के लिए रोड मैप भी तैयार कर लिया है। सो, राहुल के इस ब्रह्मास्त्र को फुस्स करने के लिए मोदी संसद के शीतकालीन सत्र में जातीय जनगणना कराने के लिए राजी हो सकते हैं और सबसे अहम तो यह कि इसकी रिपोर्ट भी महज़ तीन महीने में यानी फरवरी तक आ सकती है। पर चतुर सुजान मोदी की योजना इसमें एक पेंच फंसाने की है यानी जातीय जनगणना में उप जातियों की जनगणना भी शामिल की जा सकती है। भाजपा का अपना अनुमान है कि ’मुख्य जातियों में डिवीजन का फायदा उसे 24 के चुनावों में मिल सकता है।’ मिसाल के तौर पर भाजपा ने बिहार में यादव वोटों के बोलबाले को मद्देनज़र रखते अपनी ओर से नंद किशोर यादव, राम कृपाल यादव, नित्यानंद राय सरीखे कई यादव नेताओं को हमेशा तरजीह दी, पर बिहार के यादवों ने अपना नेता लालू यादव और उनके परिवार को ही माना। मिसाल के तौर पर भाजपा चाहती है कि ’बिहार-यूपी जैसे राज्यों में यादव की उप जातियों को भी चिन्हित कर सामने लाया जाए, जिससे यादव वोट बैंक में दरार पड़ सके।’

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