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त्रिवेदी को प्रमोशन

Posted on 06 February 2013 by admin

अपनी दूसरी पारी में राजनाथ सिंह अपने राजनैतिक सलाहकार सुधांशु त्रिवेदी को एक महती जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। सनद रहे कि यह वही त्रिवेदी हैं जिन्होंने खम्म ठोंक कर यह भविष्यवाणी की थी कि राजनाथ सिंह को दूसरा अध्यक्षीय टर्म मिलेगा, और ऐन वक्त पर ऐसा घटित भी हुआ। त्रिवेदी विज्ञान के साथ-साथ इतिहास, संस्कृति व दर्शन शास्त्र के भी गंभीर अध्येता हैं, जिनकी ज्योतिष शास्त्र व राजनीति में उतनी ही दिलचस्पी है। राजनाथ सिंह ने अपने पहले अध्यक्षीय टर्म के बाद इस बात के संकेत दिए थे कि उनके कार्यकाल में त्रिवेदी की प्रतिभा के साथ यथोचित न्याय नहीं हो पाया था। सूत्र बताते हैं कि इस दफे त्रिवेदी को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया जा सकता है।

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आईबी की नार पत्रकारों पर

Posted on 23 January 2013 by admin

आईबी की नार 8 से 10 वैसे भारतीय पत्रकारों पर बनी हुई है पाकिस्तानी दूतावास जिनके निरंतर संपर्क में रहता है। इसमें से दो महिला पत्रकार हैं जो एक अंग्रेजी न्याू चैनल से जुड़ी हैं और अपनी तेवर वाली पत्रकारिता के लिए जानी जाती हैं। आईबी को शक है कि इन पत्रकारों को पाकिस्तानी पक्ष दिखाने में ज्यादा दिलचस्पी रहती है। सो, ये अपने टॉक शो, कॉलम या न्याू रिपोर्टिंग में खुल कर पाकिस्तान का पक्ष रखने व दिखाने की कोशिश करते हैं। पहले पाकिस्तानी दूतावास इन पत्रकारों से ई-मेल के माध्यम से संपर्क में रहता था, जब इनके मेल मॉनिटर होने लगे तो पाक दूतावास ने कोरियर कंपनी का सहारा लिया है। इन पत्रकारों को नियम से वे सूचनाएं व दृष्टिकोण मिल जाते हैं जो पाकिस्तान चाहता है। मुमकिन है कि आने वाले कुछ दिनों में कुछ बड़े पत्रकारों पर सरकार का शिकंजा कस जाए।

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पाक ताक पर

Posted on 15 January 2013 by admin

मोदी के ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के कराची से व्यापारियों का एक समूह भी अहमदाबाद आया था। वे गुजरात में निवेश और व्यापार की संभावनाएं तलाश करने के वास्ते आए थे और इसी मकसद से उन्हें ‘वाइब्रेंट गुजरात’ कार्यक्रम में शामिल होना था। पर जिस तरह से भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर हालिया दिनों तनाव बढ़ रहा था उसके मद्देनार मोदी के मैनेजरों ने इन पाक उद्योगपतियों को होटल में रूके रहने पर विवश कर दिया। मोदी के रणनीतिकारों का मानना था कि अभी पाकिस्तानी निवेश के लिए गुजरात में माहौल ठीक नहीं है। अब ये पाकिस्तानी व्यापारी जानना चाहते थे कि अगर बात ऐसी थी तो उन्हें फिर गुजरात बुलाया ही क्यों गया? तब मोदी के मैनेजरों ने उन्हें समझाना चाहा कि तब बॉर्डर पर फायरिंग की घटना नहीं घटी थी।

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डर गए डेरेक

Posted on 26 December 2012 by admin

पिछले दिनों सीपीएम के लोकसभा सांसद रामचंद्र डोम के पास एक शानदार क्रिसमस केक पहुंचा, जो तृणमल के राज्यसभा सांसद व दीदी के खासे दुलारे डेरेक-ओ ब्रायन की तरफ से शुभकामनाओं समेत था। अगले दिन जब माकपा सांसद सेंट्रल हॉल पहुंचे तो उन्होंने डेरेक की इस बात की तारीफ कई साथी सांसदों से कर डाली, एक-दो पत्रकार भी सेंट्रल हॉल में यह खबर सूंघते पाए गए। इस बात की भनक जैसे ही डेरेक को लगी, वे चौकस हो गए कि बात कहीं ममता दीदी के कानों तक ना जा पहुंचे। सो, उन्होंने फौरन अपनी सफाई में यह कहना शुरू कर दिया कि उन्हें तो मालूम भी नहीं कि किसी सीपीएम सांसद को ऐसा कोई केक भेजा गया है। यह काम तो उनकी कंपनी करती है, जो 5000 से ज्यादा क्रिसमस केक शुभकामनाओं के तौर पर भेजती है। सो, गलती से एक केक सीपीएम सांसद को भी चला गया होगा।

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…और अंत में

Posted on 20 December 2012 by admin

यह हाथी पर हाथ का ही कमाल नहीं तो और क्या था, कहते हैं कि मायावती ने राज्यसभा में जो स्पीच पढ़ी वह भी कमलनाथ की ही ड्राफ्ट की हुई थी।

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भगवा रंग हाथ में

Posted on 20 December 2012 by admin

भाजपा के एक प्रमुख नेता जो अपने बागी तेवरों के लिए जाने जाते हैं, इनकी पुत्रवधु का कांग्रेस कनेक्शन कईयों को हैरत में डालने वाला है। पहले इनकी पुत्रवधु को जयराम रमेश के इर्द-गिर्द मंडराते देखा जा सकता था। सूत्र बताते हैं कि ये आजकल पी.चिदंबरम के बेहद करीबियों में शुमार हो गई हैं। क्या यह सब ससुर जी की नॉलेज में है? अगर नहीं है तो फिर ससुर जी क्यों दुनिया जहां की अर्थव्यवस्था को जानने का दावा करते हैं।

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चैनल को भूतों का डर

Posted on 20 December 2012 by admin

तमाम मॉडर्न तकनीक से लबरेज एक तेज चैनल को भूतों का डर सता रहा है। पहले इस चैनल का दफ्तर नई दिल्ली के झंडेवालान् इलाके में स्थितथा। फिर यहां से उसे नोएडा की एक अति आधुनिक बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया। जिस जगह पर चैनल का नया दफ्तर व स्टूडियो बना है, कभी वह मरहूम यश चोपड़ा की जमीन हुआ करती थी। जैसे ही इस चैनल का दफ्तर अपनी इस नई बिल्डिंग नोएडा में शिफ्ट हुआ अचानक शॉर्ट सर्किट से इसमें आग लग गई जैसे-तैसे इस आग पर काबू पाया जा सका। फिर एक दिन अचानक दफ्तर की फाल्स सीलिंग धड़ाम से नीचे गिर गई। चैनल में काम करने वाले पत्रकारों व कर्मचारियों की आम शिकायत है कि जब वे अपनी कार पार्क करने इस बिल्डिंग की बेसमेंट में जाते हैं तो हवा में लहराता हुआ कोई अदृश्य हाथ उनके गालों पर तमाचा जड़ जाता है। अब लोग इसे भूत व्याधि समझ रहे हैं। इससे मुक्ति के लिए चैनल ने भूत भगाओ अभियान छेड़ रखा है। भूत भगाने वाले एक्सपर्ट कई गुणी ओझा-पंडितों की सेवाएं ली जा रही हैं। दिन-रात हवन चल रहा है। हर तरफ धुआं ही धुआं है, पर उसमें भी कहीं न कहीं कोई आग तो यकीनन ही है।

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गेंद कांग्रेसी पाले में

Posted on 20 December 2012 by admin

मायावती ने तो अपनी दोस्ती सिध्द कर दी है, अब बारी कांग्रेस की है। क्या कांग्रेस का फ्लोर मैंनेजमेंट एससी-एसटी बिल पास करा पाएगा जो कि मायावती की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। इस बिल को पारित करवाने के लिए न सिर्फ संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है बल्कि उसे पास कराने के लिए सदन का दो-तिहाई बहुमत भी अनिवार्य होगा। सपा पहले से ही इस बिल का पुरजोर विरोध कर रही है। दूध की जली भाजपा भी इस बार कोई भी गलती दुहराना नहीं चाहेंगी।कमलनाथ एंड कंपनी के लिए असली परीक्षा की घड़ी आ गई है।

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कमलनाथ से नाराज कमल पार्टी

Posted on 28 November 2012 by admin

नए संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। मौजूदा संसद सत्र को लेकर कमलनाथ के ‘फ्लोर मैनेंजमेंट’ पर भी कांग्रेसियों की भृकुटियां तनी हैं। यहां तक कि प्रमुख विपक्षी दल भाजपा भी कमलनाथ के अक्खड़ रवैए से नाराज बतायी जाती है। संसद को सुचारू रूप से चलाने को लेकर कमलनाथ ने भाजपा के एक शीर्ष नेता से बात की थी। भाजपा नेता को कमलनाथ का लहाा इस कदर नापसंद आया कि उन्होंने बकायदा सोनिया गांधी को फोन कर उनसे इस बात की शिकायत की। या तो कमलनाथ अपना व्यवहार बदलें या मनमोहन अपना मंत्री।

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मुश्किल में एपी

Posted on 28 November 2012 by admin

पूर्व सीबीआई डायरेक्टर ए.पी.सिंह के लिए आगे की राह मुश्किल होने वाली है। रिटायरमेंट के बाद उनका राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में बतौर मेंबर जाना तय था। उन्हें पिछले कई महीनों से इस बारे में सरकार से आश्वासन भी मिल रहा था। शायद यही वजह थी कि सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर उन्हें नई दिल्ली के लुटियंस जोंस में जो बंगला एलॉट हुआ था उसको सिंह साहब ने इस उम्मीद में नहीं छोड़ा था कि उन्हें एनएचआरसी में तो जाना ही है। सो, इसी बंगले में रहते रहेंगे। समझा जाता है कि भाजपा के विरोध के चलते सरकार अब एनएचआरसी में ए.पी.सिंह की जगह एस.सी.सिन्हा को ला सकती है। सनद रहे कि ये वही एस.सी.सिन्हा हैं जो सीबीआई डायरेक्टर की रेस में रंजीत सिन्हा से पिछड़ गए हैं। बहरहाल, ए.पी.सिंह को यूपीएससी में बतौर मेंबर भेजने की तैयारी है।

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