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…और अंत में

Posted on 28 November 2012 by admin

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में शायद पहली बार आईबी का डायरेक्टर एक मुस्लिम हो सकता है। ये शख्स कोई और नहीं 1977 बैच के आईपीएस आसिफ इब्राहिम हैं। आलोक जोशी नए रॉ चीफ की रेस में सबसे आगे बताए जाते हैं।

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निशाने पर यशवंत

Posted on 28 November 2012 by admin

जैसे ही दिल्ली में पोस्टर कांड का आगाा हुआ सिन्हा कैंप का पहला शक एनआरआई बिजनेसमैन और गडकरी करीबी अंशुमान मिश्र पर हुआ। जिन्होंने इन दिनों यशवंत विरोध की अलख जगा रखी है। अंशुमान ने यशवंत सिन्हा को एक खुला पत्र लिखा है और इसकी कॉपी मीडिया को भी उपलब्ध कराई है। इसमें सबसे पहले केतन पारिख स्कैम का मसला उठाया गया है। जिसमें उन्हें जेपीसी द्वारा किन परिस्थितयों में क्लीन चिट मिली इस बात का भी ािक्र है। पत्र में यूटीआई घोटाला (जो सिन्हा के वित्त मंत्री रहते हुआ) और फ्लैक्स इंडस्ट्री के अशोक चतुर्वेदी से उनके कथित रिश्तों का भी ािक्र है। इस पत्र में लखनऊ की एक बड़ी चिट फंड कंपनी से सिन्हा के रिश्तों पर भी सवाल उठाए गए हैं। सवाल अहम है कि क्या सिन्हा के बहाने अंशुमान अपनी राजनीतिक प्रसांगिकता साबित करना चाहते हैं?

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कटारिया का मंत्रालय क्यों बदला?

Posted on 05 November 2012 by admin

राजस्थान के जाट कांग्रेसी नेता लालचंद कटारिया को आखिरकार क्यों डिफेंस मिनिस्ट्री से बाहर का रास्ता दिखाया गया? रही बात मुकदमा चलने की तो इस मामले में कटारिया कोई अपवाद नहीं अधीर रंजन चौधरी से लेकर कई अन्य नवांगतुक मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज है। दरअसल, फौज में पश्चिमी यूपी, हरियाणा व राजस्थान के जाटों की अच्छी-खासी तादाद है। सो, ऐसे में पैरवी खासकर तबादलों की चिट्ठियों की तादाद बढ़ने की आशंका था जो सेना की मूल भावनाओं के खिलाफ है। यही वजह है कि ऐन वक्त पर कटारिया का मंत्रालय बदला गया।

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भारती पर हो सकती है चार्जशीट

Posted on 30 October 2012 by admin

अब कांग्रेस एनडीए के जमाने के मामले भी खंगाल रही है। स्पैक्ट्रम आबंटन मामले में एयरटेल यानी सुनील भारती मित्तल और श्यामल घोष पर भी केस दर्ज हो सकता है। दिवंगत प्रमोद महाजन के जमाने में हुए स्पैक्ट्रम आबंटन मामले को लेकर भारती और घोष पर चार्जशीट फाइल होने जा रही है।

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…और अंत में

Posted on 25 September 2012 by admin

काले कोयले की तपिश झेल रहे सुबोधकांत सहाय और श्रीप्रकाश जायसवाल की केंद्रीय कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है। पर कांग्रेस के लिए ारूरी और उसकी माबूरी बन गए अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा जो संगठन की सेवा में लगे हैं, इनका बाल बांका नहीं होनेवाला।

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दीदी से दूर हो सकते हैं केडी

Posted on 25 September 2012 by admin

ममता बनर्जी के कभी सबसे विश्वस्त सहयोगियों में शुमार होने वाले उद्योगपति के.डी.सिंह अब तृणमूल से अलहदा कांग्रेस में अपने लिए संभावनाओं की नई ामीन तलाश करने में जुट गए हैं। सिंह झारखंड से राज्यसभा के सदस्य हैं, इनके व्यापारिक हित दिल्ली और पंजाब में ज्यादा हैं। सो, जब दीदी का कनेक्शन कांग्रेस व केंद्र से टूट गया है तो ऐसे में उद्योगपति के हित केंद्र में सत्तारूढ़ दल के बगैर कैसे अक्षुण्ण बना रह सकता है। यही सोच कर सिंह साहब भी पैंतरे बदल रहे हैं।

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मनमोहन की चौकड़ी

Posted on 25 September 2012 by admin

कोलगेट… एफडीआई इन रिटेल… पेट्रो पदार्थों की मूल्यवृध्दि राो नए संकटों से जूझ रहे प्रधानमंत्री को अपनी किस कोर टीम पर सबसे ज्यादा भरोसा है? यह वह कोर टीम है जिसकी पीएम सबसे ज्यादा सुनते हैं या वे पीएम के आंख, नाक, कान हैं। मसलन, मोंटेक सिंह आहलूवालिया, टी.के.ए.नायर, पी.चिदंबरम (कपिल सिब्बल की इस टीम से छुट्टी हो गई है चुनांचे कैबिनेट के आगामी फेरबदल में उनसे मानव संसाधन मंत्रालय भी वापिस लिया जा सकता है) पुलक चटर्जी यानी इन चार की चौकड़ी ने फिलवक्त पीएम के दिल-दिमाग पर कब्जा किया हुआ है।

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…और अंत में

Posted on 19 September 2012 by admin

प्रणब दा ने अपनी ओर से दीपादास मुंशी का नाम आगे किया है कि केंद्र सरकार में बंगाल कांग्रेस की कोई नुमाइंदगी नहीं है। सच तो यह है कि प्रणब दा दीपा दास को अपने पुत्र व पुत्री के राजनीतिक भविष्य के लिए कोई खतरा नहीं मानते हैं।

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जंग बहादुर की जंग

Posted on 19 September 2012 by admin

जंग बहादुर सिंह बसपा के एक सांसद इन दिनों बहिनजी से तनिक नाराा चल रहे थे। अपनी नाराागी को स्वर देने के मंकसद से अभी पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली के एक कम पॉपुलर अंग्रोी अंखबार को लंबा इंटरव्यू दे डाला। और उस इंटरव्यू में थोड़ी बहुत अपनी भड़ास भी निकाल ली। सिंह साहब ने सोचा था कि एक कम वितरित होने वाले अंग्रोी अंखबार में छपे इंटरव्यू का बहिनजी भला क्या नोटिस लेंगी। जिस दिन यह इंटरव्यू छपा उसी राो सुबह ठीक पौने आठ बजे सिंह साहब के फोन की घंटी बजी तो दूसरी ओर स्वयं बहिनजी थीं, जो यह जानना चाहती थीं कि उन्हें इतना अनर्गल बोलने की भला क्या ारूरत थी? अब एमपी साहब से सफाई देते नहीं बन रहा था।

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अमेरिकी मीडिया क्यों है नाराज ?

Posted on 19 September 2012 by admin

मनमोहन सिंह के बाद अब राहुल गांधी अमेरिकी मीडिया के निशाने पर हैं। कारण अमेरिका इस बात से यूपीए-2 सरकार से खासा नाराा बताया जाता है कि इस सर्वशक्तिमान देश को तमाम आश्वासनों के बावाूद मनमोहन सरकार अभी तक खुदरे यानी रिटेल में एफडीआई नहीं ला पाई है।

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