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राष्ट्रपति भवन की कॉफी

Posted on 05 November 2012 by admin

मुल्क़ के महामहिम प्रणब दा भले ही इन दिनों सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर आसीन हो कर रायसीना हिल्स की शोभा बढ़ा रहे हों पर उनके बारे में अब भी कहीं शिद्दत से माना जाता है कि कांग्रेस में उनसे ज्यादा पॉलिटिकल और कोई दूजा नहीं था। चुनांचे एक ओर जहां दादा की अतिरिक्त राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मारने लगती हैं तो यदा-कदा अपने दिल की बात शेयर करने के लिए वे अहमद पटेल, नारायणसामी और राजीव शुक्ल को अपने यहां रात की कॉफी पर बुला ही लेते हैं और देश के सियासी हालात से अपडेट भी हो जाते हैं।

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राहुल का दिल

Posted on 30 October 2012 by admin

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी की उलझन अंत समय तक बनी रही। वहीं उनकी मां सोनिया और बहन प्रियंका चाहती थीं कि राहुल मनमोहन मंत्रिमंडल में शामिल होकर अपनी गवर्नेस की क्षमता से देशवासियों को वाकिफ कराएं। राहुल के लिए जिन दो मंत्रालयों के विकल्प पर विचार हुआ वह हैं मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय। इस बाबत गांधी परिवार के कई वफादार नेताओं को बुलाकर बकायदा उनसे राय ली गई। ज्यादातर नेता राहुल के मंत्री बनने के पक्षधर थे, तो कुछ उन्हें कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत कर रहे थे। वहीं राहुल की अपनी राय थी कि वे मंत्रिमंडल में खुद शामिल न होकर अपने युवा साथियों को सरकार में और बेहतर और महती जिम्मेदारियां दिलवाएं।

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(English) Is Salman next?

Posted on 17 October 2012 by admin

Leider ist der Eintrag nur auf English verfügbar.

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कोलगेट और जेटली

Posted on 08 October 2012 by admin

इन दिनों राज्यसभा के एलओपी अरूण जेटली जांच एजेंसियों से खासे नाराज़ बताए जाते हैं और इन्होंने अपनी नाराागी राज्यसभा के चेयरमैन हामिद अंसारी को भी पत्र लिख कर बता दी है। सूत्र बताते हैं कि इस ंखत का मामून है कि कोलगेट मामले में जांच के बहाने जांच एजेंसियों के अफसर उन्हें बोा परेशान कर रहे हैं। हुआ कुछ यूं कि कोलगेट के घोटाले में जब आईबी और सीबीआई अधिकारियों ने पड़ताल की तो पाया कि सभी बड़ी कंपनियों ने मसलन टाटा, जिंदल आदि ने फाइल में सबसे ऊपर नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली का ‘ओपिनियन’ लगा रखा है। जिसमें लिखा गया है कि ‘कोल ब्लॉक के आबंटन जायज़ तरीके से हुए हैं।’ जब जांच एजेंसियों ने जेटली से इस बाबत पूछताछ की तो जेटली का कहना था कि यह ओपिनियन उन्होंने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने से पहले दिया था और यह उनके ‘प्रोफेशन’ के मुताबिक था और अब कोलगेट का विरोध वे नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कर रहे हैं। जांच एजेंसियों और कांग्रेसी हुकुमत को यह तर्क रास नहीं आ रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसे एक ओपिनियन की फीस लाखों में होती है।

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रेल पर चढ़ेगा कांग्रेसी रंग

Posted on 25 September 2012 by admin

ममता संकट से उबरने की कोशिश में जुटी यूपीए-2 सरकार आनेवाले दिनों में अपने गठबंधन साथियों को लेकर कई कड़े फैसले ले सकती है। मसलन, मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की बातचीत में यह सहमति बनी है कि अब से रेलवे मंत्रालय किसी गठबंधन साथी के बजाए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस के पास ही रहेगा। यह मंत्रालय माौदा वंक्त में अतिरिक्त प्रभार के तौर पर गुलाम नबी के सुपुर्द किया जा सकता है। इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्रालय भी कांग्रेस के पास ही बना रहेगा चूंकि कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी के तमाम ड्रीम प्रोजेक्ट्स का यह संचालन केंद्र है और मंत्रालय का बजट भी बड़ा है। वैसे, रेलवे को लेकर डीएमके टी.आर.बालू के लिए खासी लॉबिंग कर रही है, पर लगता नहीं इस बार बिल्ली के भाग्य से छींका टूटेगा। इसके अलावा कांग्रेस कानून और कार्मिक यानी पर्सनल मंत्रालय भी अपने पास ही रखेगी। अगर यूपीए के गठबंधन साथियों की बात की जाए तो स्वास्थ्य और पर्यावरण डीएमके का सदैव से पसंदीदा मंत्रालय रहा है। ठीक वैसे ही जैसे एनडीए के कार्यकाल में जयललिता अपने लिए कानून, वित्त (राज्य मंत्रालय) और कार्मिक मंत्रालयों की मांग करती आई थीं।

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जयपाल का राजतिलक

Posted on 19 September 2012 by admin

पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी को हटाने के लिए बड़े अंबानी का खासा दबाव है। इसे देखते हुए सोनिया गांधी ने यह तय किया है कि क्यों नहीं जयपाल को केंद्र से हटाकर आंध्र प्रदेश के मुखिया की गद्दी सौंपी जाए। खासकर ऐसी सूरत में जब कांग्रेस के लिए आंध्र में नित नई परेशानियां खड़ी करने वाले जगन मोहन रेड्डी ने अपनी क्षेत्रीय पार्टी का विलय कांग्रेस में करने के लिए रााी हो गए हैं। वहीं टीआरएस भी कांग्रेस में विलय के लिए तैयार है। ऐसी सूरत में किरण रेड्डी को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी एक बार फिर से मनमोहन सरकार में शामिल होने के लिए तैयार बताए जाते हैं। समझा जाता है कि उनकी जगह महाराष्ट्र सीएम की कुर्सी नारायण राणे को मिल सकती है। एस एम कृष्णा को भी कर्नाटक प्रदेश का मुखिया बनाया जाना तय माना जा रहा है।

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राहुल से हो रही भूल

Posted on 10 September 2012 by admin

राहुल गांधी की कार्यशैली को लेकर यूपी कांग्रेस में किंचित असंतोष बढ़ता जा रहा है। उनके बारे में कांग्रेस में यह आम राय बनने लगी है कि राहुल राजनीति में निहायत भोले हैं। वे यूपी, बिहार की स्थानीय राजनीति और जातीय समीकरणों को अबतलक समझ नहीं पाए हैं, नहीं तो वे निर्मल खत्री जैसे व्यक्ति को प्रदेश कांग्रेस का मुखिया कदापि ना बनाते। और माथुर को भी कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने का खास औचित्य नहीं है। वैसे भी खत्री अकेले बिचारे क्या करें, राहुल ने 8 जोनल प्रसीडेंट बना दिए हैं। वे हैं रशीद मसूद, पी.एल.पूनिया, विजेंद्र सिंह, आर.पी.एन.सिंह, जितिन प्रसाद, विवेक सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह और राजा रामपाल। इन आठ जोनल प्रोीडेंट में से 5 तो बाहरी हैं, मसलन रशीद मसूद, पूनिया, विवेक सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह और राजा रामपाल। इस बात को लेकर भी कांग्रेसी कैडर में खासा असंतोष है कि राहुल दरबार में बाहर से कांग्रेस में आए नेताओं की ज्यादा पूछ है।

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राहुल से जब मिलें सोनिया

Posted on 04 September 2012 by admin

जब भी किसी सार्वजनिक समारोहों में राहुल और सोनिया आपस में मिलते हैं तो एकदम से छूटते ही एक-दूसरे से पूछते हैं, ‘हाउ आर यू?’ फिर दोनों का ही एक सा जवाब आता है, ‘आय एम गुड (मैं अच्छा हूं)।’ राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान या 15 अगस्त के दिन भी बिल्कुल यही नजारा देखने को मिला। अब लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह आचार-व्यवहार और अभिवादन का पाश्चात्य तरीका है या दोनों रोज मिलते हैं, मगर बात नहीं होती है।

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शिंदे हुए शर्मिंदा-

Posted on 28 August 2012 by admin

जबसे प्रणव दा की जगह सुशील कुमार शिंदे सदन के नेता बने हैं वे चाहें-अनचाहें कुछ विकट परिस्थितियों में फंस ही जाते हैं,जैसे राज्य सभा में अनजाने वे जया बच्चन से उलझ गए,कोलगेट पर विपक्षी हंगामों के बीच लोकसभा को सुचारू रूप से चलाने की फरियाद लेकर वे सदन में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से बात करने विपक्षी बेंच की तरफ बढ़े तब मैडम स्वाराज ने उन्हे तसल्ली से बात करने का आग्रह किया, शिंदे ने जब नेता प्रतिपक्ष के संग बैठकर बात करने की गरज से इधर-उध रनज़र दौड़ाई तब सुषमा की आस-पास की सभी सीटें भरी हुई थी,फिर शिंदे से आग्रह किया ”कृप्या यहां बैठें,वैसे भी इस लाकसभा चुनाव के बाद आपको यहां बैठना होगा” सुषमा का अंदाजे बयां कुछ ऐसा था कि शिंदे के पास सिवा बगले झॉकने के कोई और चारा भी नहीं बचा था।

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(English) What goes on in Congress’ mind?

Posted on 22 August 2012 by admin

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