Posted on 05 August 2013 by admin
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह जब से अमेरिका से लौट कर स्वदेश आए हैं उनके इरादे बम-बम हैं, बड़े बोल और बड़े फैसलों के हिमायती हो गए हैं, उनके राजनैतिक सलाहकारों और ज्योतिषियों ने उन्हें समझा दिया है कि ‘भाजपा की ओर से बस दो ही लोग प्रधानमंत्री बनने की रेस में हैं-एक नरेंद्र मोदी, दूसरे स्वयं राजनाथ। नरेंद्र मोदी की पार्टी और पार्टी से बाहर उनकी स्वीकार्यता को लेकर कई प्रश्नचिन्ह लगे हुए हैं। वहीं राजनाथ के नाम का कोई विरोध नहीं, चुनांचे 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं कहीं कम नहीं।’ राजनाथ के पांव अब जमीं पर कम, मंदिरों व गुरूओं के दरबार में ज्यादा पड़ रहे हैं। अभी हालिया दिनों में उन्होंने असम के प्रख्यात कामाख्या देवी मंदिर में एक बड़ा यज्ञ करवाया है और इस यज्ञ के निहितार्थ क्या हैं, यह कोई छुपी बात नहीं रह गई।
Posted on 14 July 2013 by admin
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुलाह नियम से हर शुक्रवार श्रीनगर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ लेते हैं, दिल्ली की तपती गरमी भी उन्हें अपने इरादों से डिगा नहीं पाती। बिचारी राज्य की मासूम जनता को अपने मुख्यमंत्री से मिलने का सौभाग्य ही कहां प्राप्त होता है। मुख्यमंत्री जी को भी जो अपनी जनता से कहना होता है, वे ‘ट्वीट’ कर लिया करते हैं। दिल्ली में दो-तीन दिन उमर के क्या प्रोग्राम होते हैं वह किसी को नहीं मालूम, सिवा एक महिला न्याू एंकर के जिसके साथ मुख्यमंत्री को अक्सर देखा जा सकता है।
Posted on 08 July 2013 by admin
भाजपा के कई दिग्गज नेता आने वाले आम चुनाव में अपनी संसदीय सीट बदलने का इरादा रखते हैं, मसलन अडवानी गांधी नगर के बजाए भोपाल से लड़ना चाहते थे, पर वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी यह सीट छोड़ने को राजी नहीं हुए। सो, भाजपा की एक प्रमुख नेता सुषमा स्वराज वरिष्ठ अडवानी के लिए अपनी विदिशा की सीट छोड़ने को राजी हो गई हैं। पर अडवानी की मुश्किल यह है कि विदिशा में सेक्स स्कैंडल में फंसे मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी का अच्छा असर है, यह दांव कहीं उनके लिए उल्टा ना पड़ जाए। सो, अडवानी ने दिल्ली पर भी अपनी नारें टिका रखी हैं। सुषमा स्वराज इस दफे हरियाणा के फरीदाबाद या फिर नई दिल्ली से चुनाव लड़ सकती हैं। मेनका गांधी वापिस अपनी पुरानी सीट पीलीभीत लौटना चाहती हैं। वरूण गांधी अपने पिता के संसदीय क्षेत्र रह चुके सुल्तानपुर के सुल्तान बनना चाहते हैं, शाहनवाा हुसैन भागलपुर के बजाए अररिया आना चाहते हैं। राजनाथ सिंह की नार गााियाबाद से हटकर लखनऊ और गौतमबुध्द नगर पर टिकी हैं। नरेंद्र मोदी भी इस दफे का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, उनकी नारें यूपी की लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद व कानपुर में से किसी सीट पर हो सकती है। वे गुजरात के मेहसांणा से भी चुनाव लड़ सकते हैं।
Posted on 29 June 2013 by admin
उत्तराखंड की आपदा से जूझने में हमारे सरकारी तंत्र की नाकामी सबक सामने है। गर हमारी चौकस सैन्य बलों ने दिन-रात एक न किया होता तो मासूमों की मौत के आंकड़े और भी भयावह कहानी कह रहे होते। सबसे अहम सवाल तो यह कि राहत कार्य शुरू होने में इतनी देरी क्यों हुई, उत्तराखंड सरकार नें केंद्र से सेना की मदद पहले क्यों नहीं मांगी? आखिर क्यों इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी विजय बहुगुणा तमाम संवेदनाओं को ताक पर रख कर परिवार सहित स्विट्जरलैंड जाने की जुगत भिडाते रहे और केंद्र की डांट के बाद ही उन्होंने अपनी प्रस्तावित यात्रा कैंसिल की। पीएम और सोनिया के दौरे के बाद भी आपदा प्रबंधन टीम क्यों हरकत में नहीं आ पायी? सूत्रों की मानें तो इस बात से नाराा राहुल गांधी बहुगुणा की तुरंत छुट्टी चाहते थे, पर सोनिया ने उन्हें कुछ और मुहलत देने को राजी हो गई हैं।
Posted on 18 June 2013 by admin
दिल्ली के भाजपा प्रभारी को लेकर छिड़ा घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। वैसे तो पार्टी ने एक तरह से विजय गोयल को दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाने के साथ ही यह तय कर दिया था कि यहां का प्रभार अब किसी पूर्वांचल अथवा बिहारी नेता के हाथों में सौंपा जाएगा। फिलहाल तीन नाम रेस में हैं-कलराज मिश्र, रविशंकर प्रसाद और शाहनवाज हुसैन। भाजपा का एक ताकतवर वर्ग कलराज मिश्र के नाम का विरोध सिर्फ इसीलिए कर रहा है कि मिश्र की सुधांशु मित्तल से काफी निकटता है। दिल्ली भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष विजय गोयल का भी सुधांशु मित्तल से काफी याराना है। प्रसाद और शाहनवाज में से शाहनवाज को राजनाथ सिंह अडवानी कैंप का एक प्रमुख चेहरा मानते हैं। ऐसे में दिल्ली भाजपा प्रभारी को लेकर रविशंकर प्रसाद की दावेदारी सबसे प्रबल है।
Posted on 10 June 2013 by admin
सिने अभिनेता व कांग्रेस सांसद राज बब्बर अपनी लोकसभा की मौजूदा सीट फिराोाबाद को बदलना चाहते हैं। इन दिनों वे राहुल ब्रिगेड के एक अहम सदस्य में शुमार होते हैं। फिराोाबाद वही सीट है जहां से उन्होंने मुलायम की पुत्रवधु डिंपल को शिकस्त दी थी। यादव परिवार आज एक बदले परिदृश्य में राज बब्बर से बदला लेने को अमादा है और फिराााबाद वैसे भी यादवों को गढ़ है। अखिलेश के हाथों में यूपी की कमान है, सो बब्बर के लिए फिराोाबाद में फिर से जीत पाना काफी मुश्किल होगा। सो उनकी नार आगरा की फतेहपुर सीकरी सीट पर थी। पर फतेहपुर में उनके सबसे विश्वस्त राज कुमार चाहर ने पाला बदल लिया है और वे भाजपा में आ गए हैं। चाहर का इस सीट पर अच्छा प्रभाव है। सो, भाजपा इस दफे चाहर को इसी संसदीय सीट से मैदान में उतारना चाहती है। बदले सियासी हालात के मद्देनार बब्बर अपनी सीट बदलने को मजबूर हैं और अपने लिए एक माकूल सीट की तलाश में हैं। कांग्रेस में उनके एक अभिन्न मित्र विनोद शर्मा ने उन्हें फरीदाबाद का नाम सुझाया है। फरीदाबाद सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है और एक प्रमुख गुर्जर नेता अवतार सिंह भडाना यहां से सांसद हैं। सूत्र बताते हैं कि विनोद शर्मा ने इस बाबत राज की बात हरियाणा के मुख्यमंत्री भुपिन्दर सिहं हुड्डा से भी करवायी है। भडाना विरोधी खेमा यह तर्क दे रहा है कि भडाना को किसी और गुर्जर बहुल सीट से चुनाव लड़वा दिया जाए। प्रकारांतर में वे यूपी के मेरठ से भी सांसद रह चुके हैं। समझा जाता है कि राज बब्बर अपने मनोभावों से कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी को अवगत कराना चाहते हैं और राहुल की हरी झंडी मिलने के बाद ही वे किसी फैसले पर पहुंच पाएंगे।
Posted on 04 June 2013 by admin
बीसीसीआई अध्यक्ष पद की दौड़ में अरूण जेटली कहीं आगे निकल गए हैं, उन्होंने एक तरह से इस पूरे मुद्दे पर अपनी सुविचारित चुप्पी ओढ़ रखी है। जेटली जानते हैं कि श्रीनिवासन के खिलाफ मुंह बंद रखने का फायदा उन्हें मिल सकता है, श्रीनिवासन के समर्थकों के वोट उन्हें मिल सकते हैं। वहीं दूसरी ओर यूपीए सरकार भी इस मत की है कि आईपीएल का मौजूदा विवाद जितना लंबा खिंचे इसमें उसका फायदा है। क्योंकि सीबीआई और कोलगेट जैसे ज्वलंत मुद्दे से मीडिया और जनता का ध्यान भटक सकता है। वहीं जेटली नहीं चाहते कि आईपीएल विवाद की आंच बीसीसीआई पर इतनी ज्यादा आ जाए कि घोर-पुथल का आलम हो जाए। जेटली ने अपने खास मित्रों के समक्ष इस बाबत अपनी चिंता जाहिर की। दरअसल जेटली सपरिवार 10 जून को गर्मियों की छुट्टियों में विदेश जा रहे हैं, वे नहीं चाहते कि क्रिकेट विवाद की आंच इस कदर भड़क जाए कि उन्हें अपनी छुट्टियां कैंसिल करनी पड़ जाएं।
Posted on 04 June 2013 by admin
आईपीएल विवाद उभरने के बाद एक बार फिर से खेल विधेयक लाने की आहटें बढ़ गई हैं। प्रकारांतर में इस स्पोर्टस बिल को लाने में तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन ने खासी दिलचस्पी दिखाई थी, पर इस बिल के विरोध में शरद पवार और राजीव शुक्ला ने मोर्चा खोल दिया था। आज जितेंद्र सिह केंद्र सरकार के खेल मंत्री हैं और ये राहुल गांधी के बेहद करीबियों में शुमार होते हैं। प्रधानमंत्री की तरह राहुल गांधी की भी बड़ी स्पष्ट मान्यता है कि राजनीतिज्ञों को खेल के खेल से दूर रहना चाहिए। चुनांचे इस बदले परिप्रेक्ष्य में एक बार पुन: खेल विधेयक लाने की तैयारी है। और बीसीसीआई को जवाबदेही तय करने की भी कोशिशें चल रही हैं, स्वयं पीएम व राहुल इस बात के पक्षधर बताए जाते हैं कि बीसीसीआई को भी ‘आरटीआई एक्ट’ं के तहत आना चाहिए।
Posted on 26 May 2013 by admin
सनद रहे कि ये वही अडवानी हैं, जिन्होंने नितिन गडकरी के दुबारा अध्यक्ष बनने की राह में सबसे ज्यादा रोड़े अटकाए थे और अंत समय में गडकरी का विकेट गिराने में अडवानी करीबियों की सबसे अहम भूमिका रही थी। पर आज एक बदले सियासी परिदृश्य में गडकरी को लेकर अडवानी ने अपना स्टैंड बदल लिया है। लगता है उनका मन भी बदला है और नीयत भी। चुनांचे इसीलिए उन्होंने बकायदा भाजपाध्यक्ष को एक पत्र लिखकर गडकरी की पैरवी की है कि आगामी चार राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए जो चुनाव समन्वय समिति गठित हो रही है उसका अध्यक्ष गडकरी को बनाया जाए। अडवानी के पत्र की भाषा से यह साफ परिलक्षित हो रहा है कि चुनावी रणनीति बुनने और चुनावी मैनेजमेंट के लिए गडकरी का कोई सानी नहीं। वहीं अडवानी विरोधी खेमा इस पत्र के आशय को लेकर चिंतित है, उन्हें लगता है कि यह खत लिखकर अडवानी ने एक बड़ा दांव खेला है उन्होंने राजनाथ, नरेंद्र मोदी और गडकरी की दोस्ती में फूट के बीज बोने चाहे हैं।
Posted on 14 May 2013 by admin
Leider ist der Eintrag nur auf English verfügbar.