भाजपा का यूपी प्लॉन

September 21 2014


आखिर यूपी उप चुनाव में भाजपा का टेंट-तंबू क्यों उखड़ा? मोदी और अमित शाह की आत्म मुग्धता क्या तमाम सियासी परिधियां लांघ गईं? या पार्टी के अन्य छोटे-बड़े नेताओं और कार्र्यकत्ताआें ने इस जोड़ी की आत्म प्रवंचनाओं से तौबा कर ली? यूपी में खासा असर रखने वाले राजनाथ सिंह और वरुण गांधी जैसे भगवा नेता इस चुनाव में स्थितप्रज्ञ बने रहे, हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। सो, भाजपा के साथ आस्था रखने वाले मतदाताओं को घर से बाहर निकालने की हुंकार और हरकारे का सर्वदा अभाव था, आत्म उन्माद में डूबे चंद बड़े नेताओं को अहसास नहीं हो पाया कि जनता का मिजाज पल में तोला, पल में माशा हो सकता है, यही वजह है कि आने वाले दिनों में यूपी की भगवा सियासत में बड़ा ऊफान आ सकता है, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की विदाई हो सकती है, योगी आदित्यनाथ को ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है, और किसी फायर ब्रांड नेता की बतौर अध्यक्ष ताजपोशी हो सकती है, वरुण गांधी सरीखे पार्टी के कई रूठे नेताओं को मनाया जा सकता है, और यूपी में पार्टी संगठन को नए सिरे से खंगाला और मांजा जा सकता है।

 
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