भगवा लाट साहब |
February 20 2018 |
संसद सत्र के दौरान लोकसभा व राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग होती है, जिसे दोनों सदनों के सभापति चेयर करते हैं। और सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें संसदीय कार्य मंत्री भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, तो वहीं विपक्षी दलों के नेताओं की भी इसमें मौजूदगी होती है। पिछले सप्ताह इसी कमेटी की मीटिंग आहूत थी कि सदन में किन मुद्दों पर चर्चा होनी है, राज्यसभा कमेटी की मीटिंग को इसके सभापति वेंकैया नायडू चेयर कर रहे थे, पर सरकार की ओर से कोई भी मंत्री इस बैठक में मौजूद नहीं था, पर विपक्षी नेतागण हाजिर थे। सो, विपक्ष को इस बात का एडवांटेज मिल गया और उन्होंने राज्यसभा का एजेंडा आपसी बातचीत से तय कर लिया। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक-ओ-ब्रायन ने इस बैठक से बाहर निकलकर ट्वीट किया-’भाजपा के रवैया को देख कर आप समझ सकते हैं कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को लेकर उनके मन में कितना सम्मान भाव बचा रह गया है?’ एक ओर जब राज्यसभा की इस कमेटी की बैठक चल रही थी तो दूसरी ओर लोकसभा कमेटी की बैठक भी वहां आहूत थी। वहां से भी मंत्रिगण नदारद थे, सुमित्रा ताई ने समझा कि मंत्री राज्यसभा की बैठक में होंगे, उनकी ढुंढाई हुई, पर न तो अनंत कुमार मिले और न ही अर्जुनराम मेघवाल। 25 मिनट बाद मेघवाल बैठक में तशरीफ लाए और इसके दस पांच मिनट बाद अनंत कुमार। अनंत कुमार ने सफाई देनी चाही कि वे पीएम के साथ मीटिंग में थे, पर विपक्षी नेताओं ने उनकी इस बात को ज़रा भी तवज्जो नहीं दी। |
Feedback |