भाजपा व मोदी की कुंडली

July 27 2015


इस 14 जुलाई से भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की कुंडली में कुछ बड़े बदलाव परिलक्षित हुए हैं, अगर भाजपा की कुंडली की बात करें तो इस 14 जुलाई से गुरू सिंह राषि में विराजमान हो गया है, गुरू जहां बैठे हैं वह उस भाव को कमजोर करने वाले हैं, यानी आगे अब भाजपा की राहें इतनी आसान नहीं। आने वाले चुनावों में भी भाजपा को काफी पसीना बहाना पड़ेगा। अगर बात प्रधानमंत्री की कुंडली की करें तो 14 जुलाई से गुरू मोदी की कुंडली में दषम भाव में आए हैं, इससे इस बात की चिंता उभरती है कि आगे मोदी को विषेश परिश्रम करना होगा, इससे इस बात के संकेत भी मिलते हैं कि मोदी अब जितना पराक्रम करेंगे उस अनुपात में उन्हें उतना पारितोशिक नहीं मिलेगा। ऐसा दावा एक प्रमुख भारतीय ज्योतिश एस. चांद उर्फ महेष चंद्र त्यागी का है। त्यागी का यह भी दावा है कि जब 7 अप्रैल 2016 को विक्रम संवत् बदलेगा तो भारत समेत दुनिया के अन्य मुल्कों की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखा जा सकेगा। 21 मार्च 2015 से 7 अप्रैल 2016 तक षनि राजा के और मंगल मंत्री के रोल में आसीन रहेंगे इससे काफी सियासी हलचल देखे जा सकेंगे। एस.चांद के मुताबिक 2014 के आम चुनावों में जब भाजपा को अपार सफलता मिली थी उस समय भाजपा की कुंडली में गुरू दूसरे घर में कर्क राषि में था, मिथुन इसका लग्न था। जो भाजपा का सबसे अच्छा दौर था। 2 नवंबर 2014 को षनि जब वृष्च्छिक राषि में विराजमान हो गए तो भाजपा की कुंडली में अश्टम भाव में दोनों ग्रहों में गुरू व षनि की दृश्टि थी, इसके चलते ही दिल्ली चुनाव में भाजपा की इतनी बुरी गत हुई।

 
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