चुनाव की ओर बिहार

September 18 2017


जदयू और भाजपा के रिश्तों में अब पहली वाली बात नहीं रह गई है, वैसे भी इस हालिया गठित सरकार में भाजपा जूनियर पार्टनर के बजाए बराबर की भागीदार है, महत्वपूर्ण फैसलों से पहले नीतीश के लिए भाजपा की राय लेना भी जरूरी हो गया है। नहीं तो पिछली सरकार में नीतीश सुशील मोदी को बस फैसलों के बाबत जानकारी दे दिया करते थे और सुशील मोदी भी नीतीश के ’यस मैन’ की भूमिका में थे। पर इस बार दांव पलट गया है, अमित शाह का सुशील मोदी पर पहले जैसा भरोसा नहीं रह गया है, सूत्र बताते हैं कि शाह कहीं न कहीं यह मानने लगे हैं कि सुशील मोदी पार्टी हित के बजाए अपने निजी हित को ज्यादा तरजीह देते हैं। चुनांचे बिहार में अब भाजपा के पक्ष से तमाम अहम फैसले दिल्ली से लिए जा रहे हैं। अभी एक रोज पहले ही अमित शाह ने बिहार की कोर कमेटी की अहम बैठक दिल्ली में बुलाई और उसमें पार्टी नेताओं को साफ तौर पर निर्देश मिले हैं कि नीतीश के समक्ष उन्हें किसी हाल में झुकना नहीं है। शाह बिहार में समय से पूर्व चुनाव करवाने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अगले साल अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं, भाजपा चाहती है कि लोकसभा के चुनाव भी राज्यों के चुनाव के साथ करवा लिए जाए, इसी कड़ी में बिहार को भी जोड़ा जा सकता है, अगर यह मुमकिन नहीं हुआ तो इन राज्यों के चुनावों को ही 2019 तक टाला जा सकता है ताकि राज्यों के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनावों के साथ कराए जा सके।

 
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