प्रोफेसर के लंच पर एक्टर

December 13 2016


शनैःशनैः राज बब्बर भी राहुल गांधी की विश्वासपात्र मंडली के अहम सदस्यों में शुमार हो गए हैं। कांग्रेस व सपा के चुनावी गठबंधन के प्रारूप पर द्विपक्षीय सहमति की मुहर लगवा पाने में नाकाम प्रशांत किशोर की जगह लेने की गरज से राज ने यह पहल अपने हाथों में ले ली। सूत्र बताते हैं कि वे लगातार मुलायम सिंह यादव से मिलने का समय मांगते रहे पर उन्हें नाकामी हाथ लगी। एक दिन संसद में वे प्रोफेसर रामगोपाल यादव से टकरा गए, प्रोफेसर साहब उन्हें वहीं सेंट्रल हॉल में चाय पर लेकर गए। प्रोफेसर से लंबी गुफ्तगू के बाद राज बब्बर को यह समझ में आया कि यह बाप (मुलायम) बेटे (अखिलेश) की सोची समझी रणनीति है कि इनमें से एक कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन की हिमायत करेगा तो दूसरा इसकी खिलाफत, यानी कांग्रेस का धर्मसंकट बरकरार रखना है ताकि उन्हें 60 या उससे कम सीटों पर राजी किया जा सके। कहते हैं बब्बर ने प्रोफेसर साहब से कहा कि इस दफे प्रियंका गांधी भी सक्रिय चुनावी प्रचार में उतर सकती हैं, रामगोपाल का मानना था कि प्रियंका ने यह फैसला लेने में देर लगा दी है, क्योंकि यूपी के वोटरों ने अब अपना मन बना लिया है कि उन्हें किधर जाना है।

 
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