क्या सिंधिया के लिए राहुल व अमित एक हैं? |
June 20 2020 |
ज्योतिरादित्य सिंधिया पुराने कांग्रेसी ठहरे, सो वे भाजपा के रंग में अभी ठीक से रंग नहीं पाए हैं। चूंकि वे विदेश में पढ़े-लिखे हैं सो उनकी मान्यताओं और आचरण में अब भी पश्चिमी सभ्यता की छाप साफ-साफ झलकती है। जब तक वे कांग्रेस में थे राहुल के बेहद वफादारों में शुमार होते थे और राहुल के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद भी वे राहुल गांधी को उनके फर्स्ट नेम यानी राहुल कह कर ही पुकारते थे। राहुल ने भी किंचित इन बातों का कभी बुरा नहीं माना। अब जब उन्होंने भाजपा ज्वॉइन कर ली है तो यहां भी बड़े नेताओं को उनके ‘फर्स्ट नेम’ से पुकारने से गुरेज नहीं करते। कल्पना कीजिए कि अगर भाजपा में कोई नेता ‘अमित‘ या ‘जेपी‘ का संबोधन दे तो पार्टी के आम कार्यकर्ता इस बात को कैसे हजम करेंगे? क्योंकि संघ और भाजपा के संस्कार इन बातों की अनुमति नहीं देते कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उनके पहले नाम से पुकारा जाए, सो अगर ज्योतिरादित्य को भाजपा में रहना है तो भगवा ककहरा तो सीखना ही पड़ेगा। |
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