अकेले पड़ते अज़मल

March 22 2016


असम में मौलाना बदरूद्दीन अज़मल अपने ही जाल में फंस गए लगते हैं। सूत्र बताते हैं कि चूंकि अंदरखाने से उन्होंने भाजपा से अपने हाथ मिला रखे थे, चुनांचे बड़े मुस्लिम नेता और संगठन उनके साथ आने से हिचकिचा रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी कंपनी द्वारा उत्पादित ’अगर’(एक तरह की खुशबू) के खरीददार और मौलाना को आर्थिक मदद पहुंचाने वाले खाड़ी देशों के शेख भी इस बात से खुश नहीं है कि मौलाना का किसी प्रकार का घोषित या अघोषित जुड़ाव भाजपा के साथ हो। चुनांचे पिछले दिनों जब अज़मल ने बारपेटा की अपनी चुनावी रैली के लिए जमीयते हिंद समेत कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों को न्यौता भेजा तथा एमआईएम के ओवेद्दीन ओवैसी को बकायदा फोन कर रैली में शामिल होने की गुजारिश की, पर इनमें से कोई भी नहीं आया। इन मुस्लिम संगठनों व नेताओं का ऐसा मानना था कि वे जितना ज्यादा एक्टिव होंगे, चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। सो, ये शांत रह कर अंदरखाने से कांग्रेस की मदद करना चाहते हैं।

 
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