अडवानी की नई राजनीति

June 21 2015


खूंटी पर टंगे हैं कई मुखौटे, पर इत्तफाक से उनके अंदर चेहरे भी हैं, जिन्होंने मुखौटे पहनने से किया इंकार, उनकी जगह खूंटी नहीं, सूली है। भाजपा के वयोवृध्द नेता अडवानी भी अपनी उदात्त महत्वाकांक्षाओं के मारे हैं, मोदी-युगीन भाजपा में भले ही उन्हें सहज़ मार्गदर्शक मंडल में जगह मिल गई हो, पर अडवानी भी गाहे-बगाहे अपनी उपस्थिति का अहसास करा ही देते हैं, आपातकाल पर दिया उनका चर्चित इंटरव्यू अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि रही-सही कसर उनकी केजरीवाल से मुलाकात से पूरी हो गई। पूरी पार्टी व सरकार कोशिश करती रही कि अडवानी-केजरीवाल मुलाकात कैंसिल हो जाए, पर अडवानी थे कि अपनी ज़िद पर अड़े रहे। अब अडवानी को लगने लगा है कि 2017 में आहूत उनकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए मोदी किंचित गंभीर नहीं, सो अडवानी अब कांग्रेस, ममता, मुलायम सभी से सीधी तार जोड़ रहे हैं। क्या यह भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोई नई रणनीति है?

 
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