अदानी की परेशानी

November 23 2015


देश के प्रमुख उद्योगपति गौतम अदानी को लेकर भी संघ की भृकुटियां तनी हुई हैं। सूत्र बताते हैं कि संघ के प्रमुख नेताओं ने प्रधानमंत्री के समक्ष यह साफ कर दिया है कि अदानी के साथ उनका सार्वजनिक रूप से दिखना पार्टी और सरकार के लिए हितकारी नहीं है और विपक्ष इस मुद्दे को बेवजह तूल दे सकता है। सूत्र बताते हैं कि 15 वर्ष पूर्व जब अटल बिहारी वाजपेयी भी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में न्यूयार्क गए थे तो उसी न्यूयार्क पैलेस होटल में ठहरे थे, जिसमें मोदी जी अब ठहरा करते हैं, न्यूयार्क की एक शाम वाजपेयी से मिलने उनके दो पुराने मित्र घटाटे जी और बी.के.मोदी आए, ये दोनों वाजपेयी को यही समझाने में जुटे थे कि वे संत सिंह चटवाल को ज्यादा महत्त्व न दें, क्योंकि उनके उपर कई बैंकों के पैसे गबन करने के गंभीर आरोप हैं। वाजपेयी इस तर्क से सहमत भी जान पड़ते थे कि वाजपेयी के होटल के बेड रूम से बाहर आसन जमाए उनके दत्तक दामाद रंजन भट्टाचार्य को चटवाल एंड कंपनी ने साध लिया और वाजपेयी सरकार में कथित रूप से उनके हित सधने लगे। सवाल यही सबसे अहम है कि क्या मोदी युग में रंजन भट्टाचार्य का वही स्थान उनके मित्र उद्योगपति गौतम अदानी ने ले लिया है? कहते हैं कि संघ की आपत्तियों का संज्ञान लेते हुए मोदी ने भी आदानी से एक घोषित दूरी बनानी शुरू कर दी है, इसकी पुष्टि मोदी के हाल के लंदन दौरे से होती है जब गौतम अदानी ने आनन-फानन में अपनी लंदन की होटल बुकिंग रद्द करवा दी। सूत्र बताते हैं कि अदानी के रूम की बुकिंग भी लंदन के उसी जेम्स कोर्ट होटल में थी, जहां मोदी ठहरने वाले थे, बाद में मोदी के तुर्की दौरे के वक्त भी गौतम अदानी का वहां कोई नामो-निशां नहीं दिखा।

 
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