‘आप’ को फंड की कमी

December 01 2014


आम आदमी पार्टी अपने इस राजनैतिक अभ्युदय काल में कई गंभीर संकटों से दो-चार हो रही है। पार्टी के जमे-जमाए पुराने चेहरे मसलन योगेंद्र यादव, मनीष सिसौदिया और कुमार विश्वास जैसे लोग नेपथ्य में चले गए हैं। आशीष खेतान और आशुतोष सरीखे जो नए-नवेले चेहरे इन दिनों केजरीवाल को खास तौर पर पसंद है, वे इतने जाने-पहचाने चेहरे नहीं, जिनको लेकर चुनावी पांसे फेंके जाएं। पार्टी के कई प्रमुख नेताओं ने बीजेपी की ठौर पकड़ ली है, कई भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। ‘आप’ का एक धड़ा इस दिशा में काम कर रहा है कि कैसे कांग्रेस समेत कुछ अन्य दलों के नेताओं को ‘आप’ ज्वॉइन कराई जाए। वहीं ‘आप’ फंड के भारी कमी से जूझ रही है, देश-विदेश से पार्टी को मिल रहे चंदे में भारी गिरावट आई है, फिलवक्त पार्टी में फंड लाने का सारा जिम्मा एक पूर्व अन्वेषी पत्रकार आशीष खेतान ने उठा रखा है। ‘आप’ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आशीष ने पूर्व में भी ‘आप’ को एक बड़ा फंड मुहैया कराया था, गौरतलब रहे कि केजरीवाल ने जब एक कांग्रेसी परिवार द्वारा चलाए जा रहे ‘इंडिया बुल्स’ के गड़बड़झालों की पोल खोली थी और सार्वजनिक तौर पर इसके काम-काज पर अंगुली उठाई थी, फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ कि केजरीवाल ने इस कंपनी का नाम लेना ही छोड़ दिया? सूत्रों की मानें तो इस कंपनी ने खेतान के सौजन्य से इस लोकसभा चुनाव के वक्त ‘आप’ को कथित तौर पर एक बड़ा चुनावी चंदा दिया था। सो, मुमकिन है कि अब केजरीवाल कॉरपोरेट घरानों पर अपने हमले की धार कुंद कर लें, चूंकि खेतान पार्टी की इन्हीं मंशाओं को चमकाने में जुटे हैं।

 
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