95 का हुआ संघ, पर जवां हैं रंग

November 09 2020


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले सप्ताह 95 वर्ष का हो गया है, पर उसकी उम्मीदें, चेहरा-मोहरा इतना जवान कभी नहीं दिखा। आप यूं भी कह सकते हैं कि संघ का यह स्वर्णिम काल है। इसकी स्थापना 1925 के दशहरा में, नागपुर की धरती पर एक पूर्व कांग्रेसी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने किया था। आज संघ दुनिया के सबसे बड़े स्वैच्छिक संगठनों में शुमार हो गया है, क्योंकि आज की तारीख में इसके सदस्यों की संख्या 80 लाख से ज्यादा बताई जाती है, देश और देश से बाहर लगने वाली इसकी शाखाओं की संख्या 60 हजार पार कर गई है। इसके आनुशांगिक संगठनों की संख्या भी 30 है, इसका एक अंग विद्या भारती भी देश में 14 हजार से ज्यादा स्कूल चलाता है, वहीं सरस्वती शिशु मंदिर के अंतर्गत 25 हजार से ज्यादा स्कूल चलते हैं, संघ एक नई परिकल्पना ’एकल विद्यालय’ के साथ सामने आया था, जिसमें एक अकेला शिक्षक ऐसे स्कूलों को चलाता है, देश भर में एकल विद्यालय की संख्या 1 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भाजपा की जड़ें जमाने में संघ का एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। इस वक्त संघ के कई प्रचारक मुख्यमंत्री और विभिन्न राज्यों के राज्यपालों की गद्दी पर काबिज हैं, स्वयं प्रधानमंत्री मोदी संघ के पुराने प्रचारकों में शुमार होते हैं। कहा जाता है कि इस दफे के बिहार विधानसभा चुनाव में दर्जनों भाजपा प्रत्याशियों को संघ की अनुशंसा पर टिकट मिले हैं। भाजपा के हालिया सांगठनिक फेरबदल में नए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की टीम बनाने में संघ प्रचारक और पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष की सबसे अहम भूमिका मानी जा रही है। पश्चिम बंगाल के आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए संघ का कैडर वहां वर्षों पहले से सक्रिय हो गया था, शायद इसीलिए संघ से बाहर के लोगों के लिए भाजपा में टिके रहना इतना आसान नहीं।

 
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