Posted on 15 August 2022 by admin
’आना-जाना तो लगा रहता है, यहां कौन किसी का सगा रहता है
लिख कर रख लो पर्चियां, यहां हर किसी के पहलू में दगा रहता है’
सियासत में जब ठहरी हुई खामोशियां बवंडर बन डराने लग जाएं, नई संभावनाएं जब सांकल हटाने लग जाए और कमरे में लगा कोई पुराना दर्पण आपके चेहरे को नया दिखाने लग जाए तो समझिए कुछ नया एकदम घटने वाला है, वही जो अभी-अभी बिहार में हुआ है, जिसने भगवा आस्थाओं की चूलें हिला दी हैं। जदयू और राजद जब फिर से साथ आए तो विपक्ष की धौंकनी चलती सांसों को जैसे एक नया पुनर्जीवन मिला हो। तेजस्वी राजद कोटे के संभावित मंत्रियों की लिस्ट लेकर दिल्ली आए और सहमति की आखिरी मुहर के लिए अपने पिता लालू यादव से मिले। मिले तो वे सोनिया-राहुल और येचुरी से भी। कहते हैं इसके बाद बीमार पड़े लालू ने नीतीश से फोन पर एक लंबी बात की। बातचीत का उन्वान था कि ’अब वक्त आ गया है कि राजद और जदयू का विलय हो, नीतीश दिल्ली की राजनीति करें, तेजस्वी पटना का मोर्चा संभाले।’ लालू का नीतीश से दो टूक कहना था-’यदि 2024 में भाजपा को रोकना है तो पुराने जनता दल को जिंदा करना ही होगा, आप अखिलेश यादव, नवीन पटनायक, देवेगौड़ा और चंद्रशेखर राव से बात करो, सब मिल जाएं तो 24 में भाजपा के लिए दिल्ली दूर हो जाएगी।’ नीतीश के हालिया बयान भी इस बात की गवाही देते हैं कि वे विपक्षी एका के नए चैंपियन बन कर सामने आना चाहते हैं।
Posted on 15 August 2022 by admin
पिछले सप्ताह हरियाणा में भाजपा की एक समीक्षा बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा संघ के कई प्रमुख नेता, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता गण और संगठन मंत्री शामिल हुए। दरअसल, यह बैठक हरियाणा के हालिया निकाय चुनाव के नतीजों के मंथन के लिए बुलाई गई थी। कुल 46 निकायों में भाजपा 22 पर, जजपा महज़ 3 पर और 19 पर निर्दलियों ने जीत दर्ज कराई थी। ‘जननायक जनता पार्टी’ यानी जजपा से जीते तीनों उम्मीदवार भी वही हैं जो पहले भाजपा से टिकट मांग रहे थे, इसीलिए जजपा की 12 में से 3 जीत को भाजपा कोई खास तवज्जो नहीं दे रही है। सो, इस मंथन बैठक में यह विचार हुआ कि क्यों नहीं चौटाला परिवार से बात कर जजपा का विलय भाजपा में करने को कहा जाए क्योंकि जाटों की पार्टी माने जाने वाली जजपा से स्वयं जाटों ने दूरी बना ली है, जजपा लोकसभा की दो सीटें हिसार और सिरसा 24 के लोकसभा के लिए अभी से भाजपा से मांग रही है, पर भाजपा शायद ही इसके लिए तैयार हो।
Posted on 15 August 2022 by admin
सबको मालूम है कि यूपी में भाजपा महामंत्री संगठन सुनील बंसल और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा है। योगी ने पार्टी हाईकमान को बंसल के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध कराए थे कि क्यों बंसल को यूपी से हटाना जरूरी है। इस दफे बंसल को संघ का भी साथ नहीं मिला और उनकी यूपी से रुखसती पर पार्टी की मुहर लग गई। अपनी रुखसती से ऐन पहले बंसल पिछले सप्ताह दिल्ली आए और लगातार तीन दिनों तक यहां जमे रहे। बड़ी मशक्कत के बाद तीसरे रोज उनकी मुलाकात भाजपा सर्वशक्तिमान अमित शाह से हुई। बंसल ने अपने तारणहार से खुद को उबारने के लिए विनती की, प्रार्थना सुनी गई, शाह ने फौरन पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष से बात की, कहते हैं संतोष ने प्रस्ताव दिया कि बंसल को पार्टी का उपाध्यक्ष बना देते हैं। इस पर बंसल रिरिया गए, बोले ‘उपाध्यक्ष तो रिटायरमेंट की दहलीज पर ले जाने वाला पद है, आगे मुझे राजस्थान से विधानसभा चुनाव भी लड़ना है, राज्य में मंत्री भी बनना है।’ इसके बाद शाह ने अपने वीटो का इस्तेमाल कर बंसल को उनके धर्मसंकट से उबार लिया और उनकी शाही वफादारी को सलाम भेजते उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त करवाने के अलावा तेलांगना, पश्चिम बंगाल और ओडिशा का प्रभार भी दिलवा दिया और अपने वफादारों में संदेश भी भेज दिया।
Posted on 15 August 2022 by admin
अभी हालिया दिनों में प्रधानमंत्री से दिल्ली में मिल कर जब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता लौटीं तो उन्होंने बांग्ला के एक दूसरे सबसे बड़े अखबार को एक ’ऑफ-बीट’ इंटरव्यू दिया है। सूत्रों की मानें तो इस इंटरव्यू में दीदी ने पीएम की तारीफों के पुल बांध दिए। दीदी ने बताया कि मोदी जी को ‘पिस्ता फ्लेवर्ड मिस्टी दोई’ बहुत पसंद है, ‘पीकॉक’ उनका पसंदीदा कलर है, सो इस बार वह पीएम के लिए मिस्टी दोई के अलावा दीघा का एक खास पीकॉक कलर का शॉल लेकर दिल्ली गई थीं। उनकी इस भेंट को पीएम ने दिल से स्वीकार किया। ममता ने इस इंटरव्यू में यह भी बताया कि वह नियम से हर गर्मियों में पीएम को बंगाल का स्पेशल माल्दा हिम सागर और लक्ष्मण भोग आम भेजती हैं। पर अगले रोज यह इंटरव्यू छपा ही नहीं, ममता को पता चला कि उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने यह इंटरव्यू रुकवा दिया था, ममता ने तब अभिषेक को तलब कर अपनी नाराज़गी जताई, इस पर अभिषेक का कहना था कि ’इस इंटरव्यू को पढ़ कर बिल्कुल ऐसा नहीं लग रहा था कि यह बंगाल की शेरनी का इंटरव्यू है, बल्कि कुछ ऐसा लग रहा था कि हम भाजपा के किसी प्रदेश अध्यक्ष का इंटरव्यू पढ़ रहे हैं।’ ममता चुप रह गईं।
Posted on 15 August 2022 by admin
पिछले दिनों जब तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी दिल्ली में थीं तो उन्होंने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुधांशु शेखर राय के घर पर अपने खास कोर ग्रुप की एक अहम बैठक बुलाई, इस चाय बैठक में सौगत राय, सुधांशु शेखर राय और अभिषेक बनर्जी जैसे तृणमूल सांसद शामिल थे। ममता ने अपने पार्टी सांसदों से अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि ’वह जब भी पार्टी के विस्तार के बारे में सोचती हैं, कोई उनके इस विचार को धरातल पर नहीं उतार पाता।’ ममता ने गोवा को इसकी सबसे बड़ी मिसाल बताया। ममता ने अभिषेक को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ’जब पार्था का ‘नोट कांड’ सामने आया तो आपने बगैर सोचे-विचारे उसे तुरंत पार्टी से बर्खास्त कर दिया, आज स्थिति यह है कि वह केंद्रीय एजेंसियों के हाथों में खेल रहा है। लोग बताते हैं कि वह ‘अप्रूवर’ बनने को भी तैयार हैं।’ दरअसल, ममता को यह चिंता सता रही है कि उनके इतने करीबी रहे पार्था अगर केंद्र सरकार के हाथों खेलने लग जाएंगे तो यह जांच की आंच निजी तौर पर उन्हें भी प्रभावित कर सकती है।
Posted on 15 August 2022 by admin
भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की वह कथित ऑडियो क्लिप सुर्खियां बटोर रही है जिसमें वे राजद और जदयू के विधायकों को प्रलोभन परोसते सुने जा सकते हैं, इस कथित ऑडियो रिकार्डिंग में वे कई विरोधी विधायकों को तोड़ने के लिए उन्हें मंत्री बनाने का आश्वासन भी दे रहे हैं। एक दबंग राजद विधायक जो कई कॉलेज के मालिक भी हैं और इस मुस्लिम विधायक के बारे में चर्चा जोर पकड़ रही थी कि वे इन दिनों तेजस्वी से नाराज़ चल रहे हैं। कहते हैं जायसवाल का यह फोन इस मुस्लिम विधायक को भी चला गया और उन्होंने किंचित धमकाने वाले अंदाज में उस विधायक से कहा-’हमें पता है कि आप क्या काम करते हैं, बहुत जल्दी आप ईडी के शिकंजे में होंगे।’ इस पर उस मुस्लिम विधायक ने पलटवार करते हुए जायसवाल से कहा-’मेरे गांव में 350 लाइसेंसी बंदूकें हैं, अपने ईडी से कहिएगा कि तैयारी करके आएं।’
Posted on 15 August 2022 by admin
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यूं तो पार्टी संविधान के मुताबिक संगठन के सबसे शक्तिशाली शख्स हैं, पर वे अपना कोई भी निर्णय पार्टी के नंबर दो से पूछे बगैर नहीं लेते। पिछले दिनों एक पत्रकार ने भाजपाध्यक्ष से इंटरव्यू के लिए समय मांगा, नड्डा ने पत्रकार से कहा, ‘बताता हूं।’ फिर नड्डा ने अपने सहायक से कहा-’जरा पूछ कर बताइए’ नड्डा के सहायक ने शाह के ऑफिस फोन लगाया और उनके सहायक से पूछा कि क्या फलां अखबार को अध्यक्ष जी का इंटरव्यू देना ठीक रहेगा। शाह के सहायक की उस अखबार को लेकर एक खास तरह की चिढ़ थी, सो बात शाह तक पहुंची भी नहीं और वहीं से ‘ना’ हो गया। अब अध्यक्ष जी के समक्ष भी ’ना’ कहने के सिवा और कोई चारा नहीं बचा था।
Posted on 15 August 2022 by admin
गहलोत कैंप इस बात को लेकर हमेशा सकते में रहता है कि देश में कोई भी मीडिया संस्थान चाहे नेताओं की लोकप्रियता का कोई भी सर्वेक्षण पेश करें उसमें सचिन पायलट अपनी जगह बना ही लेते हैं। अभी हालिया दिनों में एक नेशनल न्यूज चैनल के जनमत सर्वेक्षण में सचिन पायलट ने अपने लिए लोकप्रियता के ग्राफ में 14 फीसदी अंक जुटा लिए। इस पर राजस्थान के कुछ पत्रकारों ने गहलोत की घेरेबंदी करते उनसे पूछा-’आप इतने वरिष्ठ हैं, लोकप्रिय हैं, पर किसी भी सर्वेक्षण में आपका नाम क्यों नहीं होता?’ गहलोत ने फौरन जवाब दिया-’वे पत्रकारों के लिए राजनीति नहीं करते, न ही इन दिनों चल रही ‘मॉडर्न पॉलिटिक्स’ में ही उनकी कोई दिलचस्पी है और न ही ऐसे सर्वे की कीमत चुकाने को वे सही मानते हैं, वे जमीन से जुड़े हैं और जमीन की ही राजनीति करते हैं।’
Posted on 15 August 2022 by admin
संसद कवर करने और आने-जाने में पत्रकारों पर पहले से ही अघोषित सेंसरशिप लगी है, ऐसे में पिछले दिनों समाप्त हुए संसद सत्र के दौरान जिन पांच पत्रकारों ने राहुल गांधी को संसद के कॉरिडोर में घेर कर महंगाई और बेरोजगारी पर अपने मोबाइल पर उनका बाइट ले लिया था, उन पांचों पत्रकारों को संसद कवर करने से सस्पेंड कर दिया गया है। इसमें एक चर्चित एजेंसी के भी पत्रकार शामिल हैं। दरअसल, इस बाइट में राहुल गांधी ने महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर पीएम को पानी पी-पी कर कोसा था। जब इस बात की भनक स्पीकर ऑफिस को लगी तो फौरन इन पत्रकारों को सस्पेंड कर दिया गया। काफी मिन्नतों के बाद सत्र के आखिरी दिन इन पत्रकारों के ऊपर से सस्पेंशन की तलवार हटी और इन्हें संसद में प्रवेश का मौका मिल पाया।
Posted on 15 August 2022 by admin
’निकले हो जिस अनजान सफर पर मुमकिन है कि वहां बहुत हो अंधेरा
मेरी ये आंखें, ये चिराग रख लो और रख लो मेरे हिस्से का यह सवेरा’
उद्धव ठाकरे सियासत की उस अबूझ चाल से धोखा खा गए, उनके एक बहुत पुराने सहयोगी हैं मिलिंद नार्वेकर, जो कोई तीन दशकों से उद्धव के साथ बने हुए हैं, उनके निजी सहायक होने के बावजूद नार्वेकर उद्धव के राजनैतिक सलाहकारों में शुमार होते थे। जब महाराष्ट्र में नई-नई महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी तो सब जानते हैं कि उसमें नार्वेकर की तूती बोलती थी। पर जब उद्धव बीमार पड़े और प्रशासनिक कार्यों में उनकी सक्रियता किंचित कम हो गई तो शिवसेना के सियासी फलक पर धूमकेतु सा उभरे संजय राउत, जिनकी उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे से गहरी छनती है। फिर सीएम ऑफिस के महत्वपूर्ण फैसलों पर राउत और रश्मि की छाप दिखने लगी, ये दोनों बहुत पॉवरफुल हो गए, और कायदे से इस जोड़ी ने नार्वेकर को साइडलाइन कर दिया। नार्वेकर अपने परिवार के लिए जुहू इलाके में एक अपार्टमेंट बनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने उद्धव से मदद मांगी थी। और जब शिवसेना कोटे से राज्यसभा की दो सीट भरने का मौका आया तो नार्वेकर की इच्छा थी कि इसमें से एक सीट पर उन्हें ऊपरी सदन में जाने का मौका मिले, पर उद्धव ने अपने इस सबसे करीबी व्यक्ति की भावनाओं को अनसुना कर संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी को राज्यसभा में भेज दिया। कहते हैं नार्वेकर की दोस्ती भाजपा के एक बिजनेसमैन नेता से थी जिन्हें देवेंद्र फड़णवीस का बेहद करीबी माना जाता है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के उसी नेता के घर पर फड़णवीस और नार्वेकर की एक अहम मुलाकात हुई, कहते हैं कि इसके बाद इन मुलाकातों के सिलसिले बढ़े तो फड़णवीस के हाथ ठाकरे और राउत से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लग गए। इसके बाद ही उद्धव और राउत को घेरने की भगवा व्यूह रचनाओं ने आकर लेना शुरू कर दिया और इसके सूत्रधार बने एकनाथ शिंदे। सूत्रों की मानें तो आज की तारीख में उद्धव ठाकरे चहुंओर से इतना घिर चुके हैं कि वे भाजपा की ओर फिर से दोस्ती का हाथ भी बढ़ा सकते हैं।