Posted on 24 April 2022 by admin
’कितनी मुद्दत से सोए नहीं हो तुम सारा हम हिसाब छोड़ आए हैं
ज़िद करके हम भी तुम्हारी आंखों में चंद ख्वाब छोड़ आए हैं’
पिछले कुछ दिनों के अंतराल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की गांधी परिवार और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कम से कम तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। बातचीत का यह सिलसिला बदस्तूर आगे भी जारी रहना था, पर यूं अचानक राहुल गांधी को विदेश जाना पड़ गया। अब सवाल उठता है कि आखिरकार पीके ने कांग्रेस को वे कौन से हसीन सपने दिखाए हैं कि सोनिया, राहुल व प्रियंका समेत पूरा गांधी परिवार उनके समक्ष नतमस्तक हो गया है। गांधी परिवार से जुड़े बेहद भरोसेमंद सूत्र खुलासा करते हैं कि पीके की ओर से गांधी परिवार को अहम चार बातों का आश्वासन मिला है। नंबर एक, पीके ने गांधी परिवार से वादा किया है कि वे प्रमुख विपक्षी पार्टियों से कांग्रेस के लिए साझेदारी में बड़ी सीटों का जुगाड़ कर सकते हैं। पीके का दावा है कि वे यूपी में अखिलेश से बात कर कांग्रेस के लिए 24 के चुनाव में एक दर्जन सीटें दिलवा सकते हैं। अगर गिनती की बात करें तो पीके का दावा है कि वे कांग्रेस के लिए ममता से 5, केसीआर से 5, नवीन पटनायक से 5 और स्टालिन से 8 सीटें दिलवा सकते हैं। अभी जिन राज्यों में कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकारें हैं यानी महाराष्ट्र और झारखंड में पीके उद्धव ठाकरे और हेमंत सोरेन से भी 24 के चुनावों में कांग्रेस के लिए अच्छी खासी सीटों का जुगाड़ कर सकते हैं। पर ऐसे में सवाल उठता है कि पीके चाहे जो भी दावे करें ममता, केसीआर या नवीन पटनायक अपने संबंधित राज्यों में क्या कांग्रेस के लिए सीटें छोड़ने को तैयार हो सकते हैं, जबकि इन नेताओं को लगता है कि इनके गृह राज्यों में कांग्रेस मजबूती से लड़ाई में भी नहीं है।
Posted on 24 April 2022 by admin
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता दबी जुबान में बताते हैं कि पीके ने गांधी परिवार को भरोसा दिया है कि 2024 के चुनाव में उन्हें चुनावी खर्चे की भी चिंता नहीं करनी है। चुनावी चंदे के लिए वे इलेक्ट्रॉल बांड की मदद लेंगे, सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि केवल इस बांड की मदद से पीके ने डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। पीके ने बदले में गांधी परिवार से यह आश्वासन मांगा है कि कांग्रेस के लिए मीडिया प्रबंधन का सारा काम वही देखेंगे और वे इस बात का भी पूरा ध्यान रखेंगे कि गांधी परिवार और विशेष कर राहुल गांधी से जुड़ी कोई निगेटिव खबर मीडिया में न चले, पीके का दावा है कि देश-विदेश के मीडिया में उनका अच्छा खासा असर है। पीके ने गांधी परिवार के समक्ष यह भी साफ कर दिया है कि कांग्रेस में उन्हें किसी बड़े पद का प्रलोभन नहीं, पर चुनावी दौर में वित्तीय प्रबंधन उनके सुपुर्द होना चाहिए, ताकि वे एक व्यवस्थित और सुचारू तरीके से कांग्रेस के चुनाव प्रचार को धार दे सकें। सूत्रों की मानें तो अपने चौथे प्वाइंट के तौर पर पीके ने गांधी परिवार को यह सलाह दी है कि चार लोगों का एक व्हाट्सअप ग्रुप बने जिसमें सोनिया, राहुल, प्रियंका व स्वयं पीके शामिल रहें, और यह ग्रुप चौबीसो घंटे एक्टिव रहे। और पीके अगर किसी व्यक्ति को गांधी परिवार से मिलवाना चाहें तो उसका खुलेमन और खुलेदिल से स्वागत होना चाहिए। कांग्रेस का पूरा चुनावी कैंपेन पीके की टीम देखेगी और पार्टी के बड़े नेताओं का इसमें अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होगा। अब पार्टी के बड़े नेताओं ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि ‘क्या कांग्रेस पार्टी पीके को लीज पर दे दी गई है?’
Posted on 24 April 2022 by admin
यशवंत सिन्हा भले ही 85 साल के हो चुके हैं पर उनकी उद्दात महत्वाकांक्षाएं आज भी उतनी ही हिलौरे मारती हैं। यशवंत सिन्हा फिलवक्त तो दीदी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में हैं, पर उन्हें वहां भी उनका मनचाहा नहीं मिल पाया है। हालांकि दीदी से अब भी सिन्हा के किंचित मधुर रिश्ते हैं। सूत्र बताते हैं कि सिन्हा ने दीदी को इस बात के लिए तैयार कर लिया है कि ममता यशवंत सिन्हा का नाम विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर चलवाएंगी। दीदी से हामी मिलने के तुरंत बाद समझा जाता है कि सिन्हा ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से बात की। सूत्रों की मानें तो इन दोनों मुख्यमंत्रियों को सिन्हा के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद सिन्हा ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर उनसे उनका समर्थन मांगा। कहते हैं सिन्हा के प्रस्ताव पर सोरेन ने सहर्ष सहमति देते हुए कहा कि ’यह झारखंड के लिए गौरव की बात होगी कि झारखंड का कोई व्यक्ति देश का राष्ट्रपति बने।’ जब इस सुगबुगाहट की आहट सोनिया गांधी को लगी तो उन्होंने सबसे पहले गुलाम नबी आजाद से बात की और उनसे जानना चाहा कि ’क्या वे राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं?’ तो गुलाम नबी ने यह प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि ’वे महज़ हारने के लिए राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ना चाहते।’ समझा जाता है कि इसके बाद कांग्रेस भी सिन्हा के समर्थन में खड़ी हो सकती है।
Posted on 24 April 2022 by admin
सियासी नेपथ्य की बतकहियों में पहले भी कई बार इस बात का जिक्र हो चुका है कि शशि थरूर का मन अब कांग्रेस में रम नहीं पा रहा। बीच में यह भी सुनने को मिला था कि थरूर तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी के निरंतर संपर्क में हैं। यह भी सुनने में आया था कि ममता के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी डेरेक ओ ब्रायन को साथ लेकर थरूर से मिलने पहुंचे थे। पर लगता है थरूर की उद्दात महत्वाकांक्षाएं टीएमसी के छोटे आंगन में समा नहीं पा रही। सो पिछले दिनों केरल भाजपा के एक प्रमुख नेता जो मोदी सरकार में पहले मंत्री भी रह चुके हैं, वे थरूर से मिलने पहुंचे और थरूर को भाजपा में शामिल होने का आमंत्रण दिया। यह कहते हुए कि ’तिरूवंतपुरम जहां से थरूर सांसद हैं, वहां भाजपा तेजी से अपना जनाधार बढ़ा रही है। पिछले चुनाव में भी भाजपा को यहां 3,16,142 वोट आए थे। सो, अगर 24 का चुनाव उन्हें तिरूवंतपुरम से ही जीतना है तो उनके समक्ष भाजपा से अच्छा और कोई विकल्प नहीं,’ पूर्व में भी कई मौकों पर थरूर पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ चुके हैं, जो इस धारणा को पुख्ता करता है कि थरूर को वैसे भी भाजपा से कोई एलर्जी नहीं। समझा जाता है कि भाजपा की ओर से थरूर को यह भी आश्वासन मिला है कि ’वे चाहें तो नई दिल्ली संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं।’ जाहिर है इन दिनों थरूर का दिल भगवा-भगवा है।
Posted on 24 April 2022 by admin
सूत्रों के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो शायद यह पहली बार है कि विदेश स्थित भारतीय दूतावासों में भारतीय राजनयिकों की नियुक्तियों के लिए संघ की ओर से कोई लिस्ट ऊपर भेजी गई है। वैसे तो संघ के इरादे अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में अपनी पसंद के राजनयिक भेजने का है, पर सूत्रों की मानें तो संघ नेतृत्व से कहा गया है कि वह शुरूआत छोटे राष्ट्रों से करें और वहां अपनी पसंद के राजनयिकों की लिस्ट दें। कई दूतावासों में सीधे राजनैतिक नियुक्तियां होती है, संघ को कहीं शिद्दत से इस बात का इल्म है। संघ चाहता है कि भारतीयता, राष्ट्र प्रेम जैसी भावनाओं को विदेशों में भारी संख्या में बसे अप्रवासी भारतीयों के मन में अंकुरित किया जा सके। हालांकि विदेशों में संघ की मान्यताओं के प्रचार-प्रसार के लिए पहले से संघ का एक अनुशांगिक संगठन सक्रिय है। पर अब संघ खुल कर अपनी भावनाओं का विस्तार चाहता है, सो मुमकिन है कि आने वाले दिनों में इस आशय के नए बीज पल्लवित पुष्पित हों।
Posted on 24 April 2022 by admin
आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को अपने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की इस कदर फिक्र है कि वे मान की इमेज को सदैव झाड़-पोछ कर चमकाते रहते हैं। अब जैसे केजरीवाल ने मान को यह टिप दी है कि वे पंजाब में उद्योगपतियों और थैलीशाहों से मिलने से परहेज करें। ऐसे लोगों को मिलने के लिए वे सीधे राघव चड्ढा के पास भेज दें, चड्ढा उन्हें हेंडल कर लेंगे। क्या यह बात मान को नागवार गुजर रही है? इसकी मिसाल देखिए, पंजाब में इंडस्ट्रियल पॉलिसी पर एक मीटिंग होनी थी, ऐसे में सीएम मान से उनके एक मुंहलगे ब्यूरोक्रेट ने पूछ लिया कि इस मीटिंग में शामिल होने के लिए दिल्ली से कौन-कौन आ रहा है? इस पर मान ने बेहद हाजिर जवाबी से कहा-’जब दिल्ली की इंडस्ट्रियल पॉलिसी की मीटिंग होगी तो उसमें दिल्ली से लोग आएंगे, जब पंजाब की इंडस्ट्रियल पॉलिसी पर बात होनी है तो इसे पूरी तरह हमारी ही रहने दो।’
Posted on 24 April 2022 by admin
सीताराम येचुरी के हमेशा से सोनिया गांधी से किंचित बहुत मधुर संबंध रहे हैं, भले ही सीपीएम ने येचुरी को तीसरे टर्म के लिए अपना महासचिव चुन लिया हो, पर वामपंथी नेता यदाकदा येचुरी की आलोचना करते रहे हैं कि वे आंख मूंद कर कांग्रेस के पीछे चलने में यकीन रखते हैं। पार्टी फोरम पर भी इस बात को लेकर कई दफे येचुरी की घोर आलोचना हो चुकी है। सो पिछले दिनों जब सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी सोनिया गांधी से मिलने उनके घर पहुंचे तो उनकी पेशानियों पर खासे बल दिखे। कहते हैं येचुरी ने खुल कर सोनिया से कह दिया-’मैडम आपने तो कांग्रेस पार्टी का स्टीयरिंग ही पीके के हाथों में सौंप दिया है, हम आगे कैसे साथ चल पाएंगे।’ सनद रहे कि पूर्व में लालू यादव की पार्टी राजद और स्टालिन की पार्टी डीएमके से कांग्रेस का गठबंधन कराने में येचुरी की एक महती भूमिका रही थी।
Posted on 24 April 2022 by admin
राहुल के विदेश यात्रा पर रवाना होने से पूर्व उनसे मिलने सचिन पायलट पहुंचे, राहुल के साथ प्रियंका भी इस मीटिंग में मौजूद थीं। सचिन ने राहुल से उनका वादा याद कराते हुए कहा कि ’अब वक्त आ गया है कि आप अशोक गहलोत जी को दिल्ली बुलाएं और मुझे राजस्थान सौंप कर अपना वादा पूरा करें।’ राहुल ने कहा कि ’वे सचिन को फिर से राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस राजस्थान में फिर से सत्ता में वापसी करें।’ सचिन ने दो टूक कहा-’चमत्कार बार-बार नहीं होते।’ इस पर राहुल ने छूटते ही सचिन ने पूछ लिया-’अगर आप बीजेपी में चले गए होते तो क्या वे आपको सीएम बना देते?’ सचिन ने भी किंचित तल्खी से कहा-’अगर मुझे बीजेपी में ही जाना होता तो मैं आज यहां नहीं बैठा होता।’ जब यह खबर सोनिया को लगी तो उन्होंने मामले की नजाकत को भांपते फौरन सचिन को मिलने अपने पास बुला लिया, सचिन ने दिल खोल कर सोनिया के समक्ष अपनी बात रखी। अब अगली कॉल सोनिया की है।
Posted on 24 April 2022 by admin
योगी अपने 2.0 के इस नए अवतार में बड़े सुलझे राजनेता के तौर पर सामने आ रहे हैं। जहां योगी एक भरोसेमंद अफसर डीएस चैहान को राज्य का नया डीजीपी नियुक्त करना चाहते हैं, वहीं दिल्ली का इशारा पाकर अवनीश अवस्थी लगातार आरपी सिंह का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं राज्य के चीफ सेक्रेटरी दया शंकर मिश्र चाहते हैं कि अहम नियुक्तियों की हर फाइल उनके टेबल से होकर गुजरे, संकेत तो यह भी मिल रहे हैं राज्य के मौजूदा डीजीपी मुकुल गोयल ही अपने पद पर बने रहें, वैसे भी उनका कार्यकाल फरवरी 2024 तक है। वहीं योगी के कई भरोसेमंद और मुंहलगे अधिकारी इन दो महीनों में रिटायर होने वाले हैं। मुमकिन है कि ऐसे में केंद्र यूपी कैडर के कई अधिकारियों को लखनऊ भेजने की तैयारी करे।
Posted on 24 April 2022 by admin
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार गिराने की पूर्व में भी कई कोशिशें हो चुकी है। भाजपा वहां अब भी कांग्रेस को अपना सबसे आसान शिकार मानती है। पूर्व में कांग्रेस के 10 विधायक दिल्ली आकर अमित शाह और ओम माथुर से मिल चुके हैं। झारखंड में कांग्रेस के 16 विधायकों में से तो चार तो मंत्री हैं, उनके टूटने का सवाल पैदा नहीं होता, 3-4 विधायक ऐसे हैं जो विशुद्ध रूप से ईसाई अधिपत्य वाली सीटों से जीते हैं, जिनमें खिजरी, कोलिबीरा और जगन्नाथपुर के विधायक शामिल हैं। इन कांग्रेसी विधायकों का कहना है कि ’वे कांग्रेस से टूट कर अलग पार्टी बनाने को तैयार हैं पर भाजपा में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्रों में क्रिश्चियन वोटर ही निर्णायक हैं।’ कांग्रेस के ये विधायक भाजपा के सीएम फेस को लेकर भी सशंकित हैं, वे न तो अर्जुन मुंडा को बतौर सीएम चाहते हैं और न ही बाबूलाल मरांडी को। इस वजह से भी यह पेंच फंसा है। वैसे भी झारखंड के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे की अपने विधायकों पर कोई पकड़ नहीं, सो कांग्रेस के विधायकों को स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन डायरेक्ट हेंडल कर रहे हैं और वक्त-वक्त पर उनसे डील भी, ताकि उनकी सत्ता सलामत रहे।