Posted on 03 January 2022 by admin
’तू सूरज है तो रौशनी बन कर बिखर क्यों नहीं जाता
शाम ढलते ही लौट कर अपने घर क्यों नहीं जाता’
राहुल गांधी को नेता साबित करने की मशक्कत जारी है, उनके इकबाल के ऐलान से सियासी रंग मंच गुंजायमान है। गाहे-बगाहे ऐसा कुछ दिख ही जाता है जब वे मुनादी करते अपने हरकारों से घिरे नज़र आते हैं। पिछले दिनों जयपुर में आयोजित हुई कांग्रेस की ‘महंगाई विरोधी रैली’ में भी यही मंजर दिखा। विशालकाय मंच के बैकड्राप में बायीं ओर सोनिया गांधी की भव्य आकृति चस्पां थी, वह प्रियंका के साथ मंच पर भी विराजमान थीं, पर कांग्रेस के उत्साही कार्यकर्ता उनके उद्बोधन की बाट जोहते रहे, पर वह नहीं बोलीं, मौन रह कर भी उन्होंने अपने पुत्र को नैतिक बल और समर्थन दिया। प्रियंका को रैली में ज्यादा महत्व नहीं दिया गया, वह जितना बोलीं, शायद सचिन पायलट ने भी उतना ही बोला होगा। राहुल हिंदुत्व और हिंदूवादी के अपने जुमले में ही बेतरह उलझ गए, वे जो बोले या बोलना चाहते थे कायदे से ज्यादातर लोगों के पल्ले उनकी बात नहीं पड़ी। जब वे रैली में अपना ओजपूर्ण भाषण देकर आए तो सोनिया ने बकायदा उनकी पीठ थपथपा कर उन्हें शाबाशी दी, मानो ये ऐलान कर रही हों कि पार्टी के असली नेता राहुल गांधी ही हैं। दरअसल सोनिया का यह आचरण पार्टी के उन नेताओं को एक मैसेज देने का ही उपक्रम था, जो अब भी राहुल की जगह प्रियंका की नेतृत्व क्षमता के ज्यादा मुरीद हैं। प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह काफी पहले से इन बातों की तैयारियों में जुटे थे कि इन पांच राज्यों के चुनाव में हर चुनावी प्रदेश में प्रियंका की ज्यादा से ज्यादा सभाएं लगाई जाएं, गोवा में प्रियंका की चुनावी सभा इसी सोच और इस कड़ी का एक हिस्सा थी, प्रियंका की ताबड़-तोड़ सभाओं का मैप बन चुका था, पर सोनिया ने प्रियंका वफादारों के इस मंसूबे में पलीता लगा दिया, यहां तक कि प्रियंका की गढ़चिरौली की रैली भी रद्द कर दी गई, महीनों पूर्व से जिसकी तैयारी की गई थी। सूत्रों की मानें तो सोनिया ने प्रियंका को तलब कर उनसे दो-टूक कह दिया है कि उन्हें अपनी उद्दात राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं पर विराम लगानी होगी और अपने आपको सिर्फ यूपी तक ही सीमित रखना होगा, यूपी जहां कांग्रेस के लिए षायद ही थोड़ी जमीन बची है।
Posted on 03 January 2022 by admin
पिछले तीन-चार महीनों से लगातार राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका के बीच अनबन की खबरें बाहर आती रही है। सूत्रों की मानें तो राहुल की नाराज़गी प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह को लेकर ज्यादा है। सनद रहे कि ‘जेएनयू फेम’ वाले ये संदीप सिंह वही हैं जो 2019 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी के ‘स्पीच राइटर’ हुआ करते थे, ये भी कहा जाता है कि ’चौकीदार चोर है’ का नारा भी इन्होंने ही गढ़ा था जो 19 के चुनावों में बुरी तरह से ’बैक फायर’ कर गया। कहते हैं भाई-बहन में इस मनमुटाव की शुरूआत भी यूपी चुनाव से हुई जब यूपी की स्क्रीनिंग कमेटी के दो अहम सदस्य भंवर जितेंद्र सिंह और वर्शा गायकवाड ने राहुल से शिकायत दर्ज कराई कि यूपी में टिकट बंटवारे में काफी झोल हो रहा है, टिकटों के बेचे जाने की भी अफवाहें हैं, सो इन्होंने एआईसीसी से आब्जर्वर भेजने की मांग की। इसके बाद ही राहुल ने 195 पर्यवेक्षकों की भारी-भरकम टीम यूपी भेज दी। गढ़चिरौली रैली को लेकर भी राहुल के पास लगातार यह शिकायत आ रही थी कि प्रियंका की रैली के नाम पर चंद्रपुर इंडस्ट्रियल टाउन से काफी पैसों की काफी वसूली हुई है, इसके बाद ही राहुल के कहने पर प्रियंका की गढ़चिरौली रैली रद्द कर दी गई। सूत्रों की मानें तो राहुल संदीप सिंह को हटाना चाहते हैं पर अलंकार सवाई के कहने पर उन्होंने यूपी चुनाव तक अपने इरादों पर विराम लगा दिया है। कहा जाता है कि राहुल के दरबार में अलंकार की उतनी ही चलती है जितना महत्व सोनिया के लिए अहमद पटेल का था। पर इन दिनों राहुल अलंकार से किंचित खफा-खफा रहते हैं, क्योंकि उनके पास पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की आम शिकायत पहुंच रही है कि अलंकार उन्हें राहुल से मिलने का समय नहीं देते। अलंकार पर हालिया दिनों में ये भी आरोप लगे हैं कि महाराष्ट्र में जंबो कार्यसमिति बनवाने का आइडिया भी उन्हीं का है। सो, इन पांच राज्यों के चुनाव के बाद राहुल और प्रियंका की किचेन कैबिनेट में व्यापक फेरबदल देखने को मिल सकता है।
Posted on 03 January 2022 by admin
सत्ता के गलियारों में ये खबर काफी समय से अंगड़ाई ले रही है कि झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार पर चंद चिंटू, मिंटू और पिंटू का कब्जा है। सूत्रों की मानें तो सरकार में सबसे ज्यादा ज़लवा सीएम के मीडिया एडवाइजर अभिषेक कुमार पिंटू का है जो चौबीसो घंटे साये की तरह सीएम के साथ रहते हैं और इनका सीएम के साथ बेहद घरेलू ताल्लुकात बताया जाता है। सीएम के सचिव विनय चौबे का ज़लवा भी देखते बनता है, इनके ही देखरेख में झारखंड में शराब की नई पाॅलिसी को आकार मिला है, कहते हैं इससे जुड़े तमाम मामलात प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव और योगेंद्र तिवारी देख रहे हैं। पहले सीएम दरबार में सुनील श्रीवास्तव भी ताकतवर थे पर उनका रुतबा अब कुछ कम हुआ है। एक पंकज मिश्रा भी हैं जिन्हें राज्य का ‘डिफेक्टो’ सीएम भी कहा जाता है, मिश्रा जी सीएम की विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि हैं,सनद रहे कि अभी हाल ही में झारखंड की एक आदिवासी महिला एसआई ने आत्महत्या कर ली थी, एसआई के पिता ने पंकज मिश्रा पर अपनी बेटी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। हेमंत की इस किचेन कैबिनेट के एक खास सदस्य कोलकाता के एक व्यवसायी अमित अग्रवाल भी हैं, जो ‘मिहिजाम वनस्पति’ नाम से एक कंपनी चलाते थे, बाद में यह कंपनी भारी घाटे की वजह से बंद हो गई, पर अमित हेमंत के लिए चुनावी चंदों की उगाही में लगे रहे और आज आलम यह है कि जिस बिजनेस हाउस को झारखंड में कोई बड़ा टेंडर या सरकारी ठेका चाहिए होता है वह अमित की शरण में ही जाता है।
Posted on 03 January 2022 by admin
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दरम्यान तल्खी बढ़ती ही जा रही है। सूत्रों की मानें तो नीतीश अपने राज्यपाल से इस कदर नाराज़ हैं कि इस बात की शिकायत उन्होंने प्रधानमंत्री से भी कर दी है। पर भाजपा यूपी चुनाव तक फागू चौहान को छेड़ना नहीं चाहती, क्योंकि एक तो चौहान यूपी से आते हैं जहां उनकी सजातीय नोनिया जाति का एक बड़ा वोट बैंक है। यूपी में नोनिया जाति के एक प्रमुख नेता संजय चौहान ने अखिलेश यादव की सपा के साथ चुनावी गठबंधन कर लिया है, सो भाजपा व संघ नहीं चाहते कि ऐसी विकट परिस्थितियों में फागू चौहान को छेड़ा जाए। दरअसल, नीतीश इस बात को लेकर राज्यपाल से किंचित खफा थे कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की नियुक्तियों में हो रही वित्तीय अनियमिताओं की खबरें लगातार उनके पास आ रही थीं। राजभवन ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एसपी सिंह को ’बेस्ट वाइस चांसलर’ के अवार्ड से नवाज दिया, जबकि सिंह पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे। इस पर नीतीश ने कुलपति और राजभवन के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग राज्यपाल से कर दी। वहीं माननीय राज्यपाल के परिवार यानी इनके 3 बेटों और 4 बेटियों पर प्रदेश के 17 विश्वविद्यालयों में मनमाने टेंडर देने और नियुक्तियों के आरोप भी लगते रहे हैं। राज्यपाल महोदय पर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति और सेवा विस्तार को लेकर भी आरोप लग रहे हैं। उन पर यह भी आरोप है कि बिहार आने के बाद उन्होंने अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से लाकर सुरेंद्र प्रताप सिंह को, तो गोरखपुर से लाकर राजेंद्र प्रसाद को अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्त कर दिए। राजभवन की ओर से कई ऐसे कुलपतियों को सेवा विस्तार दे दिया गया, जिन पर रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। जब इस बात की जानकारी नीतीश को हुई तो उन्होंने तीन नए विश्वविद्यालयों के अधिकार क्षेत्र से राज्यपाल को बाहर रख दिया, राज्यपाल इस बात से इतने कुपित हुए कि उन्होंने इन तीनों विश्वविद्यालय का बिल ही अधर में लटका दिया है।
Posted on 03 January 2022 by admin
कांग्रेस की जयपुर रैली की कामयाबी का सेहरा अजय माकन खुद ही अपने सिर बांध रहे हैं, वे इस बात का क्रेडिट लेने का भी प्रयास कर रहे हैं कि दिल्ली की इस ‘महंगाई विरोधी रैली’ को जयपुर ले जाने का आइडिया भी उनका ही था। दरअसल, माकन की नज़र राजस्थान से आने वाली राज्यसभा की सीट पर टिकी है। अप्रैल माह में यह सीट आने वाली है, जहां से आनंद शर्मा रिटायर होने वाले हैं। जी-23 में उनकी यानी शर्मा जी की संलिप्तता को देखते हुए इस बात की उम्मीद बेहद क्षीण है कि उन्हें दुबारा से राज्यसभा मिलेगी। सो, अजय माकन इस सीट को लेकर अभी से कदमताल कर रहे हैं। वहीं सोनिया गांधी के करीबियों में शुमार होने वाले ए के एंटोनी और सुशील कुमार शिंदे की नज़र भी इसी इकलौती सीट पर टिकी है। पर इन दिनों पार्टी में वही हो रहा है जो राहुल चाहते हैं, अजय माकन से बेहतर इस बात को कौन और समझ सकता है, क्योंकि इन दिनों वे राहुल के नंबर वन झंडाबरदार में शुमार होते हैं।
Posted on 03 January 2022 by admin
अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछा गया कि ’वे अपना आदर्श किसे मानते हैं?’ तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि ’अगर बात धर्म व संस्कार की हो तो वे अपना आदर्श अपने गुरू महंत अवैधनाथ और अपने माता-पिता को मानते हैं और अगर बात राजनीति की हो तो मेरे गुरू आदरणीय नरेंद्र मोदी हैं’। सो, जो लोग मोदी-बनाम योगी का खटराग अलाप रहे थे, योगी ने एक तरह से उन्हें चुप कराने का प्रयास किया है। वहीं एसआईटी जांच में अजय टेनी को बेनकाब कर कहीं न कहीं योगी ने भाजपा के नंबर दो को भी साधने का प्रयास किया है। सब जानते हैं कि टेनी के पीछे मजबूती से कौन खड़ा है जो लगातार उन्हें सियासत में अभयदान दिलवा रहा है। वहीं जब टेनी ने एक टीवी पत्रकार से बदसलूकी की तो समझा जाता है कि अमित शाह ने टेनी को तलब कर उनकी क्लास लगा दी। सो, यूपी चुनाव तक तो टेनी की गद्दी सलामत ही दिखती है।
Posted on 03 January 2022 by admin
तारिक अनवर झारखंड से राज्यसभा चाहते हैं, इसके लिए बकायदा उन्होंने राज्य में अपनी गोटियां सेट कर दी हैं, तारिक ने अपने बेहद खासमखास राजेश ठाकुर जो भूमिहार जाति से आते हैं, उन्हें झारखंड प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनवा दिया है। जाहिर सी बात है कि प्रदेश अध्यक्ष आसानी से उनका नाम राज्यसभा के लिए प्रस्तावित कर दिल्ली भेज पाएगा। अनवर ने अपने इसी दांव से बिहार में भूमिहार जाति के एक अन्य प्रमुख नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज को वहां प्रदेश अध्यक्ष की रेस से बाहर कर दिया है। धीरज से तारिक ने अपना पुराना हिसाब भी चुकता कर लिया है।