Posted on 24 January 2022 by admin
उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और 10 जनपथ के बेहद करीबियों में शुमार होने वाले किशोर उपाध्याय को क्या इस बात की कीमत चुकानी पड़ी कि उन्होंने राहुल गांधी से अपनी मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल करवा दी? या इस बात के लिए कि पिछले काफी समय से उनके भाजपा या फिर सपा में जाने की अटकलें परवान पर थीं? कांग्रेस हाईकमान ने बेहद आनन-फानन में उपाध्याय को उत्तराखंड में मिली तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है, सनद रहे कि ये वही उपाध्याय हैं जो गांधी परिवार की अमेठी सीट की लंबे समय तक जिम्मेदारी उठाते रहे हैं। किशोर उपाध्याय की कभी हरीश रावत से गहरी छनती थी, वे रावत ही थे जिनके प्रयासों के बदौलत उपाध्याय पहली बार नारायण दत्त तिवारी के मंत्रिमंडल में बतौर राज्य मंत्री शामिल हो गए थे। इसके बाद जब हरीश रावत के पास सीएम की गद्दी आई तो इन्होंने किशोर उपाध्याय को एक ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में अपनी महती भूमिका निभाई। इन दोनों नेताओं के बीच मतभेद की खबरें सबसे पहले तब सामने आई जब राज्यसभा की एकमात्र सीट की दावेदारी के लिए हरीश रावत ने उपाध्याय की जगह प्रदीप टमटा के नाम का समर्थन कर दिया और इस रेस में टमटा बाजी मार गए।
Posted on 24 January 2022 by admin
प्रियंका गांधी ने यूपी में सुप्तप्रायः कांग्रेस में एक नई जान फूंकने की कोशिश की है, अपने वादे के मुताबिक प्रियंका ने कांग्रेस की पहली सवा सौ वाली लिस्ट में थोकभाव में महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। जैसे उन्नाव से रेप पीड़िता की मां आशा सिंह को टिकट देने के प्रियंका के ऐलान के बाद सपा ने भी उन्नाव से अपना उम्मीदवार उतारने से मना कर दिया। सपा ने अपने इस कदम से लोगों में यह संदेश देने की कवायद की है कि वह दलित, दमित और शोषित वर्ग के समर्थन में खड़ी है। सूत्रों की मानें तो सपा को अपने इस कदम के फायदा उन्नाव की आसपास की सीटों पर मिल सकता है। प्रियंका ने सोशल एक्टिविस्ट सदफ ज़फर को लखनऊ मध्य से टिकट दिया है, जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन से माहौल बना दिया था, बाद में सरकार ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया था। पर इस कड़ी में प्रियंका के कुछ दांव उल्टे भी पड़ गए हैं। जहां जनता के बीच के चेहरों को टिकट देने के लिए उनकी प्रशंसा हो रही है, वहीं सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद को कांग्रेस का टिकट देकर उन्होंने बवाल मोल ले लिया है। हालांकि प्रियंका करीबियों का दावा है कि लुईस को टिकट देने का प्रियंका का एक चतुराईभरा निर्णय है क्योंकि वह जानती हैं कि सलमान खुर्शीद के अखिलेश यादव से किंचित बहुत मधुर रिश्ते हैं, सो लुईस को टिकट देकर वे कांग्रेस के अंसतुष्ट गुट जी-23 के मंसूबों पर पानी भी फेरना चाहती हैं। वहीं कांग्रेस के एक वर्ग का मानना है लुईस बेहद अहंकारी स्वभाव की हैं, कांग्रेस का जमीनी कैडर उन्हें कभी स्वीकार नहीं कर पाता है।
Posted on 24 January 2022 by admin
सिप्रा दास दिल्ली के फोटो जर्नलिस्टों की जमात का एक जाना-पहचाना चेहरा है। इन्हें देश की पहली फोटो जर्नलिस्ट में भी शुमार किया जाता है, नेत्रहीन व्यक्तियों पर केंद्रित उनकी कॉफी टेबुल बुक भी काफी चर्चा में रही है। पिछले दिनों सिप्रा ने दिल्ली के लक्ष्मी नगर से नोएडा स्थित अपने घर आने के लिए एक शेयर ऑटो लिया, साथ में उनका कैमरा बैग भी था। जब घर पहुंच कर सिप्रा ने अपना बैग खोला तो देखा तो उनके होश फाख्ता हो गए, उनके बैग से तमाम कैमरे और महंगे लेंस गायब थे और उसकी जगह बैग में ईंट पत्थर भरे हुए थे। सिप्रा के कैमरे की कीमत कम से कम 7-8 लाख रूपए तो जरूर रही होगी। इस महिला फोटो जर्नलिस्ट ने आनन-फानन में पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई, गृह मंत्रालय को अपनी लिखित शिकायत भेजी, पुलिस थाने के खूब चक्कर काटे, पर कुछ हुआ नहीं। एक दिन वह संसद भवन स्थित गृह मंत्री अमित शाह के दफ्तर जा पहुंची, शाह जब अपने दफ्तर से सदन जाने के लिए बाहर निकले तो सिप्रा ने झट से उन्हें अपना प्रतिवेदन पकड़ा दिया, यह कहते हुए-’फोटोग्राफी ही मेरी लाइफ है, जब कैमरा ही चोरी चला गया तो 7-8 लाख के कैमरे मैं दुबारा से कैसे खरीद पाऊंगी।’ अमित शाह ने बगैर कुछ बोले सिप्रा के हाथों से कागज लिया और वे आगे बढ़ गए। पर जब इसके बाद भी कोई जबाव नहीं आया तो निराश शिप्रा अपने गृह शहर कोलकाता लौट गई। एक सप्ताह के अंदर सिप्रा को दिल्ली के क्राइम ब्रांच से फोन आता है कि उनका कैमरा शाहदरा के एक घर से बरामद हो गया है, वह फौरन दिल्ली आ जाएं और कोर्ट से अपना कैमरा ले लें।’ सिप्रा समझ चुकी थीं कि देश के गृह मंत्री ने बिना कुछ बोले उनका इतना बड़ा काम कर दिया है।
Posted on 24 January 2022 by admin
क्या पत्रकार कंचन गुप्ता याद हैं आपको? कभी ये लाल कृष्ण अडवानी के बेहद करीबियों में शुमार होते थे, बाद में जब उन्होंने अपनी निष्ठा को मौजूदा सत्ता की धार दी तो वे सूचना प्रसारण मंत्रालय में नए सलाहकार बन कर आ गए। सूत्र बताते हैं कि जिस थोकभाव में पत्रकारों को पीआईबी कार्ड बांटे गए हैं, अब उनकी छंटनी हो सकती है। एक-एक पीआईबी कार्डधारक के ब्यौरे को खंगाला जा रहा है, उनकी पात्रता को कसौटी पर मांजा जा रहा है, फिर तय होगा कि कितने लोग इसकी वास्तव में पात्रता रखते हैं, जो नहीं रखते (या जो सरकार के निशाने पर हैं) उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाया जा सकता है। यही वजह है कि इस वर्ष पीआईबी के कार्ड रिन्यू नहीं किए जा रहे हैं, हां उसकी वैधता अप्रैल तक जरूर बढ़ा दी गई है। कंचन गुप्ता जो पॉयोनियर अखबार भी संभाल चुके हैं, उन्हें मीडिया सेंटर में ही एक कमरा दे दिया गया है। सरकार पीआईबी कार्डधारक पत्रकारों को उनकी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सीजीएचएस सेंटर का भी लाभ प्रदान करती है, जिसके लिए पत्रकारों को मात्र 1067 रुपए का सालाना भुगतान करना पड़ता है। हर साल फरवरी में इस सीजीएचएस कार्ड को रिन्यू भी करवाना पड़ता है। इसी पीआईबी कार्ड के आधार पर संसद के दोनों सदनों के पास भी पत्रकारों के लिए बनते हैं। पर अब ऊहापोह और संशय का आलम छाया हुआ है, दूसरों के राजनैतिक भविष्य का पांडित्य बांचने वाले पत्रकारों के अपने भविष्य का क्या होगा?
Posted on 24 January 2022 by admin
यूपी के चुनावी महासमर में आनने-सामने की जंग लड़ने वाले भाजपा और सपा ने तय किया है कि इस बार के चुनाव में वे अपराधियों और बाहुबलियों को टिकट नहीं देंगे। अब आपराधिक छवि वाले नेता राजभर और निषाद की पार्टियों से चुनाव लड़ने की जुगत भिड़ा रहे हैं। प्रदेश के दुर्दांत मुख्तार अंसारी या तो संजय निषाद की पार्टी से या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। ओवैसी ने मुख्तार और अतीक अहमद दोनों को खुला ऑफर दे रखा है कि वे चाहें तो ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं। 1994 में मुख्तार सीपीआई के उम्मीदवार थे, फिर मायावती के साथ चले गए। पिछले चुनाव में मुख्तार को सपा में शामिल करने को लेकर चाचा-भतीजा यानी शिवपाल-अखिलेश में ठन गई थी। इस बार भी मुख्तार को अखिलेश की ना है।
Posted on 04 January 2022 by admin
’हर शै रौशनी पर हौसलों की दास्तां बयां है
नए साल में उम्मीदों का यह सूरज नया है’
पंजाब का चुनावी घमासान दिलचस्प मुहाने पर आ पहुंचा है। एक ओर तो पहले ही पंजाब का चुनावी घमासान बहुकोणीय लड़ाई के आसार जता रहा था, अब किसान आंदोलन में शामिल रहे 32 संगठनों में से 22 ने साथ आकर एक नई राजनैतिक पार्टी ’संयुक्त किसान मोर्चा’ बना ली है, यह पंजाब विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। दिलचस्प तो यह कि इनमें से कई संगठन साफ तौर पर वामपंथी रुझान वाले हैं जिनके साथ बड़े पैमाने पर पंजाब के दलित जुड़े हुए हैं, कुछ संगठन एकदम से दक्षिणपंथी रुझानों वाले हैं, जिन्हें वहां के जटसिख ’लैंड लॉर्ड’ का साथ है। इस मोर्चा के आकार लेने से पहले इसके नेता बलबीर सिंह राजेवाल आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से कई दौर की बातचीत कर चुके थे, केजरीवाल राजेवाल को आप का ’सीएम फेस’ बनाने को भी राजी थे पर बात बनी नहीं, सूत्रों की मानें तो राजेवाल अपने साथी संगठनों के नेताओं के लिए 45 सीटें मांग रहे थे, जिसके लिए केजरीवाल तैयार नहीं हुए। जब दोनों में सहमति बनी नहीं तो राजेवाल ने एक राजनैतिक मोर्चा का गठन कर चुनावी समर में उतरने का ऐलान कर दिया। इस नए राजनैतिक मोर्चे के मैदान में उतरने से पंजाब का चुनावी समर और भी दिलचस्प हो गया है।
Posted on 04 January 2022 by admin
भले ही प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव में अपना सब कुछ झोंक रखा हो, पर इन दिनों यूपी कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ओंकार नाथ सिंह के साथ पार्टी के दो अन्य पदाधिकारी ’फ्री एंड फेयर पोल’ के चुनाव आयोग के आह्वान को शिरोधार्य करते आयोग के समक्ष पहुंचे, इसमें ओंकार नाथ सिंह ने चुनाव आयोग से निवेदन किया कि ’अगर चुनाव की घोषणा के बाद भी अवनीश अवस्थी यूं ही अपने पद पर बने रह कर कार्य करते रहेंगे तो प्रदेश में निष्पक्ष चुनाव की बात ही बेमानी हो जाएगी, क्योंकि अवस्थी भाजपा नेता की तरह आचरण करते हैं।’ अगले ही दिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर बकायदा इस बात की इत्तला कर दी कि उनसे कांग्रेस का जो डेलीगेशन मिलने आया था उसे पार्टी ने अधिकृत ही नहीं किया था, इसीलिए पार्टी द्वारा अधिकृत डेलीगेट्स यानी प्रमोद तिवारी, उन्हें यानी लल्लू को और सीएलपी लीडर अराधना मिश्र को आयोग से मिलने का वक्त दिया जाए। पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी के इस निवेदन पर अपने कान ही नहीं धरे। लल्लू के चुनाव आयोग को लिखे पत्र से कांग्रेस के मीडिया और संचार विभाग के सदस्य ओंकार नाथ सिंह इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने प्रियंका गांधी को पत्र लिख कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाद में खुलासा हुआ कि सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग को लेकर चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक में ओंकार सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश अजमानी के मौखिक निर्देश पर गए वहां थे।
Posted on 04 January 2022 by admin
एक चर्चित पान मसाला ब्रैंड जिसकी नुमांइदगी सदी के महानायक करते हैं, इसके अरबपति मालिक ने पिछले महीने अपनी बेटी की शादी एक और पान मसाले घराने में कर दी। भारत से 700 मेहमानों को चार्टर्ड फ्लाइट से पेरिस ले जाया गया। इन तमाम अतिथियों को पेरिस के महंगे पंचतारा होटल फोर सीज़न जॉर्ज V और प्रिंस द् गाॅल मैरिएट में ठहराया गया। इस पूरे वेडिंग शो को मैनेज करने में 600 लोगों की टीम लगी थी, सूत्र दबी जुबान में दावा करते हैं कि इस विवाह समारोह पर कम से कम 600 से 700 करोड़ रूपए खर्च किए गए। यह विवाह समारोह चार दिनों तक चला। जिस दिन घुड़चढ़ी होनी थी और फोर सीज़न होटल से बारात निकलनी थी, उस दिन स्ट्रीट की सभी दुकानें बंद करा दी गई और दुकानदारों को इसकी एवज में मुआवजा भी अदा किया गया। पूरे विवाह समारोह के लिए हाॅलीवुड की चर्चित फिल्म ’अवतार’ का सेट बनाया गया था। और विवाह समारोह में शामिल होने वाले सभी मेहमानों को लुई वितन के महंगे बैग में भर कर लगभग 15 लाख रूपयों के मूल्य का रिटर्न गिफ्ट भी दिया गया। सही मायनों में पान मसाला वालों का शाही अंदाज ही निराला है।
Posted on 04 January 2022 by admin
जयंत चौधरी की पार्टी रालोद को भले ही अखिलेश यादव की पार्टी सपा से चुनावी तालमेल को हरी झंडी मिल गई हो पर इन दिनों दोनों नेताओं के रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। इससे पहले अखिलेश ने जयंत के लिए 35-38 सीटें छोड़ने के लिए हामी भर दी थी, पर लगता है अब बात 24-25 सीटों पर बनेगी। दरअसल, अखिलेश इस बात को लेकर छोटे चौधरी से कुपित हैं कि गठबंधन का मसौदा तय हो जाने के बाद भी पिछले कुछ दिनों में उनकी पीयूष गोयल से दो मुलाकातें क्यों हुई है?, जहां उन्हें लक्ष्मी दर्शन का भरोसा दिलाया गया है। सूत्रों की मानें तो जयंत की बहन के पति के एक कथित स्टिंग ऑपरेशन की खबर पिछले दिनों सामने आई थी जिसमें वे किसी प्रत्याशी से टिकट के एवज में कुछ लक्ष्मी दर्शन की आस रख रहे थे। कहते हैं यह स्टिंग ऑपरेशन एक बड़े औद्योगिक घराने द्वारा संचालित न्यूज चैनल के पास पहुंच गया। इस स्टिंग के प्रसारित होने से कुछ देर पहले ही जैसे ही अखिलेश को इस बात की भनक लगी तो उन्होंने आनन-फानन में चैनल के एडीटर-इन-चीफ से बात की और उनसे कहा कि चैनल ने जितने पैसे में यह स्टिंग ऑपरेशन खरीदा है वे उतना पैसा देने को राजी हैं। समझा जाता है कि चैनल प्रमुख ने इस बाबत मालिकों से बात की जिसमें तय हुआ कि इस स्टिंग को दिखाया नहीं जाएगा। तब जाकर अखिलेश की जान में जान आई, क्योंकि वे जानते थे कि भाजपा जयंत पर कम, इस स्टिंग को लेकर उन पर ज्यादा हमलावर रहेगी।
Posted on 04 January 2022 by admin
पिछले दिनों संपन्न हुई कई हाई प्रोफाइल शादियों में राजनेता गण भी बड़े पैमाने पर कोरोना संक्रमित हो गए। जैसे गुजरे 28 दिसंबर को मुंबई के कोलाबा स्थित ताज होटल में बाला साहब ठाकरे के दिवंगत पुत्र बिंदु माधव ठाकरे के पुत्र निहीर ठाकरे की शादी भाजपा के एक बड़े नेता हर्षवर्द्धन पाटिल की पुत्री अंकिता से संपन्न हुई। इस विवाह समारोह में शामिल होने वाले कई नेता कोरोना संक्रमित हो गए जिसमें सुप्रिया सुले, उनके पति और बाला साहेब थोराट जैसे नेता शामिल हैं। सबसे खास बात तो यह कि विवाह समारोह के होस्ट हर्षवर्द्धन पाटिल स्वयं कोरोना की चपेट में आ गए। इस बात की सूचना उन्होंने स्वयं ट्वीट करके दी। एक और हाई प्रोफाइल शादी प्रफुल्ल पटेल के बेटे की थी जो जयपुर में संपन्न हुई थी, इस विवाह समारोह में शामिल होने वाले कई मेहमान कोरोना पॉजिटिव पाए गए।