Posted on 06 June 2021 by admin
इन दिनों भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष का सितारा सातवें आसमान पर है, भाजपा में भी वे हर मर्ज की एक ही दवा बने हुए हैं। जब से दत्तात्रेय होसाबोले संघ के नए सर कार्यवाह बने हैं संतोष की तो लॉटरी निकल आई है, क्योंकि वे न सिर्फ होसाबोले के सजातीय ब्राह्मण हैं, बल्कि वे भी कर्नाटक के उसी गांव से आते हैं, जो कि होसाबोले का भी अपना पुश्तैनी गांव हैं। इन दोनों की दोस्ती भी काफी पुरानी है, कहा जाता है कि बीएल संतोष की दिली तमन्ना है कि एक दिन वे भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनें, शायद यही वजह है कि बीएस येदुरप्पा उन्हें फूटी आंखों नहीं सुहाते हैं, जब से भाजपा में संतोष मजबूत हुए हैं, येदुरप्पा के खिलाफ मंत्रियों और विधायकों का असंतोष रोज नए गुल खिला रहा है, पर देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या बिल्ली के भाग्य से छींका टूटता है?
Posted on 06 June 2021 by admin
केरल में भले चुनाव खत्म हो गया हो और वहां के लोगों ने लेफ्ट की सरकार को फिर से मौका दे दिया हो। पर त्रिशूर का एक मामला अभी भी संघ और भाजपा के लिए सिरदर्द बना हुआ है। 3 अप्रैल को घटित एक घटना की 7 अप्रैल को एक कार ड्राईवर ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई कि ’वह एक लैंड डील का 25 लाख रूपए लेकर आ रहा था, जिसे कुछ गुंडों ने लूट लिया,’ हैरानी की बात तो यह कि यह लूट पुलिस थाने से मात्र 500 मीटर की दूरी पर हुई थी। जांच से पता चला कि यह गाड़ी कालिकट के एक संघ कार्यकर्ता ए के धर्मराजन की थी। फिर धर्मराजन का बयान आया कि ’ये पैसे उन्हें भाजपा जनता युवा मोर्चा के पूर्व स्टेट कोषाध्यक्ष सुनील नायक ने दिए थे।’ पर जब पुलिस ने धर-पकड़ शुरू की और मामले में जब इस लूट में शामिल 19 लोगों को केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया तो एक बड़ा खुलासा हुआ कि दरअसल लूटी गई रकम 25 लाख नहीं बल्कि साढ़े तीन करोड़ रूपए है। पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि ड्राईवर को इतनी बड़ी रकम त्रिशूर के भाजपाध्यक्ष और पार्टी महासचिव को सौंपने थे। और सबसे मज़े की बात तो यह कि रंजीत कुमार और दीपक कुमार नामक जिन दोनों शख्सों ने यह रकम लूटी थी वे भाजपा के ही कार्यकर्ता थे। बाद में पुलिस की ओर से यह दावा हुआ कि ये पैसे वाया कर्नाटक से त्रिशूर पहुंचा था। पर यह पैसा आया कहां से किसी को मालूम नहीं।
Posted on 06 June 2021 by admin
कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है, यूपी के इन पंचायत चुनावों के नतीजों में जिस प्रकार भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है और पार्टी को इस बात का कहीं गहरे इल्म हुआ है कि ’पश्चिमी यूपी में जाटों ने मुसलमानों के साथ मिल कर भाजपा को हराने के लिए वोट दिया है।’ तो इस 15 जून से आहूत जिला पंचायतों के अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने वेस्टर्न यूपी में थोकभाव में जाट उम्मीदवार उतारे हैं, शामली और बागपत तो रिजर्व सीट है, इन्हें छोड़ कर बस अमरोहा और हापुड़ में सिर्फ गुर्जर उम्मीदवार उतारे गए हैं, जबकि गुर्जर यह उम्मीद कर रहे थे कि ’कम से कम गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा में तो उनकी जाति के उम्मीदवार को चांस मिलेगा,’ पर गौतमबुद्ध नगर क्या, भाजपा ने मेरठ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर और मुरादाबाद जिले भी जाटों के हवाले कर दिया है। वहीं विपक्षियों की रणनीति है कि भाजपा उम्मीदवार को टक्कर देने के लिए संयुक्त विपक्ष मिल कर अपना एक उम्मीदवार उतारेगा। यानी बड़ी मुश्किल है डगर पनघट की।
Posted on 06 June 2021 by admin
संघ इस बात को लेकर खम्म ठोंक रहा है कि यूपी में स्थितियां चाहे कितनी भी विकट हों, राज्य का अगला चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा। कई हिंदुवादी संगठन तथ्यों से अनजान अभी से इस बात को मुद्दा बना रहे हैं कि ’ममता बनर्जी ने भगवान महादेव की आस्था स्थली तारकेश्वर मंदिर का अध्यक्ष एक मुस्लिम नेता फिरहाद हाकिम को बना दिया है जो हिंदू भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।’ पर सच तो यह है फिरहाद हाकिम पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री होने के नाते ‘तारकेश्वर मंदिर डेवलपमेंट बोर्ड’ के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे, उनका तारकेश्वर मंदिर ट्रस्ट से कोई लेना-देना नहीं था। वहीं यूपी में भाजपा को अब संत समाज की भारी नाराज़गी झेलनी पड़ रही है, जब काशी के सौंदर्यीकरण अभियान के तहत बाबा विश्वनाथ मंदिर के आश्रय में खड़ा सैंकड़ों वर्ष पुराना अक्षय वट वृक्ष कट कर नीचे गिर गया, पहले इस वृक्ष को संरक्षित करने की बात कही गई थी, इस वृक्ष के साथ हिंदुओं की कई धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। पूरे राष्ट्र में केवल तीन नगरों में ही यह अक्षय वट वृक्ष अवस्थित हैं, काशी, प्रयाग और बिहार के गया में, अपना अक्षय वट वृक्ष गंवा कर काशी के लोग हतप्रभ हैं, यह प्रकृति की लीला है या आने वाले किसी बुरे वक्त का अंदेशा।
Posted on 06 June 2021 by admin
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच तलवारें तो बहुत पहले ही निकल चुकी थीं। अब भाजपा शीर्ष ने मौर्य के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि ’वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बन जाएं,’ पर मौर्य इसके लिए अपनी उप मुख्यमंत्री की कुर्सी की बलि देने को तैयार नहीं। वे कहते हैं कि ’चाहे प्रदेश अध्यक्ष बना दो पर उप मुख्यमंत्री तो बना ही रहूंगा।’ पार्टी उन्हें ‘एक पद एक सिद्धांत’ का हवाला दे रही है। भाजपा के यूपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल भी पार्टी हाईकमान को कई महीने पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं जिसमें योगी को तत्काल प्रभाव से यूपी से हटाने की बात कही गई थी। पर बंसल की बात पर किसी ने कान नहीं धरे, उल्टा ये कह दिया गया कि ’वे और मौर्य दोनों एक ही भाषा बोलते हैं।’ कहते हैं एक बैठक में योगी बंसल को पहले हड़का चुके थे कि ’जब यूपी के पंचायत चुनाव थे तो बंसल बंगाल की धूल फांक रहे थे।’ सूत्रों की मानें तो नाराज़ बंसल अपने शीर्ष नेतृत्व से पहले भी गुहार लगा चुके हैं कि ’उन्हें यूपी से हटा कर राजस्थान भेज दिया जाए।’ वहीं संघ योगी का बचाव ये कहते हुए कर रहा है कि ’अगर प्रदेश में कहीं भाजपा के खिलाफ ‘एंटी इनकंबेंसी’ है तो वर्तमान के पौने दो सौ विधायक के टिकट काट कर उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारना चाहिए,’ पर हिंदुत्व के उफान पर सवारी गांठने का हुनर योगी से बेहतर और किसी में नहीं।
Posted on 06 June 2021 by admin
उत्तर प्रदेश के अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा की पेशानियों पर बल पड़ते जा रहे हैं। पिछले दिनों भाजपा नेतृत्व ने अपने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को तीन दिनों के लिए इस आग्रह से लखनऊ रवाना किया था कि वे कोई बीच का रास्ता निकालें। संतोष ने यूपी के दोनों मुख्यमंत्रियों, 16 नाराज़ मंत्रियों, कई नाराज़ पार्टी विधायकों के अलावा संघ के क्षेत्र और प्रांत प्रचारकों को एक-एक कर अकेले में बुलाया और उनका फीडबैक लिया। मंत्रियों की यह आम शिकायत थी कि ’मुख्यमंत्री काम करने की आजादी नहीं देते हैं, यहां तक कि उनके अधिकारी भी उनकी बात नहीं सुनते हैं।’ इसके बाद बीएल संतोष ने सीएम योगी के साथ ढाई घंटे एक बंद कमरे में मुलाकात की और फिर कमरे से बाहर निकल वहां उपस्थित पत्रकारों से कहा कि ’योगी जी ने कोविड प्रबंधन का बहुत बढ़िया कार्य किया है।’ दिल्ली पहुंच कर शीर्ष नेतृत्व को यह संपूर्ण ब्यौरा देने के बाद संतोष ने संघ का यह संदेश भी दे दिया कि ’हटाने को तो हमने कल्याण सिंह को भी हटा दिया था, उसके बाद यूपी में पार्टी को 20 वर्षों तक सांप सूंघ गया था, योगी को हटा कर भी आप यही गलती करेंगे।’
Posted on 06 June 2021 by admin
’नादां आसमां भी सचमुच आज हैरां है
कितनी ऊंची तेरी ये उड़ान है’
यूपी पंचायत चुनाव, बंगाल चुनाव और कोविड कुप्रबंधन की तोहमतें झेलती सरकार और पार्टी को अभयदान देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सियासी अनिश्चितताओं के भभकते सूरज को भी लील लेने को तैयार है। पखवाड़े भर पूर्व पीएम के साथ मैराथन बैठक, फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस गुरूवार को मोदी सरकार के चंद महत्वपूर्ण मंत्रियों के साथ संघ कार्यालय में शीश नवा आए और इस शनिवार से दिल्ली में आहूत हुई तीन दिवसीय संघ की बैठक का एजेंडा भी कहीं न कहीं भाजपा के आसपास घूम रहा है। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, भैय्याजी जोशी और सुरेश सोनी जैसे संघ के वरिष्ठ नेताओं के अलावा दत्तात्रेय होसाबोले की नई टीम के 8 अन्य नेतागण भी शामिल हैं। देश और राज्यों के पिछले कुछ चुनाव इस बात की चुगली खाते हैं कि हालिया वर्षों में कैसे संघ भाजपा के लिए ’बूथ मैनेजमेंट’ से लेकर एक’ इनपुट गिविंग एजेंसी’ के तौर पर काम करने लगा हैं। संघ रणनीतिकारों को कहीं शिद्दत से यह इल्म हो चला है कि बनिए और अगड़ी जातियों में उनका हिंदुत्व का बिगुल अपने सेचुरेशन पर आ गया है, जब से केंद्र में मोदी की सरकार आयी है संघ ने अपने और भाजपा के लिए एक बौद्धिक वर्ग भी तैयार कर लिया है। संघ अब एक बड़े बदलाव की इबारत लिखना चाहता है कि कैसे वह पिछड़ी, अति पिछड़ी, दलित, महादलित और जनजातियों में अपनी पैठ बना सके, संघ जानता है कि अगर इन जातियों को ठीक से साधा नहीं जाएगा तो पूर्ण हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को कभी मूर्त रूप नहीं दिया जा सकता और यह ध्रुवीकरण सिर्फ और सिर्फ धर्म के आधार पर ही संभव है। सो, अपने नए प्रयासों में संघ दलितों और जनजातियों के पूज्य आदर्शों जैसे सुहेलदेव, दलदाऊ पासी, रविदास के महिमा मंडन के लिए इवेंट करने लगा है। पिछड़ी, अति पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए कोटा के अंदर ’कोटा’ की बात करने लगा है। अति पिछड़ी जातियों जैसे निषाद, बिंद, कसैरा, कुम्हार, ठठेरा और तंबोली, गैर जाटव दलित, मुसहर, नट, कंजर जातियों में वह अपने पैर पसार रहा है। कच्ची ताड़ी का बुंदेलखंड इलाके में व्यवसाय करने वाली कबूतरा जाति के लोगों के लिए मंदिर बनाने में सहयोग कर रहा है, नट और सपेरा जातियों के बीच भी संघ के लोग दिन-रात काम कर रहे हैं, इसके बारे में प्रोफेसर बद्रीनाथ की हालिया प्रकाशित पुस्तक ’रिपब्लिक ऑफ हिंदुत्व: हाऊ द् संघ रिशेपिंग द इंडियन डेमोक्रेसी’ में बहुत विस्तार से चर्चा हुई है कि कैसे भारतीय राजनीति में संघ एक बड़े बदलाव का सूत्रपात कर चुका है।
Posted on 06 June 2021 by admin
प्रधानमंत्री के लाख चाहने पर भी उनके प्रिय अधिकारी रहे पूर्व आईएएस और मौजूदा एमएलसी अरविंद शर्मा का पुनर्वास नहीं हो पा रहा है। एक तो योगी को मनाना आसान नहीं रहा कि वे शर्मा को अपना डिप्टी बना लें। जब वहां बात नहीं बनी तो शर्मा को पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना संक्रमण के रोकथाम की जिम्मेदारी सौंपी गई, साथ ही उन्हें पंचायत चुनावों में भी एक महती जिम्मेदारी मिली थी। पर न तो काशी में कोरोना का प्रकोप कम हुआ और न ही यूपी के पंचायत चुनावों में भाजपा को यथोचित सफलता मिल पाई। शर्मा जी को अलग से पछतावा है कि उनकी नौकरी में अभी दो साल का कार्यकाल बचा हुआ था, काहे को फालतू में रिस्क ले लिया।
Posted on 06 June 2021 by admin
2024 के लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष की ओर से पीएम पद का दावेदार कौन होगा इसको लेकर अभी से कयासों के बाजार गर्म है, अगले वर्ष 2022 में होने वाले सात राज्यों यूपी, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो सबसे पहला दावा राहुल गांधी का हो सकता है। इसके बाद ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार के नाम लिए जा सकते हैं। ममता बनर्जी अपने हाई वोल्टेज ड्रामों के लिए जानी जाती है, पर हिंदी भाषी राज्यों में उनकी अपील कम पड़ सकती है। अभी इस शुक्रवार को कलाई कुंडा एयरबेस की यात्रा में उन्होंने पीएम को भी आधे घंटे का इंतजार करवा दिया। ममता की तुनकमिजाजी दरअसल इस बात को लेकर थी कि पीएम के साथ आखिर शुभेंदु अधिकारी क्या कर रहे हैं? नीतीश की उम्मीद का दारोमदार लालू और वामपंथियों पर टिका है। रही बात अरविंद केजरीवाल की तो उन्हें उनके सियासी स्वांगों के लिए अभी से ’छोटा मोदी’ के नाम से पुकारा जाता है। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अगले वर्ष होने वाले सात राज्यों के चुनाव में सिर्फ मणिपुर को छोड़ कर हर राज्य में चुनावी तैयारियों को अंजाम दे रही है। अभी यूपी पंचायत चुनावों में आप ने कांग्रेस के 59 के मुकाबले 86 पंचायतों में जीत दर्ज करायी है। सो, केजरीवाल के दावे को भी कम करके नहीं आंका जाना चाहिए।
Posted on 06 June 2021 by admin
अपना दल (सोनेलाल) की मुखिया अनुप्रिया पटेल ने तो सियासत की सीढ़ियां बेहद जल्दी-जल्दी चढ़ी थीं और मोदी सरकार-एक में वो राज्य मंत्री की कुर्सी तक पहुंच गई थी, पर जब केंद्र में मोदी सरकार-दो का गठन 2019 में हुआ तो जाने-अनजाने भाजपा कर्णधारों ने अनुप्रिया को बिसरा दिया। भाजपा ने अनुप्रिया से यह भी प्रॉमिस किया कि उनके पति आशीष सिंह पटेल को योगी सरकार में मंत्री बनाया जाएगा, पर आशीष को सिर्फ एमएलसी की सीट से ही संतोष करना पड़ा। पिछले विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया ने भाजपा से 15 सीटें मांगी थी, पर मिलीं उन्हें केवल 11 सीटें, जिसमें उनके 9 उम्मीदवार जीत गए। 2019 के लोकसभा में अनुप्रिया की पार्टी को मिर्जापुर और रॉबटर्सगंज की सीट दी गई, अपना दल ये दोनों सीटें जीत गई। पर फिर भी अनुप्रिया को मोदी सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया। पूर्वांचल के 17 जिलों में अनुप्रिया की जाति के कुर्मियों का असर है। पर विडंबना देखिए पीएम मोदी और सीएम योगी जब हालिया दिनों में इस नेत्री के प्रभाव वाले क्षेत्रों में दौरे पर भी गए तो उन्होंने इन्हें इस मीटिंग में बुलाना भी मुनासिब न समझा। कहते हैं इस नेत्री को आभास है कि प्रदेश में कोविड कुप्रबंधन को लेकर यहां भाजपा का ग्राफ तेजी से गिरा है, पंचायत चुनाव इसकी चुगली खाते हैं जहां 3050 सीटों में से सिर्फ 900 सीटें ही भाजपा के कब्जे में आ पाई। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों अनुप्रिया की बातचीत सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से हुई है, 22 का चुनाव साथ लड़ने के लिए उनसे इस नेत्री ने 25 सीटों की डिमांड की है, मामला 15-17 सीटों पर बन सकता है, पर जुलाई के प्रथम सप्ताह में मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल होना है, अगर इसमें भी अनुप्रिया को नज़रअंदाज किया गया तो वे 22 में साइकिल की सवारी करना पसंद करेंगी।