सूले को न भूलें

May 05 2010


बीसीसीआई का मौजूदा कार्यकाल जून में समाप्त हो रहा है, और इस बीच आईसीसीआई का मुख्य कार्यालय भी दुबई में शिफ्ट हो रहा है, सो शरद पवार ने अपनी नजरें और मंशा फिलवक्त दुबई पर लगा रखी हैं, जहां बीते दिनों के उनके कई साथियों का सिक्का चलता है। सो, अगर पवार ने आईसीसीआई में महतर जिम्मेदारियां संभाल लीं तो उनकी जगह और उनकी कुर्सी की असली वारिस सुप्रिया सूले के अलावा और कौन हो सकता है? सो, पवार की डिमांड है कि सुप्रिया को कैबिनेट में लिया जाए। सुप्रिया पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की लिहाज से नए लोगों को आगे लाना चाहती है, प्रफुल्ल के बारे में उनकी निजी राय है कि वे उनके पिता के शागिर्द भर हैं। वहीं प्रफुल्ल पवार की शार्गिदी व उनके साए से बाहर निकल अहमद पटेल की मदद से सोनिया के करीब आ गए हैं और अब उनके दिल का रास्ता भी सीधा कांग्रेस में खुलता है। पवार के भतीजे अजीत पवार भी सुप्रिया से नाराज हैं अैर वे प्रफुल्ल के साथ हैं यानी प्रफुल्ल व अजीत मिलकर राजनीति में नौसिखिया सुप्रिया सूले की नाक में दम तो कर ही सकते हैं।

 
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