साध्वी की घर वापसी

April 16 2010


साध्वी उमा भारती की घर वापसी का प्रक्रिया सुनिश्चित कराने के लिए स्वयं अडवानी सक्रिय हो गए हैं, और अडवानी ही क्यों गुरर्ूमूत्ति भी इस भगीरथ कार्य में जुट गए हैं कि सिर्फ उमा ही नहीं अपितु गोविंदाचार्य की भी लंबे वनवास के बाद कैसे घर वापसी हो। कल्याण सिंह और सुब्रह्मण्यम स्वामी सरीखों के लिए भी भगवा पार्टी ने अपने दिल का दरवाजा खोला हुआ है। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं, उमा यही सोचकर इस दफे कोई गलती नहीं करना चाहती, हर कदम बहुत सोच समझ कर उठा रही है। पर अडवानी के समक्ष सबसे महती चुनौती शिवराज सिंह चौहान को समझाने की है, शिवराज का ‘उमा फोबिया’ अब भी कम नहीं हुआ है, लिहाजा ताज के मोहजाल में फंसे शिवराज को समझाया जा रहा है कि उमा की गाड़ी अगर दिल्ली से चली तो फिर झांसी से आगे नहीं बढेग़ी। उमा की सियासत के इर्द-गिर्द पार्टी लक्ष्मण रेखा खींचने का मन बना रही है, उन्हें अपना कार्य क्षेत्र गाजियाबाद से गोरखपुर तक ही सीमित रखना है और मध्य प्रदेश तो बस वह नक्शे में ही देख सकती हैं। फिलवक्त उमा को पार्टी की ये सारी शतर्ें मंजूर है कि वो अब बस यूपी की राजनीति करेंगी, भाजपा की असली मंशा एक पिछड़े की बेटी (उमा) को दलित की बेटी (मायावती) से उलझाना है, यकीनन साध्वी के समक्ष चुनौतियां बड़ी हैं, पर ऐसी चुनौतियों से साध्वी पहले भी दो-दो हाथ कर चुकी हैं।

 
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