संघ का निशाना भंग

October 20 2009


संघ का निशाना कहीं और होता है, गोली कहीं और चलती है। संघ हिंदुत्व के नए पुरोधा के तौर पर पुचकारता तो वरुण गांधी को है, पर गाहे-बगाहे तारीफ राहुल गांधी की करता है। अभी राजगीर के संघ अधिवेशन में संघियों ने एक स्वर में गरीबो-दलितों के घर राहुल गांधी के रात्रि प्रवास मुहिम पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी है। और लगे हाथ भाजपाईयों को सीख दे डाली है कि वे ग्रामीण भारत की दशा-दिशा पर ज्यादा विचार करें। अब भोपाल में दशहरे के दिन एक स्कूल में संघ का शस्त्र पूजन का कार्यक्रम था, सो एक संघी श्यामलाल गुर्जर के गैर लाईसेंसी देसी पिस्तौल से गोली चल गई और एक समर्पित संघ सेवक नरेश मोटवाणी मौके पर ही बेमौत मारे गए। अब संघियों को हिदायत मिली है कि वे अपने पथ संचरण के कार्यक्रमों में भी आग्नेय अस्त्र लेकर न चलें,फायरिंग करना तो भूल ही जाएं। सो, अब संघियों की बंदूके खामोश हो गई हैं और अगर आग उगल रही है तो बस उनकी जुबान। जैसा अभी राजगीर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उवाचा कि वे अभी धर्म संकट में हैं कि अपने 50 प्रचारकों को भाजपा में भेजें अथवा नहीं, सांसें तो सचमुच भाजपा की भी अटकी हुई हैं कि कहीं भागवत सचमुच इन प्रचारकों को भाजपा में न भेज दें।

 
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