विदेशी निवेश में कमी

March 15 2011


2जी स्पेक्ट्रम का ग्रहण भारत में हो रहे विदेशी निवेश पर लग सकता है। जर्मनी ने तो बकायदा एक एडवाइजरी जारी कर दी है जर्मन उद्योगपतियों के लिए कि वे भारत में अपना पैसा सोच-समझकर निवेश करें। मिडिल ईस्ट की एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी ‘एटीसेलेट’ और एक स्वीडिश कंपनी ‘टेलिमोर’ जिन्होंने भारत में 2जी लाइसेंस खरीदा है, वह भी इन सरकारी धमकियों से कुपित है कि सरकार 2जी लाइसेंस रद्द कर सकती है। ये कंपनियां पूछ रही है कि ‘हमारा क्या कसूर हमने तो बाजार भाव पर लाइसेंस खरीदा है, पकड़ना है तो उनको पकड़ो जिन्होंने कौड़ियों के भाव 2जी लाइसेंस लेकर हमें मुंहमांगी कीमतों पर बेच दिया है।’ यानी ऐसे में अंबानी, टाटा, यूनिटेक सब पर खतरा मंडरा सकता है। सो कॉरपोरेट इंडिया में मौजूदा सरकार को लेकर नाराजगियां बढ़ी हैं, वह चाहती है कि मनमोहन सरकार जाए। द्रमुक संकट भी इसी बात का आगाज था, संकट को बढ़ाने में कॉरपोरेट घराने दोनों हाथों से करुणानिधि की मदद कर रहे थे। कहते हैं 2जी में टाटा ने भी 1600 करोड़ का लाइसेंस 12 हजार करोड़ में बेचकर दोनों हाथों से मुनाफा कमाया है। पर उनका कोई बाल बांका नहीं हो रहा है।

 
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