लोकतंत्र के छुपे मंत्र |
September 04 2011 |
यह पहली दफा है जब लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल के मसले पर स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष में ठन गई है। भाजपा की अपनी सवाल और शंकाएं हैं, और वह सेक्रेटरी जनरल की नियुक्ति में भी देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट घराने की सक्रियता पर अचंभित है, हर प्रश्न महत्त्वपूर्ण है, चाहे वह आम में पूछा जाए या प्रश्नकाल में, प्रश्न प्रायोजित हो सकते हैं पर मंशाओं का क्या? और आम तौर पर ऐसे ही विरोधाभासों से उभर कर सामने आता है हमारे लोकतंत्र का असली चेहरा। |
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