रेल में पटेल

December 10 2009


दस जनपथ में यह जुमला अब खूब चल निकला है कि जब भी देश या पार्टी में कोई बवाल मच रहा होता है तो कांग्रेस के स्वयंभू चाणक्य अहमद पटेल उस वक्त सफर में होते हैं, वे भी छुक-छुक रेल की सवारी गांठ रहे होते हैं। कोई 17 वर्ष पूर्व जब बाबरी विध्वंस कांड हुआ था तो उस 6 दिसंबर को भी पटेल रेल में थे और इस 6 दिसंबर को भी वे हज यात्रा पर होंगे। पटेल की राजनीति की यह खास अदा है कि वे अक्सर विवादास्पद मुद्दों पर बोलने से कन्नी काट जाते हैं। वे गुजरात में निरंतर कांग्रेस की मजबूरी बने हुए हैं क्योंकि वे अल्पसंख्यकों की राजनीति में एक मान्य कांग्रेसी चेहरा हैं, नरेंद्र मोदी के भी वे उतने ही प्रिय हैं जितने 10 जनपद के, सो मुश्किल सियासी ककहरे उन्हें खूब कंठस्थ हैं। जब भी विवादित मुद्दों पर बोलने के लिए पटेल का नाम सुझाया जाता है, मंझे कांग्रेसी पटेल का खेल पहले ही भांप लेते हैं कि निश्चय ही वे इस वक्त ट्रेन में होंगे। सियासी सफर का यह ककहरा कोई सीखे पटेल से।

 
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